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Bihar: जहरीली शराब से मरने वालों के परिवार को मिलेगा मुआवजा, विभाग ने इन जिलों के 38 परिवारों को किया चिन्हित

राज्य में जहरीली शराब से मरने वाले लोगों के आश्रितों को जल्द ही अनुग्रह अनुदान मिलेगा। पहले चरण में ऐसे 38 आश्रित परिवारों का चयन किया गया है। इनमें हाल ही में मोतिहारी में हुए शराब कांड के 26 और नालंदा में हुए शराब कांड के 12 परिवार शामिल हैं। इन सभी को मुख्यमंत्री राहत कोष योजना से चार-चार लाख की राशि दी जाएगी।

By Edited By: Mohit TripathiUpdated: Thu, 06 Jul 2023 11:05 PM (IST)
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Bihar: 38 आश्रित परिवारों को मिलेगा मुआवजा। जागरण
राज्य ब्यूरो, पटना: राज्य में जहरीली शराब से मरने वाले लोगों के आश्रितों को जल्द ही अनुग्रह अनुदान मिलेगा। पहले चरण में ऐसे 38 आश्रित परिवारों का चयन किया गया है। इनमें हाल ही में मोतिहारी में हुए शराब कांड के 26 और नालंदा में हुए शराब कांड के 12 परिवार शामिल हैं।

इन सभी को मुख्यमंत्री राहत कोष योजना से चार-चार लाख की राशि दी जाएगी। इसी साल अप्रैल में राज्य सरकार ने शराब से मौत पर अनुग्रह अनुदान देने का निर्णय लिया था। इसके बाद पहली बार यह राशि जारी की जा रही है।

क्या बोले मद्य निषेध अधिकारी

मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त श्रीकृष्ण पासवान ने बताया कि जिलाधिकारी के माध्यम से विभाग को आश्रित परिवारों की रिपोर्ट मिली है। इसके बाद विभाग ने अपनी अनुशंसा मुख्यमंत्री सचिवालय को भेज दी है। एक से दो दिनों में जिलों को राशि आवंटित हो जाएगी।

इसके बाद डीएम के स्तर से अनुदान राशि का भुगतान किया जाएगा। जहरीली शराब से मौत पर अन्य जिलों से भी आश्रितों की रिपोर्ट मांगी गई है। रिपोर्ट आते ही संबंधित जिलों में भी आश्रित परिवारों को अनुग्रह राशि का भुगतान किया जाएगा।

मुआवजे के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट जरूरी

विभाग के अनुसार, एक अप्रैल, 2016 के बाद जहरीली शराब से मरने वाले मृतकों के आश्रितों को अनुग्रह अनुदान दिया जाना है। मुआवजा पाने के लिए पीडि़त परिवारों को अपने जिले के डीएम को लिखित आवेदन देना होता है।

इसमें यह लिखना होगा कि वे शराबबंदी के समर्थन में हैं और अन्य लोगों को भी शराबबंदी कानून मानने के लिए प्रेरित करेंगे। इसके साथ ही वे जहरीली शराब से मौत के मामले में हो रही जांच में भी अपना पूरा सहयोग करेंगे।

नियमानुसार, 17 अप्रैल, 2023 के बाद जहरीली शराब से मौत पर अनुदान पाने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट देना अनिवार्य है। इ

सके पहले के पीड़ित परिवार जिनके पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं है, उनके मामले की जांच डीएम के स्तर से बनी कमेटी करेगी। डीएम की अनुशंसा पर ही संबंधित जिलों को राशि का आवंटन किया जाएगा।

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