बिहार-झारखंड पेंशन विवाद : एक कदम और आगे बढ़ीं सरकारें, झोली में आएंगे करोड़ों रुपये
Bihar Jharkhand Pension Dispute बिहार और झारखंड के बीच पेंशन विवाद का मामला अब तक सुलझ नहीं पाया है। कई बार दोनों तरफ से प्रयास किए गए। हालांकि सफलता नहीं मिल पाई। अब इस बीच पेंशन विवाद निपटाने के लिए एक और पहल की जा रही है। दोनों राज्यों के महालेखाकारों को गृह मंत्रालय ने सही आंकड़े जुटाने का निर्देश दिया है।
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Jharkhand Pension Dispute अब तक कई प्रयास हुए, लेकिन बिहार और झारखंड के बीच पेंशन विवाद का निबटारा नहीं हो पाया। बहरहाल एक और पहल हो रही है। केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद दोनों राज्यों के महालेखाकार पेंशन पेमेंट आर्डर (पीपीओ) के वास्तविक आंकड़े जुटा रहे।
बिहार में इसके लिए वित्त विभाग की ओर से तीन सदस्यीय समिति का गठन हुआ है, जिसे बैंकों से पीपीओ का मिलान करना है।
पिछले दिनों गृह मंत्रालय ने दोनों राज्यों के महालेखाकार को निर्देश दिया था कि पेंशन मद में कितनी राशि का भुगतान हुआ और कितना बकाया है, इसका सही आंकड़ा उपलब्ध कराया जाएगा। यह निर्देश पूर्वी क्षेत्र परिषद की बैठक के बाद दिया गया। 10 दिसंबर, 2023 को पटना में हुई उस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की थी। उस दौरान भी बकाये पेंशन का मुद्दा उठा था।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, पेंशन राशि के भुगतान व प्राप्ति से संबंधित दोनों राज्यों के आंकड़े मेल नहीं खा रहे। अब तीन सदस्यीय समिति को बैंकों के सहयोग से पीपीओ का रैंडम मिलान कर सही जानकारी जुटानी है। उल्लेखनीय है कि पीपीओ 12 अंकों का यूनिक नंबर होता है। उसमें पेंशन योजना से जुड़ी सभी जानकारी होती है।
पेंशन प्राप्त करने के लिए यह नंबर आवश्यक होता है।विवाद की जड़ का कारण दोनों राज्यों के अपने-अपने तर्क हैं। राज्य के बंटवारे के समय तय हुआ था कि उस समय तक कार्यरत सरकारी कर्मचारियों को दी जाने वाली पेंशन में एक तिहाई का भुगतान झारखंड करेगा। शेष दो तिहाई राशि का वहन बिहार करेगा। इसी आधार पर बिहार बकाया 847 करोड़ रुपये की मांग कर रहा।
जनसंख्या को आधार बनाते हुए झारखंड देनदारी से मुकर रहा है। उसका तर्क है कि झारखंड के साथ ही छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड का भी गठन हुआ था। वहां ऐसे विवादों के निबटारे के लिए जनसंख्या को आधार बनाया गया है। उसी आधार पर झारखंड का कहना है कि वह एक तिहाई यानी 33 प्रतिशत के बजाय 25 प्रतिशत राशि देने के लिए बाध्य है।
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