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किसी को गंगा ने बुलाया, तो कोई गंगा को ही घर तक लाया; काशी से पंडित आए, नीतीश कुमार के दिल्ली मिशन को समझें

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले आज एक दूसरे के विरोधी हैं लेकिन इन दोनों नेताओं में कई समानताएं हैं। नीतीश कुमार भी उस कुर्सी पर नजर बनाए हुए हैं जिस पर फिलहाल नरेंद्र मोदी काबिज हैं।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Updated: Mon, 28 Nov 2022 10:17 AM (IST)
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नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी। फाइल फोटो
पटना, आनलाइन डेस्क बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजर से दिल्ली दूर नहीं हुई है। राजगीर के इंटरनेशनल कन्वेंशन में हर घर गंगा जल (गंगा जल आपूर्ति योजना) के उद्घाटन के मौके पर भी इसकी गूंज रही। इस कार्यक्रम में गंगा, वाराणसी और दिल्ली की कुर्सी तीनों की चर्चा रही। दिलचस्प है कि इन तीनों चीजों का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी सीधा नाता है।

गंगा के बहाने राजनीति गर्म 

नरेंद्र मोदी जब पीएम पद के लिए बीजेपी के उम्मीदवार बने और चुनाव लड़ने वाराणसी आए, तो उन्होंने कहा था कि वे यहां खुद नहीं आए, बल्कि उन्हें गंगा ने बुलाया है। इधर, नीतीश कुमार का तो बचपन ही गंगा के किनारे बख्तियारपुर में गुजरा है। अब उनके प्रयासों से गंगा का पानी पाइप लाइन के जरिए हाथीदह से राजगीर गया और बोधगया तक पहुंच गया है। 

भगीरथ से हो रही तुलना

पाइप लाइन के जरिए गंगा के जल को राजगीर और गया तक लाकर जलाशय में स्टोर किया जा रहा है और यहां से घर - घर सप्लाई दी जा रही है। इस अनोखी योजना के लिए नीतीश कुमार की तुलना राजा भगीरथ से की जा रही है। अब बात वाराणसी की। राजगीर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा का हिस्सा है।

वाराणसी के पंडितों ने कराई पूजा 

राजगीर गंगा जलाशय के उद्घाटन से पहले वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा - अर्चना हुई। इसके लिए काशी यानी वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के आचार्यों को बुलाया गया था। पंडित पंकज मालवीय के निर्देशन में आचार्य मनीष मिश्र, आचार्य सोनू कुमार मिश्र और आचार्य त्रिलोकी पांडेय ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा की। ये पंडित भी व्यवस्था देख गदगद दिखे।

नीतीश को पुकार रहा देश

राजगीर के इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में सीएम नीतीश कुमार के कार्यक्रम के दौरान दिल्ली की कुर्सी का भी जिक्र उठा। बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार की योजनाओं और नीतियों की जरूरत पूरे देश को है। नीतीश को देश पुकार रहा है।

धीरे - धीरे बढ़ा रहे सधा कदम

बिहार के सीएम नीतीश कुमार पिछले दिनों बीजेपी से अलग होने के बाद देश भर में विपक्षी एकता की मुहिम शुरू किए थे। इस बाबत वे कई नेताओं से मिले और कई नेता उनसे भी आकर मिले थे। लेकिन, इसमें फिलहाल अधिक सफलता नहीं मिलते देख उनकी गतिविधियां इस दिशा में थोड़ी सीमित हुई हैं। हालांकि सधे कदमों के जरिए लक्ष्य तो लगातार नजर में है हीं।

हालात तय करेंगे आगे की रणनीति

जदयू अध्यक्ष ललन सिंह कहते हैं जिस नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के लिए योग्य उम्मीदवार हैं, लेकिन वे दावेदारी नहीं करने जा रहे हैं। दूसरी तरफ जदयू और राजद के कई नेता लगातार मंचों से नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने की आवाज उठाते रहते हैं। दो तरह की बातें इसलिए हैं कि नीतीश कुमार को दिल्ली पहुंचने के लिए तमाम दलों के समर्थन की जरूरत होगी। ऐसा तभी हो सकता है, जब एचडी देवगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल के वक्त जैसे हालात बनें।

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