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Bihar News: आरक्षण बढ़ाने के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में एक और याचिका दायर, यहां जानें पूरा मामला

बिहार सरकार ने राज्य में आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दी है। सरकार के इस निर्णय को चुनौती देते हुए बुधवार को पटना हाई कोर्ट में एक अन्य याचिका दायर की गई है। इससे पहले 24 नवंबर को गौरव कुमार व नमन श्रेष्ठ ने इस कानून को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। इन याचिकाओं के जल्द सूचीबद्ध होने की संभावना है।

By Jagran NewsEdited By: Mukul KumarUpdated: Thu, 30 Nov 2023 08:21 AM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दी गई है। सरकार के इस निर्णय को चुनौती देते हुए बुधवार को पटना हाई कोर्ट में एक अन्य याचिका दायर की गई है।

यह लोकहित याचिका अंजनी कुमारी तिवारी ने अपने अधिवक्ता समीर कुमार एवं सौरव सिंह के माध्यम से दायर की है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 24 नवंबर को गौरव कुमार व नमन श्रेष्ठ ने इस कानून को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।

दिशा-निर्देशों का उल्लंघन

इन याचिकाओं के जल्द सूचीबद्ध होने की संभावना है। इसके अलावा शैक्षणिक संस्थानों से संबंधित आरक्षण कानून की वैधता को भी हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।

अंजनी ने याचिका से आपत्ति जताई है कि जाति आधारित सर्वेक्षण अधूरा एवं पक्षपाती है। आरक्षण वृद्धि कानून में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया गया है।

इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार के मामले में शीर्ष न्यायालय ने तय किया था कि किसी भी हाल में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत ने अधिक नहीं बढ़ाई जा सकती है।

संशोधनों पर रोक लगाने की मांग

इस लोकहित याचिका द्वारा इन संशोधनों पर रोक लगाने की मांग की गई है। राज्य सरकार द्वारा पारित संशोधित अधिनियम संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

पटना हाई कोर्ट में शैक्षणिक संस्थानों में दी गई आरक्षण कानून की वैधता को चुनौती देते हुए भी एक अन्य याचिका दायर की गई है। बुधवार को यूथ फार इक्वालिटी की ओर से अधिवक्ता धनंजय तिवारी ने यह याचिका दायर की है।

याचिका द्वारा राज्य में 65 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बता केस दायर किया गया है। याचिका द्वारा कहा गया है कि जाति आधारित गणना में पूछे गए 17 प्रश्नों के उत्तर के आधार पर राज्य में आरक्षण दिया जा रहा है। नौ नवंबर को दोनों सदनों से इसे पारित कर दिया गया।

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