Coronavirus: कोरोना में अनाथ हुए बच्चों को डेढ़ हजार रुपये की आस, आखिर कब तक करना होगा इंतजार?
समाज कल्याण विभाग ने जिलों में स्थित अपने दफ्तरों से ऐसे बच्चों की सूची मंगवायी थी जिनके माता या फिर पिता की कोरोना से मौत हो गयी थी। समाप्त हो रहे वित्तीय वर्ष में तो इस योजना की राशि पूरी तरह से खर्च ही नहीं हो पा रही वहीं आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए इस योजना की राशि घटाकर 14 लाख रुपए कर दी गयी है।
राज्य ब्यूरो, पटना। कोरोना काल में अपने मां-बाप को खो चुके शून्य से 18 वर्ष तक की उम्र के बच्चों को सहायता के लिए सरकार ने बाल सहायता योजना आरंभ की थी। इस योजना के तहत इन बच्चों को प्रति माह डेढ़ हजार रुपए उपलब्ध कराने की बात तय हुई। आरंभ में तो सब कुछ संवेदनशीलता के साथ दिखा पर बाद में नीचे के स्तर पर इस योजना को लेकर सेंसेटाइज नहीं रही सरकारी मशीनरी।
सरकार का ही यह आंकड़ा है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में बाल सहायता योजना के तहत सरकार ने 15 लाख रुपए उपलब्ध कराए पर अद्यतन आंकड़ा यह है कि इस आवंटन का आधा भी नहीं बंटा। केवल 4.95 लाख अनाथ बच्चों के बीच ही यह राशि बंट पायी। अधिकारी इतने तरह की व्यस्तता में हैं कि उन्हें इन बच्चों की विशेष फिक्र नहीं। अधिकारी बता रहे कि 60 बच्चों को दिसंबर 2023 तक का अनुदान उपलब्ध कराया जा चुका था।
अनाथ बच्चों के लिए प्रति माह 1500 रुपए की राशि का महत्व समझा जा सकता है। यह राशि उनके पालन-पोषण के लिए दी जाती है। समाज कल्याण विभाग ने जिलों में स्थित अपने दफ्तरों से ऐसे बच्चों की सूची मंगवायी थी जिनके माता या फिर पिता की कोरोना से मौत हो गयी थी। समाप्त हो रहे वित्तीय वर्ष में तो इस योजना की राशि पूरी तरह से खर्च ही नहीं हो पा रही वहीं आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए इस योजना की राशि घटाकर 14 लाख रुपए कर दी गयी है।
कोरोना में अपने मां या फिर पिता को खो चुके बच्चों के लिए राज्य सरकार की योजना के अतिरिक्त एक योजना चलती है पीएम केयर्स फार चिल्ड्रेन। वर्ष 2020 के मार्च में यह योजना आरंभ हुई थी। यह योजना संबंधित बच्चे के लिए 23 वर्ष की उम्र तक है। वित्तीय सहायता इस योजना के तहत भी है।योजना के क्रियान्वयन को लिए सभी जिलों में डीएम को इसका नोडल अधिकारी बनाया गया है। मात्र 81 बच्चों को बिहार में इस योजना के तहत लाभ मिल रहा। इस योजना की गति क्या है इससे जुड़े आंकड़े समाज कल्याण विभाग के पास नहीं है।
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