बिहार में स्वास्थ्य विभाग हुआ सख्त, पक्के भवन में ही चलेगा मेंटल हेल्थ सेंटर; नए नियम नहीं मानने पर होगी कार्रवाई
Bihar News बिहार में स्वास्थ्य विभाग सख्त नजर आ रहा है। विभाग के आदेश के अनुसार अलग-अलग हिस्सों में चल रहे निजी मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों का संचालन सिर्फ पक्के भवन में ही किया जाएगा। यदि मानसिक स्वास्थ्य केंद्र पक्के भवन में नहीं हैं तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों के निबंधन के लिए दस हजार रुपये शुल्क निर्धारित किया है।
राज्य ब्यूरो, पटना। स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के निजी मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के संचालन को लेकर नए मापदंड निर्धारित किए हैं। करीब दो महीने पूर्व मापदंड निर्धारित करते हुए इस संबंध में व्यापक प्रचार-प्रसार के निर्देश जारी किए गए थे।
अब एक बार फिर से विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं। विभाग के आदेश के अनुसार अलग-अलग हिस्सों में चल रहे निजी मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों का संचालन तभी हो सकेगा जब वे पक्की संरचना में होंगे।
नहीं मिलेगा निबंधन
यदि मानसिक स्वास्थ्य केंद्र पक्के भवन में नहीं हैं तो इन्हें निबंधन नहीं मिलेगा। निबंधन के बगैर मानसिक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन होने की स्थिति में ये अवैध माने जाएंगे और इन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
विभाग ने मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों के निबंधन के लिए दस हजार रुपये शुल्क निर्धारित किया है। यह पंजीयन एक वर्ष के लिए मान्य होगा। राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष को पंजीयन के लिए आवेदन देना होगा।
पंजीयन के बाद स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारी संबंधित मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों का मुआयना करेंगे और एक वर्ष के लिए उन्हें संचालन की अनुमति देंगे।
सुविधाएं जो आवश्यक रूप से जरूरी
- संस्थान में मजबूत ग्रिल वाली खिड़कियां, दरवाजे अवश्यक ताकि मानसिक रोगी न पहुंचा सकें खुद को नुकसान।
- चार मंजिल भवन वाले संस्थानों को जेनरेटर या पावर बैकअप सहित लिफ्ट का इंतजाम करना होगा।
- महिला व पुरुषों के लिए बनाने होंगे अलग-अलग वार्ड, रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था आवश्यक होगी।
- प्रत्येक रोगी को 60 वर्गफीट का डोरमेट्री देना, जहां अलग-अलग खाट, तकिया, गद्दा, कंबल, लाकर की सुविधा जरूरी।
- आठ पुरुष रोगियों व छह महिला रोगी के लिए एक स्नान कक्ष, पेयजल, कपड़ा बदलने का पूरा इंतजाम भी जरूरी।
- सामान्य वार्ड में बिस्तरों की संख्या 25 से अधिक नहीं होगी। धर्म, जाति, लिंग, पंथ, जन्म स्थान या आर्थिक स्थिति के आधार पर भेदभाव पर रोक।
ये भी पढे़ं -