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Bihar Bhumi Survey: जमीन सर्वे से राहत कम आफत ज्यादा! डॉक्युमेंट रीडिंग के लिए लग रहे 15 से 20 हजार रुपये

बिहार भूमि सर्वेक्षण (Bihar Jamin Survey) में कैथी लिपि के दस्तावेजों को लेकर जमीन मालिकों की परेशानी बढ़ गई है। कैथी लिपि पढ़ने वालों की कमी के कारण उन्हें 15 से 20 हजार रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं। कई किसानों के पास पुराने दस्तावेज कैथी लिपि में ही हैं जिससे उन्हें जमीन के कागजात जुटाने में परेशानी हो रही है।

By Vyas Chandra Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 18 Sep 2024 06:34 PM (IST)
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जमीन सर्वे बना जी का जंजाल! दर-दर भटक रहे लोग

जागरण टीम, पटना। हम खतियानी भूमि के मालिक हैं। जमीन के दस्तावेज 'कैथी' लिपि में हैं। जो कुछ जानकार लोग हैं वे, इसे पढ़ने के लिए मुंहमांगी रकम मांग रहे हैं। कोई 15 तो कोई 20 हजार मांग रहा है। यह कहना है बिहटा के रामानुज सिंह, दीपक सिंह, बिपिन बिहारी जैसे रैयतों का। वे दस्तावेज पढ़वाने के लिए दानापुर से भोजपुर तक की खाक छान रहे हैं।

ऐसी दिक्कत किसी एक या दो भू स्वामियों की नहीं है, हजारों लोग इस परेशानी से जूझ रहे हैं। बिहार विशेष सर्वेक्षण की प्रक्रिया जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, रैयतों की समस्याएं भी बढ़ती जा रही है। जमीन के कागजात जुटाने में उन्हें पसीना बहाना पड़ रहा है। कई रैयत ऐसे हैं जिनका दखल-कब्जा तो जमीन पर है, लेकिन कोई दस्तावेज नहीं है। ऐसे लोग कार्यालयों का चक्कर लगा रहे हैं।

दिवाली और छठ से पहले ही परदेस में रहने वाले गांव आ चुके हैं। खेतों में पहुंचकर मेड़ दुरुस्त करवाने में वे जुटे हैं। हालांकि, जिला बंदोबस्त पदाधिकारी का स्पष्ट कहना है कि प्रपत्र दो और तीन (1) भरकर जितने दस्तावेज हैं उन्हीं को जमा करें। कागजात एकत्र करने के लिए अवरस भी मिलेगा।

कैथी लिपि के जानकारों की कमी से लोगों की परेशानी बढ़ी

बिहटा नगर परिषद क्षेत्र को छोड़ कर 22 पंचायतों के 88 मौजा सर्वे चल रहा है। कैथी लिपि में लिखे गए दस्तावेज से लोगों की परेशानी बढ़ गयी है। भूमि सर्वे में लगे अधिकतर कर्मचारियों को कैथी लिपि का ज्ञान नहीं है। इस लिपि के जानकार कम हैं। बहुत सारे किसानो के पास पुराने जो भी दस्तावेज हैं, वो कैथी लिपि में ही हैं।

रैयतों का कहना है कि इसे पढ़ने वाले नहीं मिल रहे। जो जानकार हैं, वे काफी पैसे मांग रहे हैं। दानापुर गए तो एक खतियान के अनुवाद के 15 एवं आरा 20 हजार रुपये की मांग कर रहे हैं। यह भी स्पष्ट नहीं है कि जो वे पढ़कर बताएंगे वह कितना सही है।

माल गुजारी रसीद नहीं, रजिस्टर 2 के फटे रहने से हो रही परेशानी

मनेर प्रखंड की सिंघाड़ा पंचायत के किसान विजय कुमार सिंह कहते हैं कि पहले सबका मालगुजारी रसीद मुकम्मल होता तब सर्वे की प्रक्रिया होती तो ठीक रहता। ब्रज किशोर सिंह को रजिस्टर 2 के फटे रहने से परेशानी हो रही है। कहते हैं कि पहले उसे ठीक कराया जाए। कई किसानों का कहना था कि ज्यादातर लेागों की भूमि रसीद पर प्लाट की जगह शून्य रकबा दर्शाया गया है। यह भी काफी परेशान करने वाली है।

वंशावली में नहीं दे रहे बहन के नाम

भूस्वामियों को प्रपत्र भरने में परेशानी हो रही हैं। प्रपत्र भरने के बाद उसे दूसरों से दिखाकर संतुष्ट होना चाहते हैं। इसके कारण भीड़ ज्यादा हो रही है। रैयतों का कहना है कि सहायता केंद्र की व्यवस्था होनी चाहिए थी। विवादित जमीन के कागज जमा करने में आपाधापी हो रही है।

लाला भदसरा के मुखिया अरबिंद कुमार मौर्य ने बताया कि स्वयं वंशावली देने में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही हैं। मनमर्जी से वंशावली से नाम हटाने व जोड़ने का काम किया जा रहा है। बहनों के नाम वंशावली से लोग गायब रख रहे हैं।

सेल्हौरी के जसवंत कुशवाहा, सदावह के पूर्व मुखिया सनिल सिंह, सोरंगपुर अजेश शर्मा ने बताया कि भूस्वामियों को सर्वे के लिए भरे जाने वाले प्रपत्रों को भरने के लिए पूरी जानकारी नहीं दी गई। भूस्वामियों को प्रपत्र भरने की पूरी जानकारी देने का अभियान चलाया जाए। प्रतिदिन लगभग 90 से 100 की संख्या में भूस्वामी प्रपत्र जमा कर रहे हैं।

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