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बिहारः इंटरनेट मीडिया की मुफ्त सलाह से चिकित्सकों ने किया आगाह, कहीं आप तो नहीं कर रहे ये काम

कोरोना के दौर में इंटरनेट मीडिया के माध्यम से तेजी से मुफ्त में सलाह प्रसारित हो रही है। बिना सोचे-समझे लोग इस सलाह को अपनाकर खुद को परेशानी में डाल रहे हैं। लेकिन मुफ्त में मिली यह सलाह कई अन्य बीमारियों को आमंत्रण दे रही है।

By Akshay PandeyEdited By: Updated: Sat, 22 May 2021 07:25 PM (IST)
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इंटरनेट मीडिया पर मिलने वाली मुफ्त सलाह से चिकित्सकों ने आगाह किया है। प्रतीकात्मक तस्वीर।
प्रभात रंजन, पटना: कोरोना संक्रमण काल में इंटरनेट मीडिया के माध्यम से तेजी से मुफ्त में सलाह प्रसारित हो रही है। बिना सोचे-समझे लोग इस सलाह को अपनाकर खुद को परेशानी में डाल रहे हैं। लेकिन मुफ्त में मिली यह सलाह कई अन्य बीमारियों को आमंत्रण दे रही है। कोरोना महामारी के इस दौर में इंटरनेट मीडिया या किसी अन्य माध्यम से मिली सलाह को नजरअंदाज कर आपको डॉक्टरों के परामर्श के अनुसार ही दवाओं का सेवन करना उचित होगा। 

फिटकरी की नहीं कोई भूमिका

बिना किसी शोध के किसी चीज का इलाज में उपयोग करना उचित नहीं माना जाता। कोई व्यक्ति फिटकारी का उपयोग संक्रमण काल में करता है तो यह ठीक नहीं है। इससे संक्रमण नहीं दूर होगा। अभी तक ऐसा कोई शोध नहीं हुआ कि फिटकरी का पानी पीने या इससे कुल्ला करने से कोरोना ठीक होता है। ऐसे में इससे परहेज करने की जरूरत है। 

व्यक्ति की बीमारी पर निर्भर करती है दवा 

किसी भी दवाओं का उपयोग व्यक्ति की बीमारी पर निर्भर करता है। पटना आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद के अनुसार, कोई जरूरी नहीं कि एक ही दवा हर व्यक्ति को सही नहीं कर सकती है। आयुर्वेद पद्धति में व्यक्ति के रोग के अनुसार दवाओं का उपयोग किया जाता है।  उम्र के मुताबिक भी दवाओं की मात्रा का ख्याल रखा जाता है। कई दवाओं का सेवन सोच-समझ और डॉक्टरों के परामर्श पर लेने की जरूरत है।

काढ़े का अधिक सेवन हो सकता है नुकसानदेह

संक्रमण काल में काढ़े का उपयोग भी सोच-समझ कर करें। संक्रमित लोग 20-30 मिली यानी एक कप चाय से ज्यादा न लें। दिन में दो या तीन बार ले सकते हैं। जो संक्रमित नहीं है, उसे दिन में एक बार इसका सेवन करना चाहिए। ज्यादा लेने से पेट में जलन, गैस व कब्ज आदि की समस्या हो सकती है। काढ़े की तासीर गर्म होती है। गर्भवती महिलाएं इसका सेवन न करें तो अच्छा है। क्योंकि इससे गर्भ में पल रहे बच्चे पर असर पड़ सकता है। बहुत जरूरी हो तो गिलोय, अश्वगंधा, अर्जुनवटी की एक गोली पर्याप्त है। गर्भवती महिलाएं दाल का पानी, हरी सब्जी, फल आदि का सेवन करें तो इन दवाओं की जरूरत नहीं होगी। उच्च रक्तचाप के मरीज को भूलकर भी काढ़ा नहीं देना चाहिए। 

समझदारी से करें च्यवनप्राश का सेवन

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने को लेकर लोग च्यवनप्राश का सेवन खूब करते हैं। अगर कोई शुगर का मरीज है तो भूलकर भी च्यवनप्राश का सेवन न करे। सामान्य लोग भी इसका सेवन ज्यादा न करें। च्यवनप्राश में आंवला होने के कारण विटामिन-सी की प्रचुर मात्रा होती है। ऐसे में सामान्य लोग दिन में एक चम्मच सेवन कर सकते हैं। गिलोय, अश्वगंधा, वटी आदि का सेवन भी खुद से न करें। 

सभी को भांप लेने की जरूरत नहीं

बिना डॉक्टरी परामर्श के भांप भी नहीं लेना चाहिए। सर्दी-जुकाम, खांसी या सीने में कफ जमा हो तो दिन में सुबह व शाम भांप ले सकते हैं। इससे ज्यादा लेने से परहेज करें। जो व्यक्ति इन बीमारियों से दूर हैं, उन्हें भांप लेने की जरूरत नहीं है। ज्यादा से ज्यादा नाक व कान में शुद्ध सरसों का तेल एक या दो बूंद ले सकते हैं।

हल्दी वाले दूध का सेवन भी समझदारी से करें

अगर व्यक्ति को बुखार, सर्दी या जुकाम की शिकायत हो तो गर्म दूध में आधी चुटकी हल्दी डाल आधे गिलास का सेवन कर सकते हैं। लेकिन इसका सेवन ज्यादा दिनों तक न करें। सामान्य लोग इसे ग्रहण करना चाहते हैं तो दूध को हल्का ठंडा होने पर ही ग्रहण करें। जिन लोगों को बवासीर, अल्सर, शरीर में जलन हो तो इसका सेवन भूलकर भी न करें। इसका दुष्प्रभाव शरीर के दूसरे अंगों पर पड़ सकता है। 

आंख बंदकर न करें भरोसा

आयुर्वेद कॉलेज पटना के प्राचार्य प्रो. निदेश्वर प्रसाद ने कहा कि आंख बंद करके इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहे नुस्खों पर भरोसा न करें। आयुर्वेद में मैन-टू-मैन ट्रीटमेंट अलग-अलग होता है। एक ही दवा सभी को नहीं दी जा सकती है। आयुर्वेद में कारण का निवारण किया जाता है। 

दवाओं के सेवन से पहले लें डॉक्टरों की सलाह

आयुर्वेद कॉलेज पटना के सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ. विद्यावती पाठक ने कहा कि अपने मन से या दूसरों के कहने पर भूलकर भी दवाओं का सेवन नहीं करें। इंटरनेट मीडिया पर मिलने वाली सलाह से बचें। दवाओं का सेवन डॉक्टरों के परामर्श पर करें, अन्यथा बीमारी को ठीक करने के बजाय दूसरे रोगों की चपेट में आ जाएंगे। 

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