प्रदेश में वर्तमान में 36 जिला अस्पताल 67 रेफरल अस्पताल 45 अनुमंडल अस्पताल 533 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के साथ 10258 उपकेंद्र 1399 अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र हैं। इनके अलावा करीब 10 मेडिकल कालेज भी हैं। आंकड़ों की मानें तो अस्पतालों की ये संख्या आबादी के अनुपात में काफी कम है।
By Sunil RajEdited By: Yogesh SahuUpdated: Sun, 05 Mar 2023 10:47 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य सरकार एक ओर स्वास्थ्य सुविधा और सेवाओं को लोगों के दरवाजे तक ले जाने की दिशा में काम रही है। इस कड़ी में स्वास्थ्य आधारभूत संरचना का लगातार विकास भी हो रहा है।
इसके बावजूद बढ़ती आबादी के अनुपात में स्वास्थ्य सुविधाएं सब तक पहुंचाना अभी भी टेढ़ी खीर है। हाल ही में राज्य सरकार ने अपना 18वां आर्थिक सर्वेक्षण जारी किया है।इसमें स्वास्थ्य संरचना के मामले में जमुई को अव्वल तो सीतामढ़ी जिले को सबसे अंतिम पायदान पर बताया गया है।
आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में सभी श्रेणी के अस्पतालों को मिलाकर इनकी कुल संख्या 12190 है।
इसमें अगर मेडिकल कालेजों की संख्या को शामिल किया जाए तो यह आंकड़ा 12200 हो जाता है।
प्रदेश में वर्तमान में 36 जिला अस्पताल, 67 रेफरल अस्पताल, 45 अनुमंडल अस्पताल, 533 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के साथ 10258 उपकेंद्र, 1399 अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र हैं।
इनके अलावा करीब 10 मेडिकल कालेज भी हैं। आंकड़ों की मानें तो अस्पतालों की ये संख्या आबादी के अनुपात में काफी कम है।
सर्वेक्षण में स्वास्थ्य आधारभूत संरचना के मामले में जिलों में काफी अंतर पाया गया है। प्रति लाख आबादी पर स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या की बात की जाए तो तीन जिले शीर्ष में हैं।
प्रदेश के तीन जिले ऐसे भी हैं जो सबसे अंतिम पायदान पर हैं। जमुई में प्रति एक लाख की आबादी पर 18 स्वास्थ्य संस्थान हैं।
दूसरे पायदान पर शेखपुरा में 17.3 और शिवहर में एक लाख की आबादी पर 16.6 स्वास्थ्य संस्थान हैं।
स्वास्थ्य संरचना के मामले में तीन पिछड़े जिले हैं।
उनमें सबसे नीचे सीतामढ़ी है, जहां एक लाख की आबादी पर 7.8 संस्थान हैं। दो अन्य जिलों में दरभंगा और पटना हैं।
दरंभगा में एक लाख की आबादी के लिए 8.3 जबकि पटना में 8.7 संस्थान है।
हालांकि, सरकार का दावा है कि प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक एक की संख्या में स्वास्थ्य उप केंद्र और पांच-पांच वेलनेस सेंटर स्थापित करने का कार्य जारी है, जिसके बाद प्रति लाख की आबादी पर स्वास्थ्य संस्थानों की संख्या में बढ़ोतरी होगी।
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