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Bihar Bhumi Survey 2024: एक ही प्लॉट में दो के नाम, कैसे होगा सर्वे का काम? नोट करें एक-एक बात

करीब 50 वर्षों से जमीन का स्वामित्व रखने वाले रैयतों को जिला अभिलेखागार से जमींदारी रिटर्न की प्रति नहीं दी जा रही है। सीओ गीता कुमारी ने बताया कि मृत और पूर्व रैयत के नाम पर जमाबंदी की जानकारी प्राप्त हुई है। राजस्व कर्मचारी को ऐसी पुराने जमाबंदियों को बंद कर उनके उत्तराधिकारी के नाम पर करने का निर्देश दिया गया है।

By Vyas Chandra Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 20 Sep 2024 07:54 PM (IST)
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बिहार जमीन सर्वेक्षण से जुड़ी अहम बातें। जागरण
जागरण टीम, पटना। बिहार विशेष सर्वेक्षण शुरू होने के साथ जमीन के दस्तावेजों में कई तरह की खामियां सामने आ रही हैं। रैयतों की जमाबंदी अद्यतन नहीं है। नतीजा है कि रैयतों को कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ रहा है। दनियावां में राजस्व कर्मियों के प्रशिक्षण की कमी और बिचौलियों की सक्रियता से जमाबंदी पंजी अद्यतन नहीं हो पा रही है। इसका खामियाजा पुराने रैयतों को भुगतना पड़ रहा है।

ऑनलाइन म्यूटेशन के आधार पर रजिस्ट्री में जमीन खरीदार के नाम पर कर दी गई, लेकिन पुराने रैयत के नाम से घटाया नहीं गया। इसका मुख्य कारण राजस्व कर्मचारियों की जगह बिचौलियों का काम करना है।

बताया जाता है कि शाहजहांपुर गांव के सैकड़ों किसानों ने 2011 से 2019 तक दो सौ बीघा से अधिक भूमि सीमेंट कंपनी को बेच दी। सीमेंट कंपनी ने केवाला के आधार पर अंचल कार्यालय से सीमेंट कंपनी के नाम पर दाखिल-खारिज करा नई जमाबंदी कायम कर ली, लेकिन राजस्व कर्मियों ने विक्रेता के नाम से जमीन का रकबा घटाया नहीं। इस कारण एक ही खाता–खेसरा पुरानी जमाबंदी और नई जमाबंदी पर अंकित है। यह सर्वे कार्य में बड़े विवाद का कारण बन सकती है।

ऐसी स्थिति सिर्फ सीमेंट कंपनी की ही नहीं है। सैकड़ों किसानों के साथ यह समस्या है। इससे एक ही भूमि का लगान पुराने और नए रैयत से भी वसूला जा रहा है। शाहजहांपुर में ही कई रैयत की वर्षो पूर्व मृत्यु हो चुकी है। उनकी जमीन पुत्रों के नाम पर बंटवारा कर चढ़ा दी गई लेकिन पुरानी और नई जमाबंदी में मृतक का ही नाम है। अब जब सर्वे का काम शुरू हुआ लोग सजग हुए हैं तो यह समस्या सामने आई है।

करीब 50 वर्षों से जमीन का स्वामित्व रखने वाले रैयतों को जिला अभिलेखागार से जमींदारी रिटर्न की प्रति नहीं दी जा रही है। इसके कारण बिहार विशेष सर्वे कार्य में रैयतों को दस्तावेज जमा करने में परेशानी हो रही है। सीओ गीता कुमारी ने बताया कि मृत और पूर्व रैयत के नाम पर जमाबंदी की जानकारी प्राप्त हुई है। राजस्व कर्मचारी को ऐसी पुराने जमाबंदियों को बंद कर उनके उत्तराधिकारी के नाम पर करने का निर्देश दिया गया है।

मसौढ़ी के पंचायतों में प्रपत्र का वितरण भी अब तक नहीं

मसौढ़ी: भूमि सर्वेक्षण की शुरुआत की गति काफी धीमी है। पंचायतों मे अब तक किसानों और अन्य लोगों को सर्वे संबंधित जानकारी देने और उन्हें फार्म वितरण के लिए शिविर नहीं लगाए गए हैं। कुछ पंचायतों में शिविर लगाए भी गए हैं तो जानकारी के अभाव में लोगों की भागीदारी कम रही। हरवंशपुर गांव के वार्ड सदस्य अरुण प्रसाद बताते हैं कि पिछले दिनों उनकी पंचायत चपौर में शिविर लगा, लेकिन जानकारी के अभाव में कम ही लोग पहुंचे। बाद में अमीन आधा दर्जन ग्रामीणों का फार्म लेकर लौट गया।

तिनेरी पंचायत के पूर्व मुखिया राकेश कुमार ने बताया कि कुछ दिन पूर्व मध्य विद्यालय तिनेरी में ग्रामसभा हुई थी। यहां भी प्रचार-प्रसार के अभाव में बहुत कम लोग ही आ सके। बुधवार को रेवां पंचायत भवन में शिविर में तिनेरी पंचायत के लोगों को भी बुलाया गया है। आरोप है कि जब तिनेरी पंचायत के गोपालपुर में सामुदायिक भवन है तो यहां शिविर नहीं लगाना किसानों को परेशान करना है।

रसीद नहीं कटने से परेशान हैं ग्रामीण

गोपालपुर के राधे शर्मा बताते हैं कि उन्होंने अपनी जमीन की रसीद कटाने के लिए करीब एक माह पूर्व आनलाइन आवेदन किया था। लेकिन आजतक रसीद नहीं कटा। बसौर के जयशंकर प्रसाद तो दो माह से रसीद कटने का इंतजार कर रहे हैं। जमालपुर के सतीश कुमार को यह समस्या एक-दो नहीं कई महीने से है। इस वजह से उनके और भाई के बीच जमीन का बंटवारा नहीं हो सका है। बेर्रा पंचायत के पूर्व मुखिया मो नसीमुद्दीन बताते हैं कि डीसीएलआर के अपीलवाद आदेश के बाबजूद सालभर से उनकी जमीन का सीमांकन नहीं हो सका है।

फतुहा में प्रपत्र भरवाने के लिए भीड़

फतुहा प्रखंड के मोमिंदपुर पंचायत के मुखिया रणधीर यादव का कहना है कि स्वयं वंशावली बनाने में गड़बड़ी की ज्यादा संभावना है। चकबिहरी गांव निवासी जितेंद्र प्रसाद आर्य ने बताया कि सर्वे शुरू होने से पहले भूस्वामियों को प्रपत्रों को भरने के लिए पूरी जानकारी देना चाहिए था। गांव के रैयत अभी भी प्रपत्रों को नहीं भर पा रहे हैं। प्रतिदिन दर्जनों की संख्या में भूस्वामी प्रपत्र लेकर इसके भरने की जानकारी लेने सर्वे कार्यालय पहुंच रहे हैं।

नथूपुर निवासी विनय कुमार का कहना है सर्वे में एक और बड़ी समस्या रसीद में खाता-खेसरा नंबर की गड़बड़ी है। कुछ भूस्वामियों के साथ यह भी समस्या है एक ही खाता प्लाट नंबर की जमीन को अलग-अलग लोगों ने बेच दिया है। इस कारण उस जमीन की दाखिल-खारिज रोक दी गई।

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