Bihar News: बिहार से बड़ी संख्या में बच्चे गायब, बच्चियों की खरीद-बिक्री ने सबको डराया, आंकड़े ने सबको चौंकाया
Bihar human trafficking News बिहार में बच्चियों का गायब होना चिंता का विषय बनता जा रहा है। अब रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड पर पुलिस प्रशासन की सतर्कता के कारण इसमें कमी आई है लेकिन अभी भी स्टेशन से ऐसे बच्चे बरामद किए जा रहे हैं। यह बताता है कि इस धंधे से जुड़े लोग सक्रिय हैं।रोहतास से ऐसे कई मामले हैं जहां नाबालिग लड़कियों की खरीद-बिक्री तक की गई।
By Ashish ShuklaEdited By: Sanjeev KumarUpdated: Sat, 11 Nov 2023 11:10 AM (IST)
आशीष शुक्ला, पटना। राज्य से आठ माह में 5958 बच्चे गायब हो जाएं और उसमें भी 85 प्रतिशत संख्या लड़कियों की हो, तो ये आंकड़े बाल तस्करी से लेकर उन्हें अनैतिक अड्डे तक पहुंचाने की खतरनाक मंशा का भी संकेत देते हैं। ऐसे मामले सामने आ भी चुके हैं।
यह एक बड़ा प्रश्न है कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चे गायब हैं, लेकिन उनका अता-पता नहीं। पुलिस ने 2,799 बच्चों को बरामद करने में सफलता जरूर प्राप्त की है, पर अन्य का पता नहीं चल पाया है। यह पुलिस मुख्यालय की रिपोर्ट है।
राज्य के कई ऐसे क्षेत्र हैं, जहां से बच्चों को काम के नाम पर बाहर ले जाया जाता है, इनमें कई का पता भी नहीं चलता। विशेष रूप से मगध प्रमंडल क्षेत्र से चूड़ी फैक्ट्री में काम कराने को बड़ी संख्या में बच्चे ले जाए जाते हैं। दैनिक जागरण ने इसको लेकर अभियान भी चलाया था और बड़ी संख्या में बच्चे मुक्त कराए गए थे।
अब रेलवे स्टेशन व बस स्टैंड पर पुलिस प्रशासन की सतर्कता के कारण इसमें कमी आई है, लेकिन अभी भी स्टेशन से ऐसे बच्चे बरामद किए जा रहे हैं। यह प्रमाणित करता है कि इस धंधे से जुड़े लोग सक्रिय हैं। वहीं, रोहतास से ऐसे कई मामले हैं, जहां नाबालिग लड़कियों की खरीद-बिक्री तक की गई।
रिश्तेदारी का नाम देकर सामाजिक दबाव बनाने का प्रयास
यह सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में होता है और पुलिस में मामला जाते ही इसे रिश्तेदारी का नाम देकर सामाजिक दबाव बनाने का प्रयास भी किया जाता है, जिसके कारण मामले भी अंकित नहीं हो पाते हैं।सो, आधिकारिक आंकड़ों से इतर और भी कितने ही मामले हैं, जो पुलिस तक पहुंच ही नहीं पाते। जो पहुंचे, उसमें कार्रवाई की गति बहुत तेज नहीं कही जा सकती है। मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया है कि इस वर्ष जनवरी से अगस्त तक 5958 बच्चे गायब हुए हैं।
पुलिस इसकी समीक्षा कर रही है कि किस क्षेत्र में और किन परिस्थितयों में ये बच्चे गायब हुए हैं, ताकि उस अनुरूप कार्रवाई की जा सके। बच्चों की सुरक्षा को लेकर चाइल्ड इंडिया फाउंडेशन और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा चाइल्डलाइन सेवा का संचालन किया जा रहा है।बच्चों के मामले में थाना स्तर पर त्वरित गंभीरता नहीं बरते जाने के कारण ही असामाजिक और आपराधिक तत्व अपनी मंशा में सफल हो जाते हैं। इसका एक उदाहरण भी है। करीब पांच साल पहले गया के डेल्हा थाना क्षेत्र में तीन बच्चे एक साथ शाम में गायब हो गए।
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