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Bihar Lok Sabha Election: परिसीमन के बाद बनीं दस सीटें, आठ पर नहीं खुला महागठबंधन का खाता

वर्ष 2008 में लागू परिसीमन के बाद उजियारपुर पाटलिपुत्र जमुई और काराकाट सीटें बिल्कुल नए सिरे से गठित की गईं। इन चारों सीटों पर लगातार राजग के उम्मीदवार जीत रहे हैं। उजियारपुर से 2009 में जदयू की अश्वमेध देवी जीती इसके बाद लगातार दो चुनावों से भाजपा के नित्यानंद राय यहां से सांसद हैं। इस बार वह तीसरी बार किस्मत आजमा रहे।

By Rajat Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 30 Apr 2024 02:51 PM (IST)
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परिसीमन के बाद बनीं दस सीटें, आठ पर नहीं खुला महागठबंधन का खाता
कुमार रजत, पटना। करीब डेढ़ दशक पहले लागू परिसीमन के बाद बिहार में लोकसभा की दस सीटों का नए सिरे से गठन किया गया। इन नई सीटों पर अभी तक तीन बार लोकसभा के चुनाव हो चुके हैं। दस में आठ सीटें ऐसी हैं, जिस पर लगातार राजग का कब्जा बना हुआ है।

महज दो सीटें सुपौल और सारण ही ऐसी हैं, जहां महागठबंधन एक-एक बार जीत दर्ज कर सका है। बाकी आठ सीटें वाल्मीकिनगर, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, उजियारपुर, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, जमुई और काराकाट में लगातार तीन चुनावों से राजग का कब्जा बरकरार है।

वर्ष 2008 में लागू परिसीमन के बाद उजियारपुर, पाटलिपुत्र, जमुई और काराकाट सीटें बिल्कुल नए सिरे से गठित की गईं। इन चारों सीटों पर लगातार राजग के उम्मीदवार जीत रहे हैं। उजियारपुर से 2009 में जदयू की अश्वमेध देवी जीती, इसके बाद लगातार दो चुनावों से भाजपा के नित्यानंद राय यहां से सांसद हैं। इस बार वह तीसरी बार किस्मत आजमा रहे।

पाटलिपुत्र सीट पर भी पहली बार जदयू के रंजन प्रसाद यादव ने लालू प्रसाद को हराकर जीत दर्ज की। इसके बाद लगातार दो चुनावों से भाजपा के रामकृपाल यादव यहां से सांसद हैं। जमुई सीट पर भी पहली बार जदयू के भू-देव चौधरी ने जीत दर्ज की। इसके बाद दो बार से लोजपा के टिकट पर चिराग पासवान लगातार सांसद चुने गए।

इस बार चिराग खुद हाजीपुर से लड़ रहे, उनकी जगह लोजपा (रा) से अरुण भारती ने चुनाव लड़ा। काराकाट सीट पर पहली और तीसरी बार जदयू के महाबली कुशवाहा ने जीत दर्ज की। वर्ष 2014 में रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा ने यहां से जीत दर्ज की थी। इस बार उपेंद्र कुशवाहा फिर से मैदान में हैं। उन्हें निर्दलीय पवन सिंह और भाकपा माले के राजा राम सिंह कुशवाहा चुनौती दे रहे हैं।

छह सीटों का बदला दायरा और नाम

परिसीमन के बाद छह सीटों का दायरा और नाम बदल गया। इनमें चार सीटें पहले राजद के पास थीं। पूर्वी चंपारण सीट पहले मोतिहारी, पश्चिमी चंपारण सीट पहले बेतिया, सारण की सीट पहले छपरा और पटना साहिब की सीट पहले पटना नाम से थी।

यहां से क्रमश: राजद के अखिलेश सिंह, रघुनाथ झा, लालू प्रसाद और रामकृपाल यादव सांसद थे मगर परिसीमन के बाद इनमें से तीन सीट पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण और पटना साहिब पर लगातार भाजपा का कब्जा है।

2009 में लालू ने जीती सारण सीट

सारण सीट 2009 के चुनाव में लालू प्रसाद ने जरूर जीती मगर इसके बाद फिर लगातार दो चुनावों से भाजपा के राजीव प्रताप रुडी जीत दर्ज कर रहे हैं। इस बार भी पूर्वी चंपारण से डा. संजय जायसवाल, पश्चिमी चंपारण से राधामोहन सिंह लगातार लगातार चौथी जीत दर्ज करने के लिए मैदान में हैं।

वहीं पटना साहिब से रविशंकर प्रसाद दूसरी बार किस्मत आजमा रहे हैं। सारण से लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य भाजपा के राजीव प्रताप रुडी को चुनौती दे रहीं हैं।

सुपौल और वाल्मीकिनगर सीट

इसके अलावा, सुपौल की सीट पहले सहरसा और वाल्मीकिनगर की सीट पहले बगहा के नाम से थी। सुपौल सीट पर 2009 और 2019 में जदयू ने जीत दर्ज की है, बीच में एक बार 2014 में कांग्रेस के टिकट पर रंजीत रंजन ने जीत दर्ज कर सेंधमारी की।

वहीं वाल्मीकिनगर सीट राजग का गढ़ रही है। यहां से 2009 और 2019 में जदयू जबकि 2014 में भाजपा ने जीत दर्ज की है। जब यह सीट बगहा थी तब भी इस सीट पर जदयू के उम्मीदवारों का दबदबा था।

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