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'क्या यह संयोग है कि मुख्यमंत्री और डिप्टी CM की जाति को...', Bihar Caste Census पर सुशील मोदी का बड़ा बयान

राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने बिहार की जाति आधार गणना पर कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि कुछ चुनिंदा जाति-धर्म के लोगों की गिनती में सरकार ने एक षड्यंत्र के तहत उपजाति-जोड़ो फार्मूला लगाया तो कई अन्य जातियों के लिए उपजाति-तोड़ो फार्मूला लगाया। सांसद ने जातियों के नए वर्गीकरण के लिए सरकार से आयोग गठित करने की मांग भी की।

By Raman ShuklaEdited By: Rajat MouryaUpdated: Sun, 08 Oct 2023 09:44 PM (IST)
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बिहार जाति आधारित गणना पर सुशील मोदी का बड़ा बयान। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, पटना। Sushil Modi On Caste Census राज्यसभा सदस्य सुशील मोदी ने कहा कि बिहार की जाति आधारित गणना में कुछ जातियों को कम और कुछ खास जातियों को उनकी उप जातियों को जोड़ कर ज्यादा दिखाने की शिकायतें मिल रही हैं। इसके निराकरण और जातियों का नया वर्गीकरण करने के लिए सरकार को हाई कोर्ट के किसी सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में आयोग गठित करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सर्वे में ग्वाला, अहीर, गोरा, घासी, मेहर, सदगोप जैसी दर्जन-भर यदुवंशी उपजातियों को एक जातीय कोड "यादव" देकर इनकी आबादी 14.26 प्रतिशत दिखाई गई। कुर्मी जाति की आबादी को भी घमैला, कुचैसा, अवधिया जैसी आधा दर्जन उपजातियों को जोड़ कर 2.87 फीसद दिखाया गया।

'क्या यह संयोग है कि मुख्यमंत्री और...'

सुशील मोदी ने पूछा कि क्या यह संयोग है कि मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की जाति को उप जातियों सहित गिना गया, जबकि वैश्य, मल्लाह, बिंद जैसी जातियों को उप जातियों में खंडित कर आबादी इतनी कम दिखाई गई कि इन्हें अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास नहीं हो?

सुशील मोदी ने कहा कि बनिया (वैश्य) की आबादी मात्र 2.31 प्रतिशत दिखाने के लिए इसे तेली, कानू, हलवाई, चौरसिया जैसी 10 उप जातियों में तोड़ दिया गया। यदि उप जातियों को जोड़ कर एक कोड दिया गया होता, तो यह संख्या 9.56 प्रतिशत होती। मल्लाह को 10 उप जातियों में तोड़ कर 2.60 प्रतिशत बताया गया। उप जातियों को जोड़ने पर मल्लाह जाति की आबादी 5.16 प्रतिशत होती। नोनिया जाति की आबादी 1.9 प्रतिशत दर्ज हुई, जबकि इनकी बिंद, बेलदार उप जातियों को जोड़ कर इनकी संख्या 3.26 प्रतिशत होती है।

'यह भेदभाव किसके आदेश से हुआ'

राज्यसभा सांसद ने कहा कि कुछ चुनिंदा जाति-धर्म के लोगों की गिनती में सरकार ने एक षड्यंत्र के तहत उपजाति-जोड़ो फार्मूला लगाया, तो कई अन्य जातियों के लिए उपजाति-तोड़ो फार्मूला लगाया। यह भेदभाव किसके आदेश से हुआ, इसकी जांच होनी चाहिए।

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