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पटना में लोगों को बीमार कर रहा 60 हजार लीटर तेल, अगली बार तली चीज खाने से पहले जरूर पढ़ें ये खबर

Safety Tips in Oil Use खाद्य तेल के काला होने तक उसमें समोसे पकोड़े जलेबी भठूरा समेत अन्य व्यंजन तलकर खाने से हार्ट अटैक गैस्ट्रिक व सीने में जलन जैसे कई रोग के आप शिकार हो सकते हैं। ऐसा करने वाले होटल-रेस्टोरेंट पर अब कार्रवाई होगी।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Updated: Mon, 05 Jul 2021 08:39 AM (IST)
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तली हुई चीजें खाने से पहले देख लें तेल का रंग। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
पटना, जागरण संवाददाता। खाद्य तेल के काला होने तक उसमें समोसे, पकोड़े, जलेबी, भठूरा समेत अन्य व्यंजन तलकर खाने से हार्ट अटैक, गैस्ट्रिक व सीने में जलन जैसे कई रोग के आप शिकार हो सकते हैं। ऐसा करने वाले होटल-रेस्टोरेंट पर अब कार्रवाई होगी। जांच के लिए खाद्य संरक्षा पदाधिकारियों को टोटल पोलर कंपाउंङ्क्षडग उपकरण मुहैया करा दिया गया है। इस मशीन को खौलते तेल में डालते ही पता चल जाएगा कि तेल खाद्य सामग्री छानने लायक है कि नहीं। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथारिटी आफ इंडिया (एफएसएसएआइ) ने मई 2019 में ही एक तेल को तीन से अधिक बार इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश दिया था। कोरोना के कारण प्रशिक्षण व उपकरण नहीं मिलने के कारण प्रदेश में अब इस आदेश का अनुपालन सुनिश्चि‍त कराया जा रहा है।

जले तेल से डीजल बनाने का विकल्‍प

बताते चलें कि तीन बार से अधिक बार ठंडे तेल को गर्म कर उसमें व्यंजन तलने से न केवल उसकी गुणवत्ता खराब हो जाती है, बल्कि हार्ट अटैक सहित कई रोगों की आशंका बढ़ जाती है। वहीं, जले तेल से देश में ही बायो डीजल बनने से बाहर से इसका आयात कम करना होगा। इसके लिए एफएसएसएआइ ने रियूज कुकिंग आयल (रुको) अभियान शुरू किया है।

इन पांच बिंदुओं का रखना होगा रिकार्ड  

खाद्य संरक्षा पदाधिकारी अजय कुमार ने बताया कि व्यंजन तलने के लिए एक तेल को बार-बार इस्तेमाल करने से उसमें टोटल पोलर कंपाउंड  (टीपीसी) पैदा हो जाते हैं। ट्रांसफैट की अधिकता वाले इस तेल में तले भोजन को खाने से हार्ट समेत अन्य स्वास्थ्य संबंधी दुष्परिणाम सामने आते हैं। ऐसे में 25 से अधिक टीपीसी वाले तेल का इस्तेमाल होटल-रेस्टोरेंट या खाद्य सामग्री तैयार करने में प्रतिबंधित किया गया है।

इन पांच बिंदुओं का रखना होगा रिकार्ड 

इसकी रोकथाम के लिए हर दिन 50 लीटर से अधिक खाद्य तेल का इस्तेमाल करने वाले होटल-रेस्टोरेंट व प्रतिष्ठानों को पांच चीजों का रिकार्ड रखना होगा। उन्होंने कहां से कितना खाद्य तेल खरीदा,  कितना इस्तेमाल किया और कितना डिस्कार्ड यानी खराब घोषित किया। जितने तेल को खराब घोषित किया, उसे किस एजेंसी को बेचा और उसकी रसीद।

अभी जला तेल खरीदने वाली एजेंसी तय नहीं 

व्यापारियों का कहना है कि वे खाद्य तेल खराब होते ही उसे फेंक देते हैं। अब उसके भंडारण और बेचने की बात कही जा रही है। हालांकि, अभी तक खाद्य संरक्षा विभाग ने यह नहीं बताया है कि जले तेल से बायो डीजल बनाने के लिए उनके प्रतिष्ठान से कौन एजेंसी उसकी खरीदारी करेगी। पदाधिकारी ने बताया कि वरीय अधिकारी जल्द ही तेल खरीदने वाली एजेंसी तय कर लेंगे। एजेंसी हर प्रतिष्ठान पर जाकर वहां से जला तेल एकत्र करेगी और उसे बायो डीजल बनाने वाली कंपनी को भेज देगी। केएफसी और मैकडोनाल्ड अपना जला तेल किसी एजेंसी को बेच रहे हैं।

60 हजार लीटर से अधिक जला तेल निकलता है जिले में 

जिले के होटल, रेस्टोरेंट, मिठाई व नमकीन कारखानों से हर वर्ष 60 हजार लीटर से अधिक जला तेल निकलता है। यदि स्ट्रीट वेंडर व छोटी दुकानों को इसमें जोड़ दिया जाएगा तो यह एक लाख किलोग्राम से अधिक हो जाएगा। ऐसे में एफएसएसएआइ को उम्मीद है कि देश में यदि सही ढंग से जला तेल एकत्र कर उससे बायो डीजल तैयार किया जाए तो देश को काफी कम डीजल आयात करना पड़ेगा।

प्रतिष्ठान-  हर वर्ष फेंका जाता जला तेल

हरिलाल स्वीट्स : 7200 किलोग्राम

मैकडोनाल्ड :  3600 किलोग्राम

केएफसी : 6300 किलोग्राम

हल्दीराम भुजिया : 4880 किलोग्राम

बीकानेर स्वीट्स : 3600 किलोग्राम

सुरभि नमकीन : 2160 किलोग्राम

लक्ष्मी दालमोठ : 1080 किलोग्राम

गोपाल नमकीन आरा : 10 हजार 800 किलोग्राम 

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