इस बंगाली बाला ने भोजपुरी फिल्मों में की है धमाकेदार इंट्री, जानिए कौन है
कई बंगाली बालाओं ने भोजपुरी फिल्मों में काम किया है, अब इनमें एक और नाम सामने आया है और वो है मणि भट्टाचार्य का, जो जिला चंपारण में नजर आएंगी।
By Kajal KumariEdited By: Updated: Wed, 11 Oct 2017 08:01 PM (IST)
पटना [जेएनएन]। रिंकू घोष, मोनालिसा, मोहिनी घोष के बाद अब एक और बंगाली बाला ने भोजपुरी सिनेमा इंडस्ट्री में धमाकेदार इंट्री की है। वो हैं मणि भट्टाचार्या । अभी हाल ही में भोजपुरिया सुपर स्टार खेसारीलाल यादव के साथ वे सुपर हिट फिल्म ‘जिला चंपारण’ में नजर आई हैं।
मणि इस फिल्म एक अमीर जिद्दी लड़की की भूमिका में है, जिन्हें इंप्रेस करने के लिए खेसारीलाल खुद से चाइलेंज तक करते हैं। बता दें कि बांग्ला में इनकी फिल्म ‘चार’ को नेशनल अवार्ड भी मिल चुका है।
बचपन से हिरोईन बनने का शौक थामणि भट्टाचार्या बंगाल की हैं और उन्हें बचपन से ही हिरोईन बनने का शौक था। उन्होंने पॉलिटिकल साइंस की डिग्री ली है और अभिनय के साथ पढ़ाई भी कर रही हैं। मणि ने बताया कि मैं मां के साथ अपने भाई के स्कूल जाया करती थी। इसी दौरान मुंबई से आये प्रोड्यूसर – डायरेक्टर की नजर मुझे पर पड़ी और उन्होंने मेरी मां को अप्रोच किया।
भोजपुरी के लिए साउथ की फिल्म को कह दिया..ना
उन्होंने बताया कि ‘जिला चंपारण’ एक शानदार फिल्म है। इसके लिए मैंने साउथ की एक फिल्म को मना कर दिया। ‘जिला चंपारण’ काफी अच्छी फिल्म है, जिसे मैंने खूब इंज्वाय किया। फिल्म में मेरा किरदार प्रिया नाम की लड़की का है। लोग फिल्म को और मेरे किरदार को पसंद भी कर रहे हैं।
भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता होती है, लेकिन ये सही नहीं
भोजपुरी फिल्मों को बी ग्रुप मूवी समझा जाता है। इसे अजीब नजर से इसे देखा जाता है। मैंने सुना था इसमें अश्लीलता रहती है। इसलिए मैं कभी भोजपुरी फिल्में नहीं देखती थी और कभी मौका भी नहीं मिला था। मगर जब फिल्म के निर्देशक लाल बाबू पंडित ने ‘जिला चंपारण’ मुझे ऑफर की, तब मैंने अपनी मां से इस बारे में बात की।
को-स्टार्स ने काफी सहयोग किया
उन्होंने मुझे मना नहीं किया। वे काफी सपोर्टिव रही हैं मेरे लिए। फिर में लाल बाबू के आफिस गई और उनसे कोई भी भोजपुरी की रफ स्क्रिप्ट मांगी। साथ में एक महीने का समय भी, ताकि मैं खुद समझ सकूं मैं कर पांउगी या नहीं। क्योंकि बंगाल से आने के कारण उच्चारण में दिक्कत होती, इसलिए मैं पशोपेश में थी।
इसके लिए मैंने खेसारीलाल जी की कई फिल्में भी देखी। कोई और मेरी डबिंग करे ये मुझे पसंद नहीं। खैर, स्क्रिप्ट मिला। एक महीने तक मैंने एग्जाम की तरह उस पर मेहनत की और अंत में पास हुई और फिल्म का हिस्सा बनी।
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