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Bihar Land Dispute: बिहार में भूमि विवाद कैसे घटेंगे? आपराधिक मामलों को लेकर ACS ने 'चिट्ठी' लिखकर सुझाया फॉर्मूला

बिहार में भूमि विवादों में हिंसा को रोकने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने पुलिस को भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है। अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने गृह विभाग को पत्र लिखकर थाना स्तर पर प्रभावी कार्रवाई के निर्देश देने को कहा है। बता दें कि भूमि विवाद के निपटारे के लिए साप्ताहिक बैठकें होती हैं।

By Arun Ashesh Edited By: Yogesh Sahu Updated: Fri, 15 Nov 2024 10:19 AM (IST)
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आपराधिक मामलों में समय पर पुलिस कार्रवाई हो तो कम हो सकता है भूमि विवाद
राज्य ब्यूरो, पटना। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने कहा है कि भूमि विवाद में हिंसा रोकने के लिए पुलिस भारतीय न्याय संहिता के तहत आपराधिक मामला दायर करे। विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने गुरुवार को गृह विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिख कर कहा है कि वे इस संबंध में थाना स्तर पर प्रभावकारी कार्रवाई का निर्देश दें।

उन्होंने कहा कि भूमि विवाद के निबटारे के लिए इस समय भी अंचल स्तर पर साप्ताहिक बैठक होती है। उसमें थाना प्रभारी भी होते हैं। लेकिन, जमीन से जुड़े आपराधिक मामलों में कार्रवाई नहीं होती है। सिंह ने कहा कि जमीन विवाद के दो पहलू हैं। राजस्व से जुड़े पहलू पर अंचल स्तर पर कार्रवाई होती है।

मगर, आपराधिक मामलों में कारगर कार्रवाई नहीं होने के कारण विवाद का निदान नहीं हो पाता है।अपर मुख्य सचिव ने कहा कि अन्य आपराधिक मामलों की तरह जमीन विवाद से जुड़े मामलों में कार्रवाई के लिए भारतीय न्याय संहिता-2023 में प्रविधान किए गए हैं।

संहिता की धारा 329 में आपराधिक अतिचार एवं गृह अतिचार को परिभाषित किया गया है। इस धारा के तहत कोई व्यक्ति बिना अनुमति के किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति में प्रवेश करता है, वहां रहता है और ऐसा करने के पीछे उसका उद्देश्य मालिक को धमकाना, अपमानित करना या अन्य अपराध करना होता है तो इस धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है।

यह धारा उस हालत में भी लागू है जब कोई व्यक्ति कानूनी रूप में किसी संपत्ति में प्रवेश करता है और बाद में अवैध रूप से उसमें रहने लगता है। पत्र में इस धारा और उप धाराओं का का हवाला देते हुए कहा गया है कि पुलिस इसके तहत कार्रवाई करे।

ऐसे रुक सकती है हिंसा

  • पत्र में धारा 126 के प्रयोग की भी सलाह दी गई है। कहा गया है कि लोक शांति भंग होने तथा अपराध को रोकने के लिए कार्रवाई नहीं की जा रही है।
  • जमीन के स्वामित्व विवाद पर दोनों पक्ष हथियार लेकर जुटते हैं। जमीन पर बलपूर्वक कब्जा करना चाहते हैं। हत्या तक की आशंका रहती है। ऐसी स्थिति में धारा 126 के तहत कार्रवाई कर हिंसा रोकी जा सकती है। ऐसे व्यक्तियों की तत्काल गिरफ्तारी की जा सकती है।
  • गिरफ्तार व्यक्ति से तीन साल का बंध पत्र भरवाया जा सकता है। अगर वह बंध पत्र को तोड़ता है तो उसे सजा हो सकती है।

कमजोर पक्ष को सुरक्षा नहीं

  • पत्र में कहा गया है कि जमीन विवाद में कमजोर पक्ष को मजबूत पक्ष की ओर से धमकी देने के मामले थाने की डायरी में दर्ज नहीं होते हैं। कमजोर पक्ष को सुरक्षा भी नहीं दी जाती है।
  • जमीन विवाद के अधिसंख्य मामलों में यह पाया जाता है कि बलशाली लोग कमजोर की जमीन पर बलपूर्वक कब्जा कर लेते हैं। इन मामलों में कमजोर लोगों की उपेक्षा की जाती है।
  • कमजोर तबके से पुलिस यह अपेक्षा करती है कि वह सक्षम न्यायालय से अपना स्वामित्व सिद्ध कराए। इन मामलों में अपेक्षित यह है कि थाने में वाद दर्ज कर तथ्य का अनुसंधान किया जाए और दोषी पक्ष पर कार्रवाई की जाए।
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