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बिहार के स्पेशल स्टेटस को लेकर सियासी बयानबाजी तेज, तेजस्वी ने सीधे PM मोदी पर दागा सवाल- पुराने वादे को याद कराकर पूछी ये बात

Bihar Special Status डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर विशेष दर्जा का प्रविधान समाप्त कर दिया गया है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 के विधानसभा चुनाव में बिहार को विशेष दर्जा या विशेष पैकेज देने का वादा क्यों किया था। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है जिसके पास पूरी आबादी का वैज्ञानिक डेटा है।

By Arun AsheshEdited By: Rajat MouryaUpdated: Thu, 23 Nov 2023 04:03 PM (IST)
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Bihar Special Status : 'प्रधानमंत्री मोदी ने फिर क्यों किया था वादा...', स्पेशल स्टेटस को लेकर बिहार में राजनीति तेज
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Special Status बिहार सरकार ने गुरुवार को केंद्र को दो टूक कहा है कि अगर वह राज्य के नए आरक्षण कानून से सहमत है तो इसे संविधान की नौंवी अनुसूची में तत्काल शामिल करे। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दे, क्योंकि जाति आधारित गणना (Bihar Caste Census) से पहले नीति आयोग की रिपोर्ट में भी स्वीकार किया गया है कि राज्य में गरीबी रेखा से नीचे की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने उन कारकों की गिनती कराई, जिसके आधार पर बिहार विशेष दर्जे का हकदार है।

रुवार को मुख्य सचिवालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav), ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी, पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन मंत्री आफाक आलम और पिछड़ा-अति पिछड़ा कल्याण मंत्री अनिता देवी ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह मांग की।

मंत्रियों ने कहा, हम केंद्र से विशेष दर्जा की मांग कर रहे हैं। इसके लिए हम जनता के बीच भी जाएंगे। तेजस्वी ने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है, जिसके पास पूरी आबादी का वैज्ञानिक डेटा है। जाति आधारित गणना (Bihar Caste Census) के आधार पर सामाजिक न्याय के साथ आर्थिक न्याय दिलाने के लिए नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) की नेतृत्व वाली सरकार गंभीर पहल कर रही है। गरीबी और बेरोजगारी से लड़ना हमारा प्राथमिक लक्ष्य है।

उन्होंने कहा कि गणना से यह सच सामने आया कि गरीब सभी जातियों में है। सरकार रोजगार देने के अलावा गरीबी उन्मूलन के लिए कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। इसके लिए राज्य को विशेष दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार किसी के साथ भेदभाव नहीं कर रही है। गरीबों को मुख्यधारा में लाने का उपाय किया जा रहा है।

तेजस्वी ने कहा कि अगर विशेष दर्जा का प्रविधान समाप्त कर दिया गया है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 के विधानसभा चुनाव में बिहार को विशेष दर्जा (Bihar Special Status) या विशेष पैकेज देने का वादा क्यों किया था। 94 लाख गरीबों को दो-दो लाख रुपया देने की योजना पर ढाई लाख करोड़ खर्च होंगे। गरीबों को घर के लिए प्रति परिवार एक लाख 20 हजार रुपया देने का प्रविधान किया गया है। इन सबके लिए अतिरक्त धन की जरूरत है। तेजस्वी ने कहा कि केंद्र सरकार विशेष दर्जा दे न दे, कम से कम विशेष दर्जा की मांग पर अपनी राय तो दे।

नीतीश लगातार कर रहे मांग- चौधरी

वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार विशेष दर्जा की मांग कर रहे हैं। पहली बार जाति आधारित गणना के माध्यम से राज्य की पूरी आबादी की आर्थिक स्थिति की प्रमाणिक जानकारी मिली है। आंकड़े की प्रमाणिकता का प्रमाण यह है कि कुल गरीबी का आंकड़ा नीति आयोग के आकलन के करीब है। यह लगभग 34 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि अगर विशेष दर्जा मिल जाए तो राज्य 30-40 हजार करोड़ रुपये के उस खर्च से बच जाएगा, जो केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं पर खर्च हो रहा है। सरकार यह राशि अपनी योजनाओं पर खर्च करेगी। केंद्र सरकार इसकी भरपाई विशेष सहायता से भी कर सकती है। हमारे पास सीमित आर्थिक संसाधन हैं। इनसे समग्र गरीबी उन्मूलन संभव नहीं है। केंद्र से विशेष सहायता के रूप में विशेष दर्जा की मांग कर रहे हैं। योजनाएं केंद्र की होती हैं और राज्य को उसका 90 प्रतिशत धन देना होता है।

'हम अपने साधनों से कर रहे विकास'

ऊर्जा एवं योजना विकास मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि केंद्र से पर्याप्त सहायता न मिलने के बावजूद अपने साधनों से राज्य का विकास हो रहा है। इसके बावजूद प्रति व्यक्ति आय के मामले में हम पीछे हैं। राज्य का भौगोलिक क्षेत्रफल 2.8 प्रतिशत है। इसमें देश की 8.8 प्रतिशत आबादी निवास करती है। जनसंख्या घनत्व अधिक है। गरीबी भी है। प्राकृतिक आपदाओं से हर साल तबाही मचती है। आधारभूत संरचनाएं ध्वस्त हो जाती हैं। ये सब बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए उपयुक्त आधार हैं।

उन्होंने कहा कि इन प्रतिकूल स्थितियों के बावजूद राज्य का विकास दर लगातार दो अंकों में बना हुआ है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद की भाड़ा समानीकरण नीति के कारण राज्य में उद्योगों का विकास नहीं हुआ। इससे काम के अवसर कम हुए। श्रमिकों का पलायन हुआ।

मंत्रियों का तर्क: नौंवी अनुसूची में शामिल करना क्यों है जरूरी

राज्य सरकार के मंत्रियों ने तर्क दिया कि बिहार के नए आरक्षण कानून को संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल करना क्यों जरूरी है। गुरुवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि यह इसलिए जरूरी है कि आरक्षण को लेकर न्यायालय में कोई पेंच नहीं फंसे। कई अन्य राज्यों ने भी आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाने के बाद यह मांग केंद्र सरकार से की है। तमिलनाडु में आरक्षण सीमा 69 प्रतिशत तक बढ़ाई गई, वह भी इसकी मांग कर रहा है।

वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि संविधान में नौंवी अनुसूची का सृजन भी बिहार की मांग पर किया गया था। उस समय की डा.श्रीकृष्ण सिंह की सरकार ने जमींदारी उन्मूलन के लिए कानून बनाया था। उसे नौंवी अनुसूची में शामिल कर न्यायिक हस्तक्षेप से अलग रखा गया।

भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि भाजपा अगर आरक्षण में बढ़ोतरी के कानून का समर्थन करती है तो वह अपना प्रतिनिधमंडल केंद्र सरकार के पास भेजे। वह केंद्र सरकार से आरक्षण कानून को नौंवी अनुसूची में शामिल करने का आग्रह करे। पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री आफाक आलम और पिछड़ा-अति पिछड़ा कल्याण मंत्री अनिता देवी ने भी इस मांग का समर्थन किया।

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