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Bihar Politics: अब नीतीश कुमार नहीं रहे बड़े भाई, BJP ने दोनों सदनों में कर दिया 'खेला'; बदल गया नंबर गेम

बिहार की राजनीति में अब नीतीश कुमार बड़े भाई के रोल में नहीं हैं। बिहार विधानसभा और विधान परिषद में बड़ा भाई बनने के साथ ही बीजेपी की हनक बढ़ गई है। विधानसभा में भाजपा के पास सर्वाधिक 78 विधायक हैं। वहीं दूसरे नंबर पर राजद है। 77 विधायकों के साथ राजद दूसरी एवं जदयू 44 विधायकों के साथ तीसरी बड़ी पार्टी है।

By Raman Shukla Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 26 Jun 2024 09:02 PM (IST)
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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी।

राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Assembly And Vidhan Parishad Seats विधान मंडल में सर्वाधिक सदस्यों की संख्या के साथ ही भाजपा की हनक बढ़ने लगी है। अब विधानसभा में 78 विधायक एवं विधान परिषद में 24 सदस्यों की संख्या होने के साथ ही दोनों सदन के शीर्ष पद पर भाजपा का कब्जा हो गया है।

विधानसभा अध्यक्ष एवं विधान परिषद के सभापति पद पर भाजपा ने क्रमश: राजद के आधार वोट बैंक वाले नेताओं को बैठाकर 2025 के विधानसभा चुनाव को साधने की जुगत में जुट गई है। सीधे तौर पर 14 प्रतिशत आबादी वाले यादव समुदाय के वरिष्ठ नेता नंदकिशोर यादव को विधानसभा अध्यक्ष बनाकर दूरगामी संदेश दिया था।

अब शाहाबाद एवं मगध की हार के बाद विधान परिषद में राजपूत समुदाय के अवधेश नारायण सिंह को सभापति बनाकर पार्टी के रणनीतिकारों ने दूरगामी संदेश देने की पहल की है। उल्लेखनीय है कि लोकसभा में भाजपा शाहाबाद एवं मगध मिलाकर पांच सीटें हार गई है।

जानिए क्यों बदली स्थिति

लोकसभा चुनाव में राजद के तीन विधायकों के सांसद बनने और विधानसभा से त्यागपत्र देने के बाद राजद ने बड़ी पार्टी की हैसियत खो दी है। अब दोनों सदनों में भाजपा ही सिरमौर है। दोनों सदनों के आसन पर भी भाजपा विराजमान है और बड़ी पार्टी के रूप में सदन में अधिक समय का हकदार बन गई है।

सदन प्रमुख की बात करें तो विधान सभा में नंद किशोर यादव अध्यक्ष हैं तो विधान परिषद में अवधेश नारायण सिंह कार्यकारी सभापति हैं। लोकसभा चुनाव में विधान मंडल के पांच सदस्य सांसद बन गए हैं। इसमें विधानसभा के चार एवं विधान परिषद के एक सदस्य सम्मिलित हैं।

सुरेंद्र प्रसाद यादव (गया), सुधाकर सिंह (बक्सर), सुदामा प्रसाद (आरा), जीतनराम मांझी (गया) और देवेश चंद्र ठाकुर (सीतामढ़ी) से लोकसभा के लिए चुने गए हैं। इन सदस्यों के इस्तीफे के कारण दोनों सदन में दलगत संख्या में फेरबदल हुआ है। आने वाले दिनों में राजद सदस्यों की संख्या और घट सकती है।

विधान सभा के संदर्भ में बता दें कि कुछ सदस्यों के खिलाफ दल बदल कानून के तहत कार्रवाई विचाराधीन है। इसलिए उन्हें अभी मूल पार्टी के सदस्य के रूप में ही गिन रहे हैं। बजट सत्र के दौरान सदन में पाला बदलने वालों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

आगे कार्रवाई की उम्मीद भी नहीं दिख रही है। वैसे विधान सभा की रुपौली और विधान परिषद की विधान सभा कोटे की एक सीट के लिए चुनाव प्रक्रियाधीन है।

विधानसभा में भाजपा के सर्वाधिक 78 विधायक

विधानसभा में भाजपा सदस्यों की संख्या 78 है। 77 विधायकों के साथ राजद दूसरी एवं जदयू 44 विधायकों के साथ तीसरी बड़ी पार्टी है। विधान सभा में कांग्रेस के 19, माले के 11, हम के तीन, सीपीआइ के दो, सीपीएम के दो, एआइएमआइएम के एक और निर्दलीय एक सदस्य हैं।

इधर, विधान परिषद में 24 सदस्यों के साथ भाजपा सबसे बड़ी, जबकि 21 सदस्यों के साथ जदयू दूसरी बड़ी पार्टी बन गई है। राजद के 15, कांग्रेस के तीन, सीपीआइ, हम, लोजपा और माले के एक-एक सदस्य हैं। वहीं, निर्दलीय छह हैं। परिषद की दो सीट रिक्त है।

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