Bihar Bhumi Survey: भूमि सर्वे पर बड़ा फैसला ले सकती है नीतीश सरकार, नियमावली में होगा संशोधन!
बिहार भूमि सर्वेक्षण 2024 के दौरान स्वघोषणा पत्र जमा करने के लिए समय सीमा बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। वर्तमान में स्वघोषणा पत्र जमा करने के लिए 45 दिन का समय दिया जाता है लेकिन इसे तीन महीने या उससे भी अधिक समय तक बढ़ाया जा सकता है। इस कदम का उद्देश्य सर्वेक्षण अभियान को गति देना और स्वघोषणा पत्र से जुड़े विवादों को कम करना है।
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Land Survey 2024 विशेष भूमि सर्वेक्षण के दौरान जमीन से जुड़े कागजातों को जुटाने के लिए अधिक समय मिलने का रास्ता साफ हो रहा है। इसके लिए बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त नियमावली, 2012 के नियम 3 (1) में संशोधन का प्रारूप तैयार हो रहा है। देरी सिर्फ इस मुद्दे पर हो रही है कि नई समय सीमा क्या हो?
विभागीय मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल ने पिछले सप्ताह कहा था कि कागजात जुटाने के लिए रैयतों को तीन महीने तक का समय दिया जाएगा। विभाग में एक राय यह आ रही है कि क्यों न इसे चार या साढ़े चार महीने तक बढ़ा दिया जाए। आकलन यह है कि एकबार स्वघोषणा पत्र वाला विवाद समाप्त हो जाए तो सर्वे अभियान सरपट बढ़ जाएगा। इसे अब तक की सबसे बड़ी बाधा के रूप में चिह्नित किया गया है।
क्या है नियमावली?
अभी बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त नियमावली, 2012 के नियम 3 (1) के तहत स्वघोषणा पत्र जमा किया जा रहा है। इसके अनुसार- अधिसूचना के प्रकाशन की तिथि से 30 कार्य दिवसों के भीतर स्व-घोषणा प्रस्तुत की जानी चाहिए। तथापि, विशेष परिस्थितियों में अवधि को 15 अतिरिक्त कार्य दिवसों तक बढ़ाया जा सकता है।
इसी में प्रविधान है कि स्व-घोषणा के सत्यापन की अधिकतम अवधि प्राप्ति की तिथि से 15 कार्य दिवस होगी। यानी अभी 45 दिन का समय दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री की सहमति जरूरी
विभागीय सूत्रों ने बताया कि नियमावली में संशोधन के किसी प्रारूप को मुख्यमंत्री कार्यालय की सहमति के आधार पर ही अंतिम रूप दिया जाएगा, क्योंकि विशेष भूमि सर्वेक्षण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अभियान है। वह इस पर बारीक नजर रखते हैं।
देखना यह भी है कि स्वघोषााा के लिए अधिक समय देने से सर्वे की समय-सीमा प्रभावित न हो। विभाग की अंदरूनी तैयारी यह है कि 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले सर्वे पूरा हो जाए। नीतीश कुमार ने कई बार यह संकेत भी दिया है।
कैबिनेट से मंजूरी भी
नियमावली में संशोधन कार्यपालक आदेश से नहीं होगा। इसे राज्य कैबिनेट की स्वीकृति चाहिए। विभाग का प्रयास है कि प्रारूप जल्द से जल्द तैयार हो और उसे कैबिनेट की अगली बैठक में स्वीकृति के लिए भेज दिया जाए।
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