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Bihar Bhumi Survey: जमीन सर्वे के खिलाफ बिहार में उठी आवाज, सरकार को खुलेआम मिली चेतावनी; CM नीतीश तक पहुंचा पत्र

Bihar Land Survey बिहार में जमीन सर्वे का काम तेजी से चल रहा है। इस बीच कुछ इलाकों में सर्वे के खिलाफ भी आवाज उठने लगी है। यहां तक कि किसान नेता जमीन सर्वे को लेकर नीतीश सरकार को चेतवानी तक दे डाली है। उन्होंने कहा कि अगर जमीन सर्वे को नहीं रोका गया तो पूरा राज्य में आंदोलन होगा।

By ajay kumar kumar Edited By: Mukul Kumar Updated: Thu, 19 Sep 2024 10:58 AM (IST)
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बिहार के सीएम नीतीश कुमार। फाइल फोटो
संवाद सहयोगी, पालीगंज। संयुक्त किसान जन अभियान समिति के बैनर तले किसानों की बैठक में सरकार के द्वारा कराये जा रहे भूमि सर्वेक्षण को रोक लगाने के लिए किसान नेता डॉ. श्यामनदंन शर्मा सहित दर्जनों किसानों ने एक आवेदन लिख कर मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री, प्रमंडलीय आयुक्त, एवं डीसीएलआर व सीओ को पत्र दिया है।

किसान नेता डॉ श्यामनदंन शर्मा ने कहा कि वर्तमान में चल रहे विशेष भूमि सर्वेक्षण राजस्व विभाग द्वारा जब तक किसानों को जमीन संबंधित कागजात का अद्यतन नहीं किया जाता है, तब तक भूमि सर्वेक्षण कार्य पर सरकार तत्काल प्रभाव से रोक लगाए। उन्होंने कहा जमीन सर्वे का काम नहीं रोका गया तो चरणबद्ध तरीके से आंदोलन की जाएगी। 

सरकार से नेता ने कर दी ये मांग

साथ ही उन्होने कहा कि राजस्व विभाग जमीन मालिकों को गांव में कैंप लगाकर भूमि संबंधित अद्यतन अभिलेख उपलब्ध कराये, इसके बिना किसानों का सर्वे कार्य बाधित हो रही है।

जमीनदारों के द्वारा सरकार को दिया गया जमीनदारी रिटर्न का दस्तावेज, जमाबंदी, रजिस्टर-2 जो जीर्णशीर्ण होकर फट चुका है एवं ऋुटिपूर्ण है। उसे सुधार कर खतिहान को लेकर हर पंचायत में राजस्व कर्मचारी कैंप करें।

साथ ही सरकार के द्वारा पंचायत में बहाल अमीन भी किसानों को कुछ पूछने पर ज्यादा जानकारी नहीं दे रहे है। इस मौके पर किसान नेता डॉ. श्यामनदंन शर्मा, अशोक सिंह, सुरेश सिंह, चंद्रमोहन सिंह आदि किसान ने भाग लिया।

फुलवारीशरीफ में दो हजार जमाबंदी छह वर्षों से लॉक

मुश्किल फुलवारीशरीफ अंचल कार्यालय में करीब दो हजार जमाबंदी छह वर्षों से लॉक है। इसे खुलवाकर जमीन की दाखिल-खारिज अपने नाम कराने के लिए लोग अंचल से लेकर डीसीएलआर कार्यालय तक की दौड़ लगा रहे हैं। परिमार्जन की समस्या भी मुंह बाए खड़ी है। सर्वे में सबसे बड़ी समस्या दस्तावेज को लेकर हो रही है।

किसी के कागजाम उर्दू में तो किसी की कैथी लिपि में होने से उसे पढ़ पाना आमलोगों के लिए संभव नहीं है। ऐसे में दस्तावेज पढ़वाने के लिए मारामारी हो रही है। कागज को पढ़ने वाले नहीं मिल रहे, कोई मिल रहा तो इतने पैसे मांगता है कि रैयतों को सोचना पड़ रहा है।

अशरफ कमाल खां के जमीन की जमाबंदी लॉक है। इनकी एक जमीन का परिमार्जन भी अटका हुआ है। आवेदन करने के बाद डीसीएलआर कार्यालय की दौड़ आम आदमी से बाहर की बात हो कर रह गई है। इनको अपनी जमीन का सर्वे कराना है। ये परेशान हैं।

डीसीएलआर के यहां आवेदन करने की फीस पांच हजार रुपये

मीठापुर के नागेंद्र कुमार भी जमाबंदी लॉक होने के कारण दाखिल-खारिज नहीं करवा पा रहे हैं। वे बताते हैं कि डीसीएलआर के यहां आवेदन करने की फीस वकील पांच हजार रुपये मांग रहे हैं। वे कहते हैं कि छह माह लगेगा। इतने पैसे हम कहां से लाएं। इनके भाई दाखिल-खारिज करवा चुके हैं जबकि दोनों का एक ही प्लैट है।

जब यह दाखिल खारिज के लिए आवेदन देने पहुंचे तब पता लगा जमाबंदी लॉक है। अंचलाधिकारी सुनील कुमार ने बताया कि वर्ष 2017 में कुछ जमाबंदी पर पूरे बिहार में लॉक की गई थी। उसे अनलॉक करने का अधिकार डीसीएलआर को दिया गया है। 

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