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Bihar Politics: चुनावी खर्च का हिसाब नहीं दे पाए बिहार के 237 पूर्व प्रत्याशी, इलेक्शन कमीशन ने लिया ये बड़ा एक्शन

Lok Sabha Elections 2024 लोकसभा या विधानसभा का चुनाव लड़ चुके कई प्रत्याशियों में इस बात की होड़ होती है कि वे अगले चुनाव में पहले से बेहतर प्रदर्शन करेंगे लेकिन उनकी कुछ गलतियों से चुनाव आयोग उनके चुनाव लड़ने पर ही प्रतिबंध लगा देता है। कुछ ऐसी ही गलती देश भर में 1069 लड़ाकों ने की है इनमें बिहार के 237 हैं।

By Raman Shukla Edited By: Mohit Tripathi Updated: Sun, 31 Mar 2024 09:17 PM (IST)
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चुनावी खर्च का हिसाब नहीं दे पाए बिहार के 237 पूर्व प्रत्याशी। (सांकेतिक फोटो)
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Political News In Hindi। लोकसभा या विधानसभा का चुनाव लड़ चुके कई प्रत्याशियों में इस बात की होड़ होती है कि वे अगले चुनाव में पहले से बेहतर प्रदर्शन करेंगे, लेकिन उनकी कुछ गलतियों से चुनाव आयोग उनके चुनाव लड़ने पर ही प्रतिबंध लगा देता है। कुछ ऐसी ही गलती देश भर में 1069 लड़ाकों ने की है, इनमें बिहार के 237 हैं।

इन लोगों ने 2019 में लोकसभा या 2020 में विधानसभा चुनाव लड़ा, मगर अपने खर्च का हिसाब आयोग को नहीं दिया। चुनाव आयोग ने ऐसे लोगों के लोकसभा चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाते हुए मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को सूची भेज दी है।

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में यह प्रविधान है कि निर्वाचन आयोग ऐसे सभी लोगों को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर सकता है, जिन्होंने अपने पिछले लोकसभा या विधानसभा के चुनाव लड़ने के बाद अपने खर्चों का ब्योरा तय समय में आयोग को नहीं दिया है।

नहीं लड़ सकते चुनाव

बिहार में 237 लोगों के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाई गई है। दूसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश के प्रत्याशी हैं। वहां पर 121 प्रत्याशियों ने अपना खर्च वाला ब्योरा आयोग को नहीं दिया। तीसरे स्थान पर तेलंगाना है, जहां 107 लोगों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया गया है।

मध्य प्रदेश में 79 और छत्तीसगढ़ में ऐसे लोगों की संख्या 73 है। आंध्र प्रदेश में 51, कर्नाटक में 75 एवं मध्य प्रदेश में 79 है। इनमें कुछ लोगों की अयोग्यता अवधि जून 2024 तक है।

वहीं कुछ लोगों की चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध 2027 तक लगाया गया है। ऐसी स्थिति में ये सभी लोग आगामी विधानसभा का चुनाव भी नहीं लड़ सकते हैं। इनकी संख्या झारखंड में 26, दिल्ली में 21, हिमाचल प्रदेश में नौ, पंजाब में सात, उत्तराखंड में 24, हरियाणा में 55 और बंगाल में 17 है।

30 दिनों के भीतर देना होता है हिसाब

उल्लेखनीय है कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में इसका दिशा निर्देश दिया गया है कि यदि कोई व्यक्ति विधानसभा या लोकसभा का चुनाव लड़ता है तो उसका परिणाम घोषित होने के 30 दिनों के अंदर उसे अपने चुनावी खर्च का ब्योरा देना होता है।

अगर वह निर्धारित समय-सीमा के बीच यह ब्योरा नहीं देता है तो चुनाव आयोग आगे की एक निश्चित अवधि के लिए उसके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा देता है।

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