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Bihar Budget: आय से अधिक बढ़ा सरकार का खर्च, वित्त विभाग संभालते ही सम्राट चौधरी ने सब कुछ कर दिया साफ; अब ऐसे होगा बिहार का विकास

Bihar Budget Session पहली बार वित्त विभाग का दायित्व संभाल रहे उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी इसे बखूबी समझ रहे। आर्थिक समीक्षा की रिपोर्ट जारी करते हुए सोमवार को उन्होंने इस सच्चाई को स्वीकार किया कि अभी बिहार के विकास का सारा दारोमदार केंद्र से मिलने वाली राशि पर है। ऐसे में बिहार को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए राजस्व के नए स्रोतों का सृजन करना ही होगा।

By Jagran News Edited By: Mukul KumarUpdated: Tue, 13 Feb 2024 09:13 AM (IST)
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बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा
राज्य ब्यूरो, पटना। संसाधनों के यथोचित उपयोग और राजकोषीय घाटा को नियंत्रित रखते हुए बिहार ने विकास की ऊंची छलांग तो लगाई है, लेकिन सरकार का बढ़ता खर्च आगाह कर रहा कि राज्य को राजस्व के नए स्रोत चिह्नित और विकसित करने होंगे।

पहली बार वित्त विभाग का दायित्व संभाल रहे उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी इसे बखूबी समझ रहे। आर्थिक समीक्षा की रिपोर्ट जारी करते हुए सोमवार को उन्होंने इस सच्चाई को स्वीकार किया कि अभी बिहार के विकास का सारा दारोमदार केंद्र से मिलने वाली राशि पर है।

राजस्व के नए स्रोतों का सृजन करना ही होगा

ऐसे में बिहार को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए राजस्व के नए स्रोतों का सृजन करना ही होगा। व्यर्थ के व्यय में कटौती और वित्तीय घाटे को नियंत्रित करते हुए अनुत्पादक विभागों को कमाऊ बनाना होगा। उसी के बाद राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) भी बढ़ेगा और प्रति व्यक्ति आय भी।

अभी वित्तीय वर्ष 2022-23 में वर्तमान मूल्य पर विकास दर में 15.5 प्रतिशत वृद्धि अनुमानित है। वहीं स्थिर मूल्य पर यह 10.6 प्रतिशत है। इसी अवधि में 13.9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ प्रति व्यक्ति आय 59,637 रुपये वार्षिक हो गई। इसकी तुलना में सरकार का खर्च अधिक बढ़ा है।

राजकोषीय घाटा नियंत्रण में

2022-23 में यह 2,31,904 करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 20.1 प्रतिशत अधिक है। कुल 14 अध्यायों वाली यह रिपोर्ट प्रगति के पथ पर आगे बढ़ निकले बिहार का एक सुनहरा तस्वीर प्रस्तुत करती है। हालांकि, छह प्रतिशत का राजकोषीष घाटा उस फ्रेम को कुछ बदरंग भी करता है।

विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 को छोड़ दें तो राजकोषीय घाटा नियंत्रण में है और सरकार इसे तीन प्रतिशत पर लाने के लिए प्रतिबद्ध है। 2023-24 के लिए यही अनुमानित है।

प्रेस-वार्ता में उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने आशा जताई कि सम्राट के नेतृत्व में बिहार की अर्थव्यवस्था अपने लक्ष्य तक पहुंचेगी और रोजी-रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे। कृषि और सहवर्ती क्षेत्र ने बिहार के विकास में औसतन 20 प्रतिशत का योगदान दिया है।

उत्पादन से अब आत्मनिर्भरता की स्थिति

खाद्यान, दूध और मांस-मछली आदि के बढ़े उत्पादन से अब आत्मनिर्भरता की स्थिति है। निर्माण और संचार क्षेत्र महत्वपूर्ण वाहकों के रूप में उभरे हैं। 2011-12 के 27 हजार करोड़ से डेढ़ गुणा बढ़कर निर्माण क्षेत्र 2022-23 में 40.9 हजार करोड़ का हो गया। नियोजन की संभावनाएं भी बढ़ी हैं।

कौशल विकास कार्यक्रमों पर 58,875 लाख खर्च का बेहतर फलाफल यह कि श्रम-शक्ति सहभागिता दर कुल जनसंख्या का लगभग 51 प्रतिशत हो गई है। नौकरियों के साथ स्व-रोजगार के सृजन में बैंकों ने भी भूमिका बढ़ाई है। 31 मार्च, 2023 को ऋण-साख जमा अनुपात बढ़कर 55.6 प्रतिशत हो गया है।

2021-22 में जो एनपीए 11.3 प्रतिशत था, वह घटकर 2022-23 में 9.3 प्रतिशत रह गया। वर्ष 2019-20 से 2023-24 के बीच निवेश के 1934 प्रस्ताव प्राप्त हुए। इनमें से 53607.27 करोड़ की राशि वाले 1689 प्रस्तावों को अनापत्ति प्रमाण पत्र भी मिल गया।

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