बिहार NDA सीट शेयरिंग: BJP के कई पार्टनर नाराज, पारस की चेतावनी भी गई खाली; अब महागठबंधन पर नजरें
मोदी सरकार में सहयोगी रही पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जन शक्ति पार्टी को बड़ा झटका देते हुए उसे पैदल कर दिया है। वहीं एनडीए के सहयोगी रहे उपेंद्र कुशवाहा भी इस निर्णय से संतुष्ट नहीं। कुशवाहा सात सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रहे थे। वहीं चर्चा थी वीआइपी को चुनाव में भाजपा दो सीटें दे सकती है लेकिन भाजपा ने मुकेश सहनी को तवज्जो ही नहीं दी।
राज्य ब्यूरो, पटना। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने सोमवार को दिल्ली में सीटों का बंटवारा कर लिया। भाजपा खुद 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। सहयोगी जदयू को 16 सीटें दी है। चाचा-भतीजा के बीच सीटों को लेकर चल रही जुबानी जंग में भतीजे की जीत हुई और चाचा पैदल हो गए। चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) को पांच सीटें दी है। जबकि राष्ट्रीय लोक मोर्चा यानी उपेंद्र कुशवाहा को एक और मांझी की हम को एक सीट मिली है।
अब तक केंद्र की मोदी सरकार में सहयोगी रही पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जन शक्ति पार्टी को बड़ा झटका देते हुए उसे पैदल कर दिया है। रालोजपा को बंटवारे में एक भी सीट नहीं मिली। कल तक पशुपति पारस वैशाली सीट को अपने परिवार की पारंपरिक सीट बता रहे थे, लेकिन पशुपति को किनारे करते हुए भाजपा ने वैशाली के साथ ही समस्तीपुर, खगड़िया और जमुई सीट चिराग को सौंप दी है।
एनडीए से नाराज हैं कुशवाहा?
चर्चा है कि सक्रिय राजनीति में बने रहने के लिए पशुपति पारस नए विकल्प तलाशेंगे। दूसरी ओर एनडीए के सहयोगी रहे उपेंद्र कुशवाहा भी इस निर्णय से संतुष्ट नहीं। कुशवाहा सात सीटों पर चुनाव की तैयारी कर रहे थे। इस संबंध में कुशवाहा से बात करने के प्रयास भी किए गए परंतु वे फोन पर नहीं आए। यहां तक की उनकी पार्टी के प्रवक्ताओं तक के फोन ऑफ मिले। राजनीति में उनके अगले कदम के कयास लगने शुरू हो गए हैं।मुकेश सहनी के दावे खाली
इन दो दलों से अलग विकासशील इंसान पार्टी को लेकर चर्चा थी कि यह एनडीए की सहयोगी होगी। चर्चा थी वीआइपी को चुनाव में भाजपा दो सीटें दे सकती है, लेकिन भाजपा ने वीआइपी प्रमुख मुकेश सहनी से न तो संपर्क ही किया न ही उन्हें तवज्जो दी।पार्टी प्रवक्ता देव ज्योति कहते हैं, हमारी स्पष्ट मांग है जो निषाद आरक्षण की बात करेगा हमारा गठबंधन उसके साथ होगा। भाजपा के निर्णय से प्रतीत होता है वह निषाद आरक्षण के पक्ष में नहीं। बहरहाल सीट बंटवारे में भाजपा के फैसले ने कई सहयोगियों को नाराज किया है। नाराज दल और इसके नेता अब नए विकल्प की तलाश में हैं। देखना है कि महागठबंधन में इनकी बात बनती है या फिर नहीं।
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