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Bihar Monsoon Session: बिहार विधानसभा का मानसून सत्र शुरू, नीतीश कुमार को अपने ही विधायक से लगा बड़ा झटका

बिहार विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो गया। सेशन के पहले दिन अपराध के मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर बहस हुई। कांग्रेस ने बढ़ते अपराध ठीकर नीतीश सरकार पर फोड़ा। हैरानी की बात तो यह रही कि जदयू के एक विधायक ने भी बढ़ते अपराध पर प्रतिक्रिया देकर नीतीश कुमार को झटका दे दिया। जदयू विधायक ने स्वीकार किया कि अपराध बढ़ा है।

By Sunil Raj Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 22 Jul 2024 01:27 PM (IST)
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बिहार विधानसभा को संबोधित करके सीएम नीतीश कुमार। (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में आपराधिक घटनाओं को लेकर विपक्ष सत्तापक्ष पर लगातार हावी है और अपने बयानों के साथ ही महागठबंधन नेताओं ने इसके खिलाफ प्रतिरोध मार्च तक किया। सोमवार से प्रारंभ हुए बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के प्रारंभ में भी सदन के बाहर इसका असर देखा गया।

जदयू विधायक डॉ. संजीव तक ने माना कि प्रदेश में अपराध बढ़ा है। सोमवार को विधानसभा की कार्यवाही प्रारंभ होने के पूर्व कांग्रेस विधायक राजेश कुमार ने संविधान की प्रति गले में लटकाकर प्रदर्शन किया और कहा कि केंद्र की वर्तमान सरकार में देश में संविधान को खतरा है।

सरकार पर फोड़ा ठीकरा

वहीं, कांग्रेस विधायक नीतू सिंह ने आपराधिक घटनाओं का ठीकरा सरकार पर फोड़ा। उन्होंने कहा कि 90 के दशक को यदि भाजपा-जदयू के लोग जंगलराज बताते हैं तो आज बिहार में महाजंगलराज है।

उन्होंने कहा कि भाजपा-जदयू की सरकार में आम आदमी सुरक्षित नहीं। बहु-बेटियों की अस्मत पर हमेशा खतरा मंडराता रहता है। आए दिन हत्या, लूट, दुष्कर्म, छिनछोरी की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं और सरकार मौन है।

वहीं, जदयू विधायक डॉ. संजीव कुमार ने भी कहा कि राज्य में विधि-व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं। अपराध की घटनाएं बढ़ी हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि ऊपर में बैठे लोगों को बदल देने की जरूरत है।

AIMIM ने मांगा सीमांचल का हक

विधानसभा परिसर में एआईएमआईएम सदस्य अख्तरूल इमान ने सीमांचल में आई बाढ़ का मसला उठाया और कहा कि सरकार ने वादा करने के बाद भी आपदा पीड़ितों की कोई मदद नहीं की।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार कहते हैं कि सरकारी खजाने पर पहला हक आपदा पीड़ितों का है, लेकिन सीमांचल में बाढ़ की वजह से लोगों को हाल बुरा है बावजूद उनकी कोई मदद नहीं की जा रही है। उन्होंने सरकार से मांग की कि सीमांचल का हक सीमांचल निवारियों को दिया जाए।