Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

बिहार वित्‍त विभाग ने दिए संकेत, 2021-22 के बजट में बढ़ सकता है करों का बोझ

अगले वित्तीय वर्ष (2021-22) की तैयारी में जुटे वित्त विभाग ने कर में बढ़ोतरी के संकेत दिए हैं। उप मुख्‍यमंत्री ने भी कहा है कि 19 लाख रोजगार सहित कई अपेक्षाओं को पूरा करने में सरकार को ज्‍यादा खर्च करने पड़ सकते हैं।

By Sumita JaiswalEdited By: Updated: Thu, 11 Feb 2021 05:41 PM (IST)
Hero Image
बिहार का बजट सत्र 19 फरवरी से होगा, सांकेतिक तस्‍वीर ।

पटना, राज्य ब्यूरो । कोरोना के दौर में आमदनी अठन्नी-खर्चा रुपैया की तर्ज पर चली राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार कुछ कर मदों में बढ़ोत्तरी कर सकती है। अगले वित्तीय वर्ष (2021-22) की तैयारी में जुटा वित्त विभाग कुछ ऐसा ही संकेत दे रहा है। दूसरी तरफ बजट पूर्व विभिन्न हितघारक समूहों के साथ उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद की हो रही बातचीत का भाव यह है कि अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए सरकार को पहले की तुलना में अधिक खर्च करना पड़ सकता है। क्योंकि सभी हितधारकों ने सरकार के सामन कुछ नई मांगे रखी हैं। मसलन, एक बैठक में राय आई कि दोपहर के भोजन का दायरा इंटर तक बढ़ा दिया जाए। नए विश्वविद्यालय खोलने की मांग हो रही है। सरकार ने 19 लाख लोगों को रोजगार देने का ऐलान बजट वर्ष के आखिरी तिमाही में किया है। इसमें होने वाले खर्च का इंतजाम भी अगले वित्तीय वर्ष में करना होगा।

आंतरिक संसाधन का आकार छोटा

दो लाख 11 हजार करोड़ रुपये के चालू वित्त वर्ष के बजट में आंतरिक संसाधन से करीब 35 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया था। मार्च से दिसम्बर तक कोरोना की बंदी के चलते आंतरिक कर संग्रह में काफी कमी आई है। हालांकि दिसम्बर से आर्थिक गतिविधियां बढ़ी हैं। संग्रह भी बढ़ा है। फिर भी लक्ष्य की शत प्रतिशत उपलब्धि मुश्किल है। दूसरी तरफ कोरोना के चलते सरकार के खजाना पर आकस्मिक मद में हुए भुगतान का भारी बोझ बढ़ा है। बजट निर्माण के समय इतनी बड़ी रकम के आकस्मिक मद में खर्च का अनुमान नहीं किया जाता है।

हो सकता है एमवीआर का पुनरीक्षण

वित्त विभाग ने सभी विभागों से ब्यौरा मांगा है कि कर की मौजूदा दरों में कितनी वृद्धि की जा सकती है। विभागों के प्रस्ताव पर वित्त विभाग विचार कर रहा है। संभव है कि सबसे अधिक प्रभाव जमीन की खरीद-बिक्री वाले मद स्टाम्प डयूटी एवं रजिस्ट्रेशन शुल्क पर पड़े। यह लगातार दूसरा साल है, जब इस मद में लक्ष्य हासिल करने में कठिनाई हो रही है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में इस मद में पांच हजार करोड़ रुपये की वसूली का लक्ष्य रखा गया था। वह पूरा नहीं हुआ। चालू वित्त वर्ष में पांच हजार के बदले 47 सौ करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया। यह भी पूरा नहीं हो रहा है। सूत्रों ने बताया कि अगर एमवीआर (मिनिमम वैल्यू ऑफ रजिस्ट्रेशन) में वृद्धि होती है तो यह मामूली ही होगी। वृद्धि की गुंजाइश का आकलन जिला स्तर पर किया जा रहा है।

बालू-गिट्टी से भी उम्मीद

भू लगान में बढ़ोत्तरी भी राजस्व वृद्धि का एक स्रोत हो सकता है। यह मद बहुत अधिक राशि नहीं देता है। चालू वित्त वर्ष में महज पांच सौ करोड़ रुपये की उगाही का लक्ष्य रखा गया था। कोरोना ने इसे भी पूरा नहीं होने दिया। जबकि यह लक्ष्य पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 की तुलना में छह सौ करोड़ रुपया कम था। खान एवं भूतत्व विभाग में भी कर बढऩे की गुंजाइश खोजी जा रही है। चालू वित्त वर्ष में 16 सौ करोड़ रुपये का लक्ष्य था। आंतरिक संसाधन में सबसे अधिक 20 हजार आठ सौ करोड़ रुपया स्टेट जीएसटी मद में रखा गया था। उम्मीद है कि बाजार की हालत सुधरने से इस मद में आय बढ़ेगी।

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें