जाति आधारित गणना पर नीतीश सरकार को फिर झटका, पटना हाईकोर्ट के आदेश पर SC ने रोक लगाने से किया इनकार
इस पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल है। पटना हाई कोर्ट के चार मई के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में बिहार सरकार ने कहा है कि जाति आधारित गणना पर रोक से पूरी कवायद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
पटना/नई दिल्ली, एजेंसी। बिहार में जाति आधारित गणना को लेकर नीतीश सरकार को फिर झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार में जाति आधारित गणना से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय करोल ने बुधवार को बिहार में जाति आधारित गणना से संबंधित याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। इस कारण याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी थी।
बिहार सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जाति आधारित गणना पर रोक लगाने के पटना हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई है। न्यायमूर्ति करोल को छह फरवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। अब गुरुवार को जस्टिस अभय ओक और जस्टिस राजेश बिंदल के कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी।
SC refuses to stay Patna HC order halting caste survey conducted by Bihar government— Press Trust of India (@PTI_News) May 18, 2023
उससे पहले, वह पटना हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवाएं दे रहे थे। उन्होंने कहा कि वह कुछ संबंधित मुकदमों में पक्षकार थे, जिन पर पहले हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी। सुप्रीम कोर्ट की संबंधित पीठ ने इसके बाद याचिका को भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया, ताकि सुनवाई के लिए एक उपयुक्त पीठ का गठन किया जा सके।
इस पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवई भी शामिल है। पटना हाई कोर्ट के चार मई के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में बिहार सरकार ने कहा है कि जाति आधारित गणना पर रोक से पूरी कवायद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। राज्य सरकार ने यह भी कहा है कि जाति आधारित डेटा का संग्रह अनुच्छेद 15 और 16 के तहत एक संवैधानिक जनादेश है।
संविधान का अनुच्छेद 15 कहता कि राज्य धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के भी आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं करेगा। वहीं, अनुच्छेद 16 कहता है कि राज्य सरकार के अधीन किसी भी कार्यालय में नियोजन या नियुक्ति के संबंध में सभी नागरिकों के लिए समान अवसर उपलब्ध होंगे। बिहार सरकार ने दलील दी है कि राज्य ने कुछ जिलों में जातिगत जनगणना का 80 प्रतिशत से अधिक सर्वे कार्य पूरा कर लिया है। पूरा तंत्र जमीनी स्तर पर काम कर रहा है। विवाद में अंतिम निर्णय आने तक इस अभ्यास को पूरा करने से कोई नुकसान नहीं होगा।