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Bihar Assembly Winter session Live: सामान्य वर्ग के 2.64 लाख और पिछड़ा वर्ग के 1.73 लाख लोगों के पास है चार पहिया वाहन, ये हैं आंकड़ें

बिहार के विधानसभा में जातीय गणना की आर्थिक रिपोर्ट जारी कर दी गई है। इससे पता चला है कि राज्य में गरीब लोगों की संख्या 94 लाख से अधिक है। वहीं पटना में आज आंगनबाडी कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर बिहार विधानसभा का घेराव कर दिया। दूसरी तरफ भाजपा विधायकों ने भी जातीय गणना की रिपोर्ट और आंगनबाडी कार्यकर्ताओं के मुद्दों को लेकर विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया।

By Jagran NewsEdited By: Mukul KumarUpdated: Tue, 07 Nov 2023 03:38 PM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर
डिजिटल डेस्क, जागरण। भाजपा विधायकों ने जातीय गणना की रिपोर्ट और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मांगों को लेकर विधानसभा के बाहर प्रदर्शन कर दिया। वह बिहार सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करते नजर आए।

बता दें कि बिहार में जातीय गणना की आर्थिक रिपोर्ट विधानसभा में पेश कर दिया गया है। इससे पता चला है कि राज्य में गरीबों की कुल संख्या 94,42,786 है। इन लोगों की मासिक आय केवल छह हजार रुपये तक है।

इस बीच, पटना में आंगनबाडी कार्यकर्ताओं ने अपनी मांगों को लेकर बिहार विधानसभा का कर दिया। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें कीं। वहीं, प्रदर्शन के दौरान एक कार्यकर्ता बेहोश हो गई, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया।

सामान्य और पिछड़े वर्ग के पास चार पहिया वाहन

आंकड़े बताते हैं कि सामान्य वर्ग के 2.64 लाख यानी 1.31 प्रतिशत लोगों के पास अपने चार पहिया वाहन हैं। इसके अलावा अत्यंत पिछड़ा वर्ग में कुल आबादी में 95 हजार 57 लोगों के पास चार पहिया वाहन है यानी 0.20 प्रतिशत ही चार पहिया वाहन के मालिक हैं।

इसी प्रकार अनुसूचित जाति की कुल आबादी 2 करोड़ 56 लाख से अधिक होने के बावजूद मात्र 31,145 लोग ही चार पहिया वाहन रखते हैं। हालांकि अनुसूचित जनजाति में हालात थोड़े बेहतर हैं।

पिछड़ा वर्ग में यादवों के बाद कुशवाहा परिवार गरीब

बिहार में पिछड़ा वर्ग के आंकड़ों पर नजर डालें तो यादवों के बाद कुशवाहा और कुर्मी समाज के परिवार गरीब हैं। इनके बाद बनिया हैं।

वहीं, कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन पर राजद सांसद मनोज झा ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, 'लोकतंत्र में हर किसी को सरकार के सामने अपनी बात रखने का अधिकार है। सरकार को उनकी मांगों पर ध्यान भी देना चाहिए...वर्तमान बिहार सरकार में लोगों की मांगों को गंभीरता से लिया जाता है और उस पर चर्चा की जाती है...'

फलीस्तीन पर हमले बंद करने की मांग को लेकर हंगामा

गौरतलब है कि बिहार विधानमंडल की कार्यवाही प्रारंभ होने के पूर्व सोमवार को विधानसभा परिसर में भाकपा (माले) ने गाजा (फलीस्तीन) पर हमले बंद करने की मांग को लेकर पोस्टरों के साथ प्रदर्शन किया। माले नेताओं ने केंद्र सरकार पर भी हमला बोला।

पोस्टर पर लिखा गया था- भारत की विदेश नीति को इजरायल-अमेरिका धुरी के समक्ष गिरवी रखना बंद करो। प्रदर्शन के दौरान माले विधायक महबूब आलम ने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के पुराने बयान का हवाला देकर कहा कि उन्होंने कहा था कि भारत परंपरागत रूप से फलस्तीन की जनता की आजादी के साथ है।

वाजपेयी जी ने कहा था कि फलस्तीन की कब्जाई जमीन इजरायल को छोड़नी होगी। अगर ऐसा नहीं होता है तो फलस्तीन की जनता को जंग का एलान करने का हक है। वहीं, विधानसभा में पहली बार शोक प्रकाश के बाद दो मिनट के मौन के दौरान नारेबाजी हुई। नारेबाजी भी अंतरराष्ट्रीय मुद्दे पर हुई।

मौन के दौरान नारेबाजी

सोमवार को जब विधानसभा का शीतकालीन सत्र आरंभ हुआ तो परंपरा के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष ने जननायकों को आसन से श्रद्धांजलि दी।  

इसके बाद उन्होंने दो मिनट के मौन के लिए सदस्यों से कहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव सहित पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्य खड़े हो गए। इसी दौरान नारेबाजी होने लगी। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष को महसूस हुआ कि शायद किसी का नाम छूट गया है।

उन्होंने अपने अधिकारी से इस बारे में पूछा। तब उन्हें स्पष्ट हुआ कि मामला कुछ अलग है। दरअसल, भाकपा (माले) विधायक दल के नेता महबूब आलम मांग कर रहे थे कि इजरायल के आक्रमण में फलस्तीन में जो बच्चे, महिलाएं व निर्दोष मारे गए उनके लिए भी विधानसभा में शोक प्रस्ताव पढ़ा जाए। 

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