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KK Pathak वाला 'एक्शन' रिपीट! एक लेटर से रुक गई शिक्षकों की Salary, सचिव ने दे दिया 'ऑर्डर'

केके पाठक भले ही शिक्षा विभाग से जा चुके हैं लेकिन शिक्षा विभाग ने कड़े फैसले लेना बंद नहीं किया है। अब शिक्षा विभाग ने राज्य के विश्वविद्यालयों के अनुदान पर रोक लगा दी है। इस फैसले से हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों की सैलकी रुक जाएगी। शिक्षा विभाग ने साफ है कि हमारे निर्देशों के अनुपालन के बाद ही वेतन की राशि जारी की जाएगी।

By Dina Nath Sahani Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 13 Sep 2024 09:17 PM (IST)
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बिहार शिक्षा विभाग के पूर्व अपर मुख्य सचिव केके पाठक। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, पटना। शिक्षा विभाग के निर्देशों का पूरी तरह पालन करने के बाद ही राज्य के विश्वविद्यालयों को शिक्षक एवं कर्मचारियों के वेतन भुगतान के लिए राशि मिलेगी। शिक्षा विभाग के निर्देशों का विश्वविद्यालयों द्वारा अनुपालन नहीं किए जाने की वजह से शिक्षक एवं कर्मचारियों के वेतन भुगतान पर संकट गहराने लगा है।

शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों से साफ शब्दों में कहा है कि वह दिए गए निर्देशों का पूरी तरह अनुपालन सुनिश्चित करे, ताकि अनुदान विमुक्ति की कार्रवाई की जा सके। इस संबंध में शिक्षा विभाग के सचिव बैद्यनाथ यादव ने कुलपतियों को पत्र दिया है। इसमें पांच पत्रों का हवाला देते हुए कुलपतियों से कहा गया है कि इन पत्रों द्वारा बार-बार विश्वविद्यालयों से दो अनुरोध किए गए हैं।

एक तो यह कि शिक्षा विभाग के नवनिर्मित पे-रोल मैनेजमेंट पोर्टल पर विश्वविद्यालय द्वारा अपने सभी शिक्षकों एवं कर्मचारियों के संबंध में मूल डाटा अपलोड किया जाना है, जिसमें सभी वेतन, पेंशन एवं पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने वाले शिक्षकों, कर्मचारियों और व्यक्तियों का डाटा होगा। साथ ही अतिथि शिक्षकों से संबंधित डाटा भी अपलोड किया जाना है।

इसके लिए लगातार बैठकें हुई हैं एवं आवश्यकतानुसार विश्वविद्यालय के संबंधित कर्मचारियों को प्रशिक्षित भी किया गया है। जबकि वेतन के मामले में सभी विश्वविद्यालयों से डाटा अपलोड हो गया है। पेंशन, पारिवारिक पेंशन एवं अतिथि शिक्षकों के मामले में अधिकांश कार्य शेष है।

शिक्षा विभाग की सख्त कार्रवाई ने लोगों को एक बार फिर केके पाठक की याद दिला दी है। केके पाठक भी अपने सख्त एक्शन के लिए जाने जाते हैं। हालांकि, वे अब शिक्षा विभाग में नहीं हैं, लेकिन विभाग में उनके आदेशों की गूंज अबतक सुनाई देती है।

सभी विश्वविद्यालयों में कंप्यूटरीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली लागू करना अनिवार्य

शिक्षा विभाग ने कुलपतियों को विगत आठ अगस्त के उस पत्र की भी याद दिलायी है, जिसके द्वारा स्पष्ट किया गया था कि सीएफएमएस (कंप्यूटरीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली) को लागू करना अनिवार्य है।

इसके लागू होने के पूर्व विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में सहायक अनुदान की राशि जो बचत खाता, चालू खाता एवं सावधिक जमा खाता में संधारित है तथा जो राशि अग्रिम स्वरूप भी दी गयी थी, को 15 दिनों के अंदर बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से बिहार सरकार के नाम से उच्च शिक्षा निदेशालय में राजकोष में जमा करने हेतु जमा किया जाना था।

इसके अलावा यह भी स्पष्ट किया गया था कि सीएफएमएस प्रणाली के माध्यम से विश्वविद्यालयों को विमुक्त या पीएल खाता में उपलब्ध सहायक अनुदान की अवशेष (अव्यवहृत) राशि को राजकोष में 30 अगस्त, 2024 तक ऑनलाइन रिफंड के माध्यम से वापस जमा किया जाए।

शिक्षा विभाग ने अपने पत्र में कुलपतियों से कहा है कि लगातार स्पष्ट किया गया है कि संबंधित निर्देशों के पूर्ण अनुपालन के पश्चात ही आगे का अनुदान विमुक्त करने पर विचार किया जायेगा। इसका अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित किया जाय, ताकि अनुदान विमुक्ति की कार्रवाई की जा सके।

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