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Bihar Politics: जातीय गणना रिपोर्ट के आधार पर कब बढ़ेगी आरक्षण की सीमा? बिहार सरकार में RJD के मंत्री ने बताया

Bihar Politics बिहार में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद आरक्षण की सीमा बढाने पर सियासत तेज होती जा रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा जातीय गणना की रिपोर्ट पर विधानसभा सत्र में चर्चा कराने की पुष्टि के बीच बिहार सरकार में मंत्री आलोक मेहता ने आरक्षण का दायरा बढ़ाने का निर्णय तो केंद्र सरकार को लेना चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: Mohit TripathiUpdated: Wed, 11 Oct 2023 09:37 PM (IST)
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अगली सरकार तय कर सकती है जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण: आलोक मेहता।
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में जाति आधारित गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद आरक्षण की सीमा बढाने पर सियासत तेज होती जा रही है। भू एवं राजस्व की बातों के बीच जातियों की संख्या का जिक्र होने पर विभागीय मंत्री आलोक मेहता ने आरक्षण की सीमा बढ़ाये जाने पर सीधा जवाब न देते हुए काफी कुछ कह दिया है।

मेहता ने कहा कि हमारे नेता लालू प्रसाद तो 'जिसकी जितनी संख्या भारी-उसकी उतनी हिस्सेदारी' के पक्षकार रहे हैं। वैसे आरक्षण का दायरा बढ़ाने का निर्णय तो केंद्र सरकार को लेना चाहिए।

आलोक मेहता ने कहा कि तमिलनाडु में तो 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण की व्यवस्था है। बहुत संभव है कि अगली सरकार जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण तय करे।

समाजवादी नेता हमेशा से पक्षधर

उन्होंने कहा कि समाजवादी नेता हमेशा से इसके पक्षधर रहे हैं। हमने भी आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों के लिए आरक्षण का समर्थन किया है।

जाति आधारित गणना में गड़बड़ी की शिकायत को निराधार बताते हुए मेहता ने कहा कि सही जानकारी नहीं रखने वाले ही इसपर प्रश्न खड़ा कर रहे हैं। ऐसे लोगों की नीयत खराब है।

कुशवाहा पर कटाक्ष

उपेंद्र कुशवाहा पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि वे अपने समाज का हितैषी बनने का प्रयास कर रहे। कुशवाहा साइंस कालेज के छात्र थे। उनकी गणित तो ठीक होनी चाहिए।

राजद के विधान पार्षद चंद्रवंशी के बयान पर मेहता ने कहा कि उनकी नजर कहीं और है। कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई। इस गणना का उद्देश्य जातिवाद फैलाना नहीं।

उन्होंने आगे कहा कि जाति आधारित गणना से हाशिये पर खड़े लोगों की वास्तविक संख्या की जानकारी हो गई है। अब हर वर्ग के विकास के लिए योजनाओं के निर्धारण व नीतिगत निर्णय में आसानी होगी।

CM व डिप्टी CM के पद पर आरक्षण पर क्या कहा ?

मेहता के अनुसार, मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री के पद पर आरक्षण का कोई औचित्य नहीं है। उन्हें जन-प्रतिनिधि चुनते हैं। राम मनोहर लोहिया अगड़ी जाति से थे, जबकि उन्हें पूरा देश अपना नेता मानता था। विधानसभा चुनाव में टिकट और मंत्रिमंडल में हर वर्ग की हिस्सेदारी का निर्धारण राजद अवश्य करता है।

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