Bihar Land Survey: जमीन मापी की शिकायत पर नीतीश सरकार सख्त, भूमि सुधार विभाग के सचिव ने सभी DM को दिए ये निर्देश
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव ने गुरुवार को सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिख कर कहा कि जमीन की मापी के दौरान सुनिश्चित करें कि मानक प्रक्रिया प्रक्रिया का पालन किया गया है। पत्र में बताया गया है कि मापी करने वाले अमीनों को क्या करना है और क्या नहीं करना है। कहा गया है कि जिस जमीन की मापी हो रही है उसका अधिकृत नक्शा प्राप्त किया जाए।
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Land Survey सरकार ने माना कि जमीन की मापी के लिए निर्धारित मानक प्रक्रिया का पालन न होने के कारण विवाद बढ़ रहा है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने गुरुवार को सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिख कर कहा कि जमीन की मापी के दौरान सुनिश्चित करें कि मानक प्रक्रिया प्रक्रिया का पालन किया गया है।
पत्र में बताया गया है कि मापी करने वाले अमीनों को क्या करना है और क्या नहीं करना है। कहा गया है कि जिस जमीन की मापी हो रही है, उसका अधिकृत नक्शा प्राप्त किया जाए। स्केल एवं मापी के अन्य उपकरणों की जांच की जाए।
'लैंड मार्क का उपयोग किया जाए'
अमीन अपने फिल्ड बुक में मापी की पूरी प्रक्रिया अंकित करें। मापी गई जमीन की चौहद्दी का स्पष्ट विवरण दर्ज किया जाए। इसके लिए लैंड मार्क का भी उपयोग किया जाए।
पत्र में कहा गया है कि मापी के बाद प्रतिवेदन में आवेदित की जमीन का खेसरा का प्रचलित नक्शा के अनुसार रकबा का विवरण दर्ज किया जाए। उसमें नजरी नक्शा भी शामिल किया जाए। प्रतिवेदन पर स्पष्ट दर्ज हो कि मापी किस तिथि को हुई और अमीन का क्या नाम और पदनाम है।
कहा गया है कि मापी की पूरी प्रक्रिया बिहार काश्तकारी संशोधन नियमावली 2023 के अनुसार हो। पत्र में रैयतों की इस शिकायत के निवारण के लिए भी कहा गया है, जिसके अनुसार मापी के लिए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की जाती है।
अधिकतम एक महीने में मापी का प्रविधान नियमत
सामान्य मापी के लिए अधिकतम एक महीना और तत्काल मापी के लिए 10 दिन का समय निर्धारित किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रति खेसरा पांच सौ रुपया मापी शुल्क है। तत्काल मापी में इसके लिए एक हजार रुपया देना पड़ता है। कोई भी रैयत एक साथ चार खेसरा की मापी के लिए आवेदन कर सकता है। शहरी क्षेत्रों में प्रति प्लाट तत्काल के लिए दो हजार और सामान्य के लिए एक हजार रुपया निर्धारित किया गया है। हालांकि, व्यवहार में ऐसा नहीं हो पाता है। मापी के लिए रैयत महीनों अंचल और अमीन का चक्कर लगाते रहते हैं।
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