टीचरों के पास पहुंचा शिक्षा विभाग का नया ऑर्डर, प्रधानाध्यापकों को भी मिला नया टास्क; क्लास में पढ़ाई का बदला तरीका
सभी सरकारी शिक्षकों तक शिक्षा विभाग का नया ऑर्डर पहुंच गया है। बिहार के सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में कक्षावार वर्ग शिक्षक नामित किए जाएंगे और हर महीने मॉनिटर बदले जाएंगे। हर कक्षा के लिए एकेडमिक कैलेंडर होगा और रोजाना पढ़ाई होगी। शिक्षक बच्चों के अधिगम स्तर का रिकॉर्ड रखेंगे और अभिभावकों से संपर्क करेंगे। कमजोर बच्चों को उपचारात्मक शिक्षा दी जाएगी।
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के सभी सरकारी प्रारंभिक विद्यालयों में कक्षावार वर्ग शिक्षक नामित किए जाएंगे। हर कक्षा में हर माह मानीटर बदले जाएंगे। इसके लिए हर कक्षा का रोस्टर होगा। हर कक्षा के लिए एकेडमिक कैलेंडर होगा। रुटीन से पढ़ाई होगी।
इससे संबंधित निर्देश शिक्षा विभाग द्वारा राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को दिया गया है। निर्देश है कि वर्ग शिक्षक अपनी कक्षा के सभी बच्चों के अधिगम स्तर का रिकॉर्ड रखेंगे। अगर शिक्षक अवकाश में रहेंगे, तो पठन-पाठन के लिए उनके विकल्प की व्यवस्था प्रधानाध्यापक करेंगे।
प्राथमिक शिक्षा निदेशक पंकज कुमार की ओर से सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि हर विद्यालय में एकेडमिक कैलेंडर के हिसाब से पढ़ाई होगी। उसके हिसाब से बच्चों का पाठ्यक्रम पूरा करना शिक्षक सुनिश्चित करेंगे। कक्षावार शिक्षक नामित होंगे।
वर्ग शिक्षक अपने कक्षा के सभी बच्चों के अधिगम स्तर का रिपोर्ट रखेंगे तथा अधिगम स्तर में बेहतरी के लिए घर में बच्चे पढें, इसके लिए उनके अभिभावक से संपर्क रखेंगे। वर्ग शिक्षक वर्ग में प्रत्येक माह मानीटर बदलेंगे। पढ़ाई में कमजोर बच्चों को उपचारात्मक शिक्षा दी जाएगी। इसमें सहयोग प्रधानाध्यापक करेंगे।
अध्यापन के दौरान संबंधित कक्षा के पाठ्यपुस्तक की मदद लेंगे सभी शिक्षक
सभी शिक्षक वर्गकक्ष में अध्यापन के दौरान संबंधित कक्षा के पाठ्यपुस्तक की मदद लेंगे। पहली से पांचवीं कक्षा के बच्चों को पाठ पढ़ाने के बाद उन्हें कार्य पुस्तिका में अभ्यास करने के लिए शिक्षक प्रेरित करेंगे तथा लाल स्याही से उसकी जांच भी करेंगे।प्रधानाध्यापक हर सप्ताह शिक्षकों के साथ बैठक कर यह देखेंगे कि एकेडमिक कैलेंडर के हिसाब से शिक्षक पढ़ा रहे हैं या नहीं। बैठक की कार्यवाही सुरक्षित रखी जायेगी।
प्रधानाध्यापक यह भी सुनिश्चित करेंगे कि चौथी से आठवीं कक्षा के बच्चों को शिक्षक प्रोजेक्ट वर्क करायें। कमजोर बच्चे प्रधानाध्यापक द्वारा चिन्हित किये जायेंगे। ऐसे बच्चों के लिए उपचारात्मक शिक्षा की व्यवस्था होगी।
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