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Bihar Earthquake: जब एक झटके में चली गई थी 10 हजार लोगों की जान... बिहार ने 1934 में देखा था तबाही का ऐसा मंजर

Bihar Earthquake बिहार समेत भारत के कई हिस्सों और नेपाल से लेकर चीन तक शुक्रवार देर रात भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए। बिहार में धरती के डोलने पर लोग दहशत में आ गए और अपने घरों से बाहर निकल आए। करीब 89 साल पहले भी बिहार में भूकंप ने बड़ी तबाही मचाई थी। दरअसल बिहार हाई सिस्मिक जोन में स्थित है।

By Jagran NewsEdited By: Prateek JainUpdated: Sat, 04 Nov 2023 09:15 AM (IST)
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Bihar Earthquake: बिहार में 1934 में आया था तबाही का मंजर। (बिहार भूंकप की फाइल फोटोज)

डिजिटल डेस्‍क, पटना। Bihar Earthquake 1934: शुक्रवार देर रात नेपाल, चीन समेत के भारत के कई हिस्‍सों में तेज भूकंप के झटके (Bihar Earthquake News) महसूस किए गए। इस दौरान बिहार में भी धरती डोल उठी, जिससे लोग दहशत में घरों से बाहर आ गए। जान‍िए बिहार में आख‍िर भूंकप के तेज झटके महसूस होने का कारण क्‍या है...  

दरअसल, बिहार हाई सिस्मिक जोन में स्थित है। यह बिहार-नेपाल बॉर्डर के समीप हिमालय टेक्टोनिक प्लेट से जुड़ने वाली टेक्टोनिक प्लेट की सीमा पर पड़ता है। इसमें 6 सब-सरफेस फॉल्‍ट लाइन्‍स हैं, जो चारों दिशाओं में गंगा के समतल की तरफ बढ़ती हैं। 

भूकंपीय क्षेत्र या सिस्मिक जोन seismic zone क्‍या है?

ज‍िन जगहों पर भूकंप आने की संंभावना होती है उन्‍हें भूकंपीय क्षेत्र या seismic zone कहते हैं। इसमें भी अलग-अलग श्रेणि‍यां होती हैं। भारतीय मानक ब्‍यूरो ने पिछले भूकंप के इतिहास को देखते हुए देश को चार seismic zones में बांटा है। ये seismic zone II, seismic zone III, seismic zones IV,  seismic zones V हैं। इसमें seismic zones V सबसे सक्रिय क्षेत्र है, जहां भूकंप आता है, वहीं  seismic zone II सबसे कम भूकंपीय सक्रियता वाला क्षेत्र है।

जानिए बिहार में कौन-सी seismic zone हैं ?

बिहार (Earthquake In Bihar) के 38 जिलों में से 8 जिले seismic zone V  में आते हैं, इसमें से भी दो जिले (मधुबनी एवं सुपौल) पूरी तरह से seismic zone 5 में आते हैं यानी सबसे भूकंपीय सक्रियता वाले इलाके हैं। वहीं, 24 जिले seismic zone IV में और छह जिले seismic zone III में आते हैं, जबकि अधि‍कांश जिले कई seismic zone (V और IV), या IV और III के अंदर आते हैं। 

बिहार में जब भूकंप से मची भयानक तबाही

बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की वेबसाइट पर दी गई जारी के अनुसार, प्रदेश ने अपने अतीत में भी कई भूकंप देखे हैं। राज्‍य का सबसे भयानक भूकंप 1934 (Bihar 1934 Earthquake) का था, जिसमें 10,000 से ज्‍यादा लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद साल 1988 में भूकंप आया था। सितंबर 2011 में भी सिक्किम में भूकंप आया था, जिसका असर बिहार में भी दि‍खा था और यह कई जि‍ंदगि‍यां लील गया था।

भूकंप के दौरान क्या करें?

  • भूकंप आने के दौरान (During An Earthquake) शांत रहें और दूसरे लोगों को भी शांत रहने के लिए कहें।
  • सबसे सुरक्षित स्थान इमारतों से दूर एक खुली जगह होती है। अत: वहां जाकर खड़े हो जाएं।
  • यदि आप घर के अंदर हैं, तो डेस्क, टेबल, बिस्तर की ओट में छिप जाएं। शीशे के दरवाजों, खिड़कियों या बाहरी दरवाजों से दूर रहें। भगदड़ से बचने के लिए बिल्डिंग से बाहर जाने में जल्दबाजी न करें।
  • यदि आप बाहर हैं तो इमारतों और बिजली के तारों से दूरी बनाकर रखें।
  • खुली जगह में आ जाएं और तब तक वहीं रहें जब तक कि धरती का कंपन बंद न हो जाए।
  • यदि आप चलती गाड़ी में हैं तो जितनी जल्दी हो सके रुकें और गाड़ी में ही बैठे रहें।
  • सभी पालतू जानवरों को मुक्त कर दें ताकि वे बाहर निकल सकें।
  • मोमबत्तियां, माचिस या अन्य ज्वलनशील वस्तु का उपयोग न करें। यदि आसपास कोई आग जल रही हो तो उसे बुझा दें।

भूकंप के बाद क्या करें?

  • भूकंप के बाद (After An Earthquake) पीने के पानी, खाद्य सामग्री और प्राथमिक चिकित्सा उपकरणों का भंडार सुलभ स्थान पर रखें।
  • अफवाहें न फैलाएं और उन पर विश्वास न करें।
  • नवीनतम जानकारी/बुलेटिन और झटके के बाद की चेतावनियां पाने के लिए अपना ट्रांजिस्टर या टेलीविजन चालू करें।
  • दूसरों को जितना हो सके उतनी सहायता प्रदान करें और उन्हें धैर्य बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • घायल व्यक्तियों की देखभाल करें और उन्हें जो भी संभव हो सहायता दें और अस्पताल को भी घायलों के संबंध में सूचित करें।
  • कई बार भूकंप आने के थोड़ी देर बाद दोबारा झटके लग सकते हैं, ऐसे में इसके लिए तैयार रहें।
  • यदि रसोई गैस स्टोव चालू है तो उसका वाल्व बंद कर दें। यदि यह बंद है तो न खोलें।
  • यदि गैस के रिसाव का संदेह हो तो बिजली के स्विच या उपकरण न चलाएं।
  • पानी के पाइप, बिजली की लाइनें और फिटिंग की जांच कर लें। यदि यह क्षतिग्रस्त हुए हों तो मुख्य वाल्व या नॉब बंद कर दें। बिजली के तारों को न छुएं।
  • यदि आवश्यक हो तो दरवाजे और कप बोर्ड सावधानी से खोलें, क्योंकि वस्तुएं गिर सकती हैं।

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