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Bihar Education News: शिक्षा विभाग ने फिर लिया बड़ा फैसला, स्कूल में शिक्षकों की संख्या को लेकर आया बड़ा अपडेट

बिहार के सरकारी विद्यालयों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत छात्र-शिक्षक अनुपात को संतुलित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। समिति की रिपोर्ट के अनुसार जहां शिक्षकों की संख्या अधिक है वहां से शिक्षकों को हटाकर वैसे विद्यालयों में भेजा जाएगा जहां शिक्षकों की भारी कमी है। इस पहल का उद्देश्य राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना और छात्रों के सीखने के परिणामों में सुधार करना है।

By Dina Nath Sahani Edited By: Mukul Kumar Updated: Wed, 04 Sep 2024 12:20 PM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर
राज्य ब्यूृरो, पटना। राज्य के सरकारी विद्यालयों में शिक्षकों का पदस्थापन छात्रों के अनुपात में होगा। जिस विद्यालय में छात्र-शिक्षक अनुपात में अंतर होगा, वहां शिक्षकों का पदस्थापन संतुलित किया जाएगा। शिक्षा का अधिकार कानून के आलोक में 40 बच्चों पर एक शिक्षक का मानक तय है।

उस फार्मूले पर समिति ने शिक्षकों के पदस्थापन व स्थानांतरण को ध्यान रखा है। हालांकि, समिति ने अभी रिपोर्ट नहीं सौंपी है। आठ जुलाई को सरकार ने समिति बनाई थी, जिसकी पहली बैठक 11 जुलाई को हुई थी। उसके बाद छह बार बार समिति बैठक कर चुकी है। राज्य के साढ़े पांच लाख शिक्षकों को रिपोर्ट की प्रतीक्षा है।

शिक्षा विभाग के एक अधिकारी के मुताबिक, कमेटी की रिपोर्ट में शिक्षकों से लेकर छात्र-छात्राओं के हित में महत्वपूर्ण सुझाव को अमल में लाने को प्राथमिकता दी जाएगी। जहां तक सरकारी विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात का प्रश्न है तो अभी यह अनुपात 46 बच्चों पर एक शिक्षक है।

शिक्षा का अधिकार कानून अधिनियम के प्रविधान के तहत 30 बच्चों पर एक शिक्षक होना आवश्यक है। यह व्यवस्था पहली से पांचवीं कक्षा तक अनिवार्य किया गया है।वहीं जिन विद्यालयों में 61 से 90 बच्चों की संख्या है वहां पर तीन शिक्षक होना चाहिए। इसी तरह 91 से 120 बच्चों पर चार शिक्षक होने चाहिए।

121 से 200 छात्रों की संख्या रहने पर पांच शिक्षक का प्रविधान

इसी प्रकार 121 से 200 छात्रों की संख्या रहने पर पांच शिक्षक का प्रविधान है। वहीं, कक्षा छह से आठ के लिए विज्ञान और गणित का एक शिक्षक, सामाजिक अध्ययन का एक शिक्षक और भाषा के एक शिक्षक का होना अनिवार्य है।

35 छात्रों पर कम से कम एक शिक्षक होना चाहिए। जहां 100 से अधिक बच्चे हैं, वहां एक स्थायी प्रधानाध्यापक, अंशकालिक शिक्षक, कला शिक्षक, स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षक का होना अनिवार्य है।

कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद सरकारी विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों का स्थानातंरण एवं पदस्थापन किया जाएगा।

जिन विद्यालयों में छात्र-शिक्षक अनुपात में असमानता है, उनकी सूची तैयार की जा रही है। जहां शिक्षकों की संख्या अधिक है, वहां से शिक्षकों को हटाकर वैसे विद्यालयों में भेजा जाएगा, जहां शिक्षकों की भारी कमी है। इसकी प्रक्रिया चल रही है। इसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।

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