Bihar Politics बिहार के दो कद्दावर नेता छठी बार संसद पहुंचे हैं। वहीं तीन नेताओं ने लगातार चौथी बार जीत दर्ज की है। राधामोहन के अलावा बाकी दो (पश्चिम चंपारण में डा. संजय जायसवाल नालंदा में कौशलेंद्र कुमार) अपना रिकॉर्ड बनाने में सफल रहे। संजय भाजपा के प्रतिनिधि हैं और कौशलेंद्र जदयू के। पप्पू यादव तो क्षेत्र बदलते रहे जबकि तारिक कटिहार से ही जीतते-हारते रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, पटना।
Bihar Politics News Hindi पूर्वी चंपारण संसदीय क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर विजयी रहे राधामोहन सिंह सातवीं बार सांसद चुने गए हैं, जिनमें से उनकी पिछली चार जीत निर्बाध है। इस बार लगातार चौथी जीत के लिए कुल चार प्रत्याशी प्रयासरत थे। संयोग से वे चारों राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के थे।
उनमें से औरंगाबाद के मैदान में सुशील कुमार सिंह मात खा चुके हैं। राधामोहन के अलावा बाकी दो (पश्चिम चंपारण में डा. संजय जायसवाल, नालंदा में कौशलेंद्र कुमार) अपना रिकार्ड बनाने में सफल रहे। संजय भाजपा के प्रतिनिधि हैं और कौशलेंद्र जदयू के।
ये दो नेता छठी बार पहुंचे संसद
कटिहार में कांग्रेस के टिकट पर जीते तारिक अनवर और पूर्णिया से निर्दलीय विजयी रहे राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव (Pappu Yadav) छठी बार संसद पहुंच रहे, लेकिन उनकी जीत निर्बाध नहीं। पप्पू यादव तो क्षेत्र बदलते रहे, जबकि तारिक कटिहार से ही जीतते-हारते रहे हैं।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि तारिक अनवर तो कांग्रेस का सपोर्ट करेंगे, लेकिन पप्पू यादव को लेकर अटकलें तेज हैं। दरअसल, चुनाव के बीच कांग्रेस ने पप्पू यादव को सदस्य मानने से इनकार कर दिया था। अब देखने वाली बात यह होगी कि पप्पू की अगली रणनीति क्या होगी और वह किस खेमे में जाएंगे।
मीरा कुमार और देंवेंद्र प्रसाद यादव अगर इस बार चुनाव लड़े होते तो संभव था कि इस सूची में अपना नाम दर्ज कराते। दोनों पांच बार सांसद रहे हैं। मीरा ने तो इस बार स्वयं चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया था, लेकिन झंझारपुर में राजद के टिकट की आस में देवेंद्र को निराश होना पड़ा।
रामविलास पासवान एक और रिकॉर्ड कायम कर सकते थे
Bihar News संसदीय राजनीति में रामविलास पासवान एक और रिकॉर्ड कायम कर सकते थे, लेकिन स्वास्थ्य के कारण पिछली बार चुनाव मैदान में उतरे ही नहीं। जार्ज फर्नांडिस अगर मुजफ्फरपुर में अपना आखिरी चुनाव जीत गए होते दस बार संसद पहुंचने वालों की सूची में होते, जिसमें बिहार से अभी कोई नाम नहीं।
संसद में बिहार की सर्वोत्तम उपलब्धि नौ बार सांसद चुने जाने वाले जार्ज और रामविलास तक जाकर सिमट जाती है।
झारखंड का बंटवारा नहीं होता तो आठ बार सांसद चुने जाने वालों में बिहार से राधामोहन सिंह और बाबू जगजीवन राम के साथ दो और नाम होते। खूंटी के करिया मुंडा और दुमका के शिबू सोरेन का।
खूंटी और दुमका अब झारखंड के खाते में हैं। जगजीवन राम की आठों जीत निर्बाध हुई। वह अप्रतिम उपलब्धि है। मृत्युपर्यंत तक वे सांसद रहे। आठवीं बार संसद पहुंचने की कामना में शरद यादव भी सफल नहीं हो पाए थे। जार्ज और शरद में एक जबरदस्त समानता है।
ये नेता भी छह बार पहुंचे थे संसद
जनता पार्टी से होते हुए दोनों जदयू में आए और चुनावी समीकरणों के कारण पार्टी से बेदखल होकर चुनाव लड़े और हारे। नीतीश कुमार की तरह मुख्यमंत्री रहे सत्येंद्र नारायण सिन्हा भी छह बार सांसद चुने गए थे।
इस सूची में पांच बार सांसद चुने गए लालू प्रसाद भी अपना नाम दर्ज करा सकते थे, लेकिन चारा घोटाले ने उन्हें मुकाबले के लायक ही नहीं रखा। इस बार लालू का पूरा ध्यान सारण और पाटलिपुत्र पर लगा था, जहां से वे चुनाव जीते-हारे हैं।
सारण में उनकी पुत्री डा. रोहिणी आचार्य अपने पहले मुकाबले में सफल तो नहीं रहीं, लेकिन पाटलिपुत्र में मीसा भारती दो हार के बाद तीसरे दांव में बाजी मार ले गई हैं।
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