Bihar News: अब अपंजीकृत मठों-मंदिरों की संपत्ति का ब्योरा जुटाएंगे जिलाधिकारी, नीतीश सरकार ने दिया आदेश
Bihar News बिहार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) की सरकार अब अपंजीकृत मठों मंदिरों और विभिन्न धार्मिक न्यासों से जुड़ी संपत्ति का ब्योरा जुटा रही है। विधि विभाग ने जिलाधिकारियों को कहा है कि वह इनकी चल अचल संपत्ति का पता लगाएं। उसकी जानकारी बिहार राज्य धार्मिक न्याय पर्षद को दें। विभागीय मंत्री नितिन नवीन ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में अब मठों, मंदिरों और धार्मिक न्यायों का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है। फिर भी बड़ी संख्या में इनका पंजीयन होना बाकी है। राज्य के 20 जिलों में इनकी संपत्ति का लेखा-जोखा धार्मिक न्यास पर्षद के पास नहीं है। संपत्ति के मामले में अपंजीकृत मठ मंदिर अधिक संपन्न हैं।
बताया जा रहा है कि सिर्फ 18 जिलों के पंजीकरण का ब्योरा न्यास पर्षद के वेबसाइट पर दर्ज है। पंजीकरण की अनिवार्यता धर्मशाला के लिए भी है, लेकिन बड़ी संख्या में धर्मशालाओं का संचालन बिना पंजीकरण के हो रहा है।
विधि मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि जल्द ही एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई जाएगी। इसमें विधि एवं राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। इसमें पंजीकृत और अपंजीकृत संस्थानों की चल अचल संपत्ति की वर्तमान स्थिति पर विचार किया जाएगा।
मठ और मंदिरों के पास 43 सौ एकड़ से अधिक जमीन
मंत्री ने आगे बताया कि धार्मिक न्याय पर्षद के अनुसार, राज्य में ढाई हजार से अधिक मठ और मंदिर अपंजीकृत हैं। इसके पास 43 सौ एकड़ से अधिक जमीन है।
राज्य में पंजीकृत मंदिरों की संख्या भी ढाई हजार के करीब है और इनके पास साढ़े 18 हजार 456 एकड़ जमीन है। वैशाली में सबसे अधिक 438 अपंजीकृत मठ-मंदिर वैशाली जिला में है। कैमूर में 307, पश्चिमी चंपारण में 273, भागलपुर में 191, बेगूसराय में 185, सारण में 154 एवं गया में 152 मठ मंदिर अपंजीकृत हैं।
ऐसे में विधि विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को नया काम सौंपा है। उनको मठों, मंदिरों और धार्मिक न्यायों की चल अचल संपत्ति का पता लगाने की जिम्मेदारी मिली है। इनके बारे में जानकारी जुटाकर डीएम बिहार राज्य धार्मिक न्याय पर्षद को देंगे।
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