Bihar Caste Survey जाति आधारित रिपोर्ट पेश कर I.N.D.I.A के मॉडल बने नीतीश कुमार, इन राज्यों में भी उठ रही मांग
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By BHUWANESHWAR VATSYAYANEdited By: Mohit TripathiUpdated: Mon, 02 Oct 2023 06:48 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, पटना। जाति आधारित गणना की रिपोर्ट (Caste Based Report) जारी होने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) अब नए अंदाज में आईएनडीआई (INDIA) के लिए मॉडल के रूप में स्थापित हो गए। यही नहीं जाति आधारित गणना की रिपोर्ट (Bihar Caste Survey) जारी होने के बाद अन्य राज्यों के लिए भी यह रास्ता खुल गया कि वे चाहें तो अपने संसाधन से जाति आधारित गणना (Bihar Caste Survey) करा सकते हैं।
इन राज्यों में भी जाति गणना की उठी मांग
जाति आधारित गणना के नीतीश कुमार के कॉन्सेप्ट पर आईएनडीआईए (INDIA) में चर्चा पहले से भी होती रही है। पार्टी के शीर्ष नेताओं के सम्मेलन में राहुल गांधी ने जाति आधारित गणना की बात कही थी।कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जाति आधारित गणना कराए जाने के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा। मध्यप्रदेश की चुनावी सभाओं में भी इस पर चर्चा हो रही।
समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव यह कह चुके हैं कि अगर वह सत्ता में आए तो जाति आधारित गणना कराएंगे। दक्षिण के राज्यों में बिहार के इस माडल पर चर्चा हो चुकी है। अब जब रिपोर्ट आ गयी है तो इस माडल पर बात और अधिक मुखर होगी।
इस तरह बढ़ी बात
बात जुलाई 2021 की है। तब नीतीश कुमार भाजपा के साथ बिहार में सरकार चला रहेथे। तेजस्वी यादव ने नेता प्रतिपक्ष के रूप में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान यह कहा कि देश में जनगणना के साथ जाति आधारित गणना कराए जाने को ले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर आग्रह करना चाहिए।इसी सत्र के दौरान तेजस्वी ने मुख्यमंत्री से उनके विधानसभा कक्ष में भेंट की। कई अन्य दलों के प्रतिनिधि भी मिले। यह तय हुआ कि बिहार से एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री से मिलने जाएगा। उसका नेतृत्व नीतीश कुमार करेंगे। काफी दिनों तक प्रधानमंत्री कार्यालय से इस बारे में समय नहीं मिला।वर्ष 2021 में 23 अगस्त को नीतीश कुमार ने बिहार से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट की और देश स्तर पर जाति आधारित गणना कराए जाने की मांग रखी। प्रधानमंत्री ने प्रतिनिधिमंडल की बात तो सुनी पर कुछ निर्णय नहीं लिया।
कुछ दिनों बाद इस बारे में असहमति का पत्र केंद्र से आ गया। तब यह तय हुआ कि राज्य सरकार अपने संसाधन से जाति आधारित गणना कराएगी। इसी दौरान बिहार में महागठबंधन की सरकार भी बन गयी। कई तरह की न्यायिक पचड़े के बाद आखिरकार जाति आधारित गणना की रिपाेर्ट जारी हो गयी।
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