बिहार में सरपंच का बढ़ा महत्व, मुखिया की जिम्मेदारी में हुआ बदलाव; पंचायत चुनाव से पहले बड़ा बदलाव
Bihar Panchayat Election 2021 News नई व्यवस्था में गांवों में सही तरीके से विकास और पारदर्शिता के लिए शक्ति संतुलन और समन्वय पर जोर दिया जा रहा है। इससे भ्रष्टाचार की संभावना पर भी रोक लगेगी। पंचायतों को मजबूत करने के लिए सरकार कई तरह के बदलाव कर रही है।
By Shubh Narayan PathakEdited By: Updated: Tue, 31 Aug 2021 10:32 AM (IST)
पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Panchayat Chunav 2021: बिहार में अगले पांच वर्षों के लिए पंचायत सरकार के गठन की प्रक्रिया (Bihar Panchayat Election 2021) शुरू हो गई है। राज्य में पंचायती राज संस्थाओं के लिए छह पदों का चुनाव होना है। इनमें वार्ड सदस्य, पंच, मुखिया, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य का पद शामिल है। पंचायतों में सबसे अधिक होड़ मुखिया (Bihar Mukhia Chunav और जिला परिषद के लिए ही देखी जाती है। इसके बाद पंचायत समिति सदस्य और सरपंच के पद का नंबर आता है। इसके पीछे वजह है इन पदों को मिली शक्तियां। मुखिया का पद काफी पावरफुल माना जाता है। लेकिन, बिहार सरकार के पंचायती राज विभाग ने मुखिया और सरपंच के बीच शक्तियों का बंटवारा नए सिरे से कर दिया है।
सरपंचों की बढ़ गया है महत्वबिहार में 11 चरणों में होने वाले चुनाव की अधिसूचना हो चुकी है। 24 सितंबर को पहले चरण के चुनाव के लिए मतदान होगा। इसके पहले ही पंचायती राज विभाग ने नए सिरे से मुखिया व सरपंच के दायित्वों का निर्धारण कर दिया है। मुखिया को जहां ग्राम सभा और पंचायतों की बैठक बुलाने का अधिकार होगा, वहीं इनके जिम्मे विकास योजनाओं के लिए मिलने वाली पंजी की निगरानी की भी जिम्मेदारी होगी। वहीं सरपंच गांवों में सड़कों के रखरखाव से लेकर सिंचाई की व्यवस्था, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देने जैसे कार्य करेंगे।
विकास की योजना बनाएंगे मुखियापंचायती राज विभाग के अनुसार मुखिया को अपने कार्य क्षेत्र में एक वर्ष में कम से कम चार बैठकें आयोजित करनी होंगी। बैठक के अलावा इनके पास ग्राम पंचायतों के विकास की कार्ययोजना बनाने के साथ-साथ प्रस्तावों को लागू करने की जवाबदेही भी होगी। इसके अलावा ग्राम पंचायतों के लिए तय किए गए टैक्स, चंदे और अन्य शुल्क की वसूली के इंतजाम करना भी इनके जिम्मे होगा।
सरपंचों को दिए गए हैं तीन बड़े अधिकारमुखिया के साथ सरपंचों को पंचायती राज व्यवस्था में तीन बड़े अधिकार दिए गए हैं। ग्राम पंचायत की बैठक बुलाने और उनकी अध्यक्षता करने का अधिकार इन्हें मिला हुआ है। इसके अलावा ग्राम पंचायत की कार्यकारी और वित्तीय शक्तियां भी इन्हीं के पास रहेंगी। इनके जिम्मे जो मुख्य कार्य होंगे उनमें गांव की सड़कों की देखभाल, पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, सिंचाई की व्यवस्था करने के अलावा दाह-संस्कार और कब्रिस्तान का रखरखाव करना होगा।
पंचायत समितियों को मिला है ये कामपंचायत समिति को जो कार्य सौंपे गए हैं, उसके अनुसार इन्हें केंद्र, राज्य और जिला परिषद द्वारा सौंपे कार्यों का निष्पादन करना होगा। पंचायत समिति का वार्षिक बजट बनाना व बजट पेश करना होगा। प्राकृतिक आपदाओं में पंचायत समिति प्रमुख को 25 हजार रुपये तक खर्च करने का अधिकार होगा।जिला परिषद को मिली ये जिम्मेदारी
जिला परिषद को जो कार्य अधिकार दिए गए हैं, उसके मुताबिक पशु चिकित्सा अस्पतालों और औषधालयों की स्थापना, चलंत निदान और उपचार प्रयोगशालाओं की स्थापना करना, गायों और सुअरों के प्रजनन प्रक्षेत्र, कुक्कुट फार्म, बत्तख-बकरी फार्म, दुग्धशाला, कुक्कुट पालन के अलावा महामारी तथा छूत रोगों की रोकथाम करना होगा। इनके अलावा ग्राम कचहरी को दीवानी क्षेत्राधिकार के साथ मामलों का दायर किया जाना एवं ट्रायल व ग्राम कचहरी द्वारा पारित आदेश, डिग्री का कार्यान्वयन होगा।
पंचायतों में शक्ति संतुलन और समन्वय पर जोरनई व्यवस्था में गांवों में सही तरीके से विकास और पारदर्शिता के लिए शक्ति संतुलन और समन्वय पर जोर दिया जा रहा है। शक्ति संतुलन से भ्रष्टाचार की संभावना पर भी रोक लगेगी। पंचायतों को मजबूत करने के लिए सरकार कई तरह के बदलाव कर रही है। ऐसी ही कवायद के तहत पहले बीडीओ और उप विकास आयुक्त को पंचायतों के काम से अलग किया गया है। अब पंचायती राज विभाग के तहत प्रखंड और जिले में अलग से अधिकारी तैनात किए जाएंगे।
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