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Bihar caste report: बिहार में 190 ऐसी जातियां, जिनकी आबादी एक प्रतिशत भी नहीं; रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े

Bihar caste census Survey report बिहार सरकार की ओर से सोमवार यानी गांधी जयंती के मौके पर जातीय आधारित जनगणना की रिपोर्ट जारी की गई है। रिपोर्ट में दिलचस्प आंकड़ा सामने आया है कि बिहार में जिन 215 जातियों की गणना हुई उनमें 190 जातियां इस श्रेणी की हैं जिनकी आबादी एक प्रतिशत भी नहीं। पढ़िए कौन-कौन सी जातियां हैं जो एक प्रतिशत से भी कम हैं...

By BHUWANESHWAR VATSYAYANEdited By: Deepti MishraUpdated: Mon, 02 Oct 2023 05:36 PM (IST)
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Bihar caste census Survey report : जाति आधारित गणना की रिपोर्ट जारी करते बिहार सरकार के मुख्‍य अपर सचिव।
भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। Bihar caste census Survey report : जाति आधारित गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद यह दिलचस्प आंकड़ा भी सामने आया है कि बिहार में जिन 215 जातियों की गणना हुई, उनमें 190 जातियां इस श्रेणी की हैं, जिनकी आबादी एक प्रतिशत भी नहीं।

बिहार में केवल 25 जातियां ही इस श्रेणी की हैं, जिनकी संख्या एक प्रतिशत से अधिक है। एक प्रतिशत से कम आबादी वाले लोग अति पिछड़ा, मुस्लिम व सवर्ण समाज में भी हैं।

अगड़ी जाति में कायस्थ सहित कई बिरादरी 1% कम

अगड़ी जाति के लोगों की गणना के संबंध में जो रिपोर्ट है उसके अनुसार, कायस्थ सहित मुस्लिम समाज की दो अगड़ी जातियों की संख्या एक प्रतिशत से कम है। कायस्थ की संख्या बिहार की कुल आबादी का 0.6011 प्रतिशत है।

मुस्लिम समाज में पठान अगड़ी जाति में हैं। इनकी संख्या 0.7548 प्रतिशत है। सैयद भी मुस्लिम समाज में अगड़ी जाति की गिनती में हैं। इनकी संख्या कुल आबादी का 0.2279 प्रतिशत है।

अति पिछड़ी जाति में 1% से कम वाले काफी संख्या में

जाति आधारित गणना की रिपोर्ट में समेकित रूप से अति पिछड़ा वर्ग के लोगों की संख्या तो सबसे अधिक है, लेकिन अगर इन जातियों का ब्रेकअप देखा जाए तो इनमें एक प्रतिशत से कम संख्या वाली जातियों की संख्या सबसे अधिक है।

इन जातियों में अघोरी, अदरखी, अबदल, अमात, अवध बनिया, असुर, अगरिया, इदरीसी , ईटफरोश, गदहेड़ी, ईंटपज इब्राहिमी, ईसाई धर्मावलंबी (हरिजन) उरांव, कपरिया,करमाली, कलंदर, कवार, कसाब, कागजी, कादर, किसान नागोसिया, कुल्हैया, केवट, केवर्त, गोल, कौरा, कोरा, कोस्कू, कौरवा, कोल, कोस्ता, कुरारियार और कंजर एक प्रतिशत से कम संख्या वाली जातियां हैं।

इनके अलावा, खटवा, खटिक, खटिक, खलौरी, खरवार, खरिया, खेलटा, खोंड, खंगर, गद्दी, गुलगुलिया, गोड़ी, गोंड, गोराइत, गोस्वामी, संन्यासी, गंगई, गंगोता, गंधर्व, घटवार, घासी, चनऊ, चपोता, चांय, चीक, चिक बराइक, चूड़ीहार, चेरों, छीपी, जट, जटपुतिया, जागा, जोगी, टिकुलहार, ठकुराई, डफाली, बांसफोड़ और ढेकारू की संख्‍या भी एक प्रतिशत से कम है।

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भार, भास्कर, भूइया. भूईयार, भोक्ता, मझवार, मडरिया, मदार, मदारी, मलार, मारकंडे, माल पहरिया, माहली, माली, मांगर, मुकेरी, मुन्हा पातर, गिरियासीन, मोरशिकार, मोरियारी, मौलिक, रजवार, राजधोबी, राजभर, राजवंशी, रौतिया, रंगरेज, रंगवा, लहेड़ी, लालबेगी.लोहरा, वनपर, विरिजिय और शिवहरी की आबादी  भी एक फीसदी से कम है। 

शेरशाहबादी, फकीर, सामरी वैश्य, सावर, सिंदुरिया बनिया, सुकियार, सूत्रधार, सेखड़ा, सिकलगर, सेंधवार, सोनार, सोयर, सौरिया पहाड़िया, सोता, संतराश, हलालखोर, हलवाई, गोलवारा, खत्री, धरामी, सूतिहर, बहेलिक, रस्तोगी, केवानी व अन्य भी एक प्रतिशत से कम संख्या वाली जातियां हैं।

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एससी-एसटी में भी 1% से कम आबादी वाले

अनुसूचित जाति व जनजाति में भी एक प्रतिशत से कम आबादी वाले हैं। इनमें धोबी रजक, धोबी (मुस्लिम), पासी, संथाल, भंगी, मेहतर, उरांव व डोम आदि का नाम लिया जा सकता ह।

(इस खबर में लिखे गए जातियों के नाम बिहार राज्य सरकार द्वारा जारी की गई जातिगत जनगणना की रिपोर्ट से जस के तस लिए गए हैं।)

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