लौंडा नाच के लिए मशहूर पद्मश्री रामचंद्र मांझी का निधन, सीएम नीतीश कुमार ने जताया शोक
लौंडा नाच के प्रख्यात कलाकार और भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के सहयाेगी रहे रामचंद्र मांझी का निधन हो गया। गुरुवार सुबह आइजीआइएमएस में उन्होंने अंतिम सांस ली। 96 वर्ष के मांझी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
By Vyas ChandraEdited By: Updated: Thu, 08 Sep 2022 12:25 PM (IST)
छपरा, जागरण संवाददाता। लौंडा नाच को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचाने वाले मशहूर कलाकार पद्मश्री रामचंद्र मांझी नहीं रहे। बुधवार रात उनका निधन हो गया। पटना के आइजीआइएमएस (IGIMS) में उन्होंने अंतिम सांस ली। वे हृदय रोग, इंफेक्शन आदि से पीड़ित थे। 96 वर्ष के मांझी लंबे समय तक भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर के शागिर्द थे। वे सारण जिले के नगरा प्रखंड क्षेत्र के तुजारपुर के रहने वाले थे। उनके निधन से शोक की लहर है। वे इस विधा के आखिरी कलाकार माने जाते हैं। सीएम नीतीश कुमार ने उनके निधन पर शोक जताया है। उन्होंने कहा है कि रामचंद्र मांझी ने भोजपुरी नृत्य को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई।
10 वर्ष की उम्र में ही हो गए थे भिखारी ठाकुर के शागिर्द 94 वर्ष की उम्र में उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री (2021) अवार्ड दिया था। संगीत नाटक अकादमी अवार्ड 2017 से नवाजा गया था। उन्हें राष्ट्रपति ने प्रशस्ति पत्र के साथ एक लाख रुपये की पुरस्कार राशि भेंट की थी। रामचंद्र मांझी 96 वर्ष के होने के बाद भी मंच पर जमकर थिरकते और अभिनय करते थे। वे 10 वर्ष की उम्र में ही भिखारी ठाकुर की मंडली में जुड़ गए थे। उनके साथ करीब 30 वर्षों तक वे कला के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखाते रहे। इधर वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे। रामचंद्र मांझी के शव को अंतिम दर्शन के लिए उनके गांव में रखा गया है।
रिविलगंज के सेमरिया घाट पर किया जाएगा अंतिम संस्कार गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार रिविलगंज के सिमरिया घाट पर किया जाएगा। उनके बड़े पुत्र शंभू माझी मुखाग्नि देंगे। रामचंद्र मांझी के चार पुत्र व दो पुत्री हैं। पत्नी सुदमिया देवी का पहले ही निधन हो चुका है। वे वर्तमान में आर्थिक संकट का सामना कर रहे थे। उनके निधन की सूचना मिलने पर कला संस्कृति एवं युवा मंत्री जितेंद्र राय ने दूरभाष से उनके परिजनों से बात कर शोक संवेदना व्यक्त की।
भिखारी ठाकुर के साथ 10 वर्ष की उम्र से कर रहे थे कामरामचंद्र मांझी ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया था कि वे भिखारी ठाकुर के नाच दल में 10 वर्ष की उम्र से ही काम करने लगे। 1971 तक भिखारी ठाकुर के नेतृत्व में काम किए और उनके मरणोपरांत गौरीशंकर ठाकुर, शत्रुघ्न ठाकुर, दिनकर ठाकुर, रामदास राही और प्रभुनाथ ठाकुर के नेतृत्व में काम कर चुके हैं। वे करीब 30 सालों तक भिखारी ठाकुर के साथ काम कर चुके थे। वे भिखारी ठाकुर रंगमंडल के सबसे बुजुर्ग सदस्य थे।
बिहार के प्राचीन लोक नृत्यों में एक है लौंडा नाचलौंडा नाच बिहार के प्राचीन लोक नृत्यों में से एक है। इसमें लड़की के वेश में पुरुष कलाकार नृत्य करते हैं। किसी भी शुभ मौके पर इसका आयोजन होता रहा है। हालांकि वर्तमान में यह विधा हाशिए पर है। अब गिनी-चुनी मंडलियां ही बची हैं, वे भी किसी तरह इस विधा काे जीवित रखे हुई है। भिखारी ठाकुर रंगमंडल के संयोजक एवं रामचंद्र मांझी के साथ कई मंचों पर अभिनय कर चुके जैनेंद्र दोस्त अंतिम समय तक उनके साथ उनके साथ थे। उन्होंने रामचंद्र मांझी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि हमने भिखारी ठाकुर की परंपरा के अंतिम सिपाही को खो दिया।
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