Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

बिहार: शराब पीकर मरने वालों के परिवार को कैसे मिलेगा मुआवजा, किन-किन दस्‍तावेजों की होगी जरूरत?

मोहितारी में जहरीली शराब कांड के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि पीड़ित परिवार अगर लिखकर जिलाधिकारी को देते हैं कि उनके परिवार का फलां-फलां सदस्य शराब पीकर मरा है कहां से शराब लिए पिए और कौन गड़बड़ी किया तो हम पीड़ित परिवारों को 4 लाख रुपये का मुआवजे देंगे।

By Jagran NewsEdited By: Deepti MishraUpdated: Thu, 20 Apr 2023 01:12 PM (IST)
Hero Image
मुख्यमंत्री ने मुआवजे के लिए कड़ी शर्तें रखी हैं।

 जागरण डिजिटल डेस्‍क, पटना: बिहार में जहरीली शराब पीकर मरने वालों के परिवार के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 4-4 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर देने का एलान किया है। बीते सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि साल 2016 के बाद शराब पीकर मरने वालों के परिवारों को मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष से 4 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। हालांकि, मुख्यमंत्री ने मुआवजे के लिए कड़ी शर्तें रखी हैं। आइए बताते हैं कि शराब पीकर मरने वालों के परिवार को कैसे मिलेगा मुआवजा, किन-किन दस्तावेजों की होगी जरूरत...

बिहार में शराबबंदी लागू है। इसके बावजूद शराब पीकर लोग मर रहे हैं। लंबे समय से शराबबंदी का विरोध किया जा रहा है और शराब पीकर मरने वालों के परिजनों के लिए मुआवजे की मांग की जा रही थी। कुछ महीने पहले छपरा में जहरीली शराब से 80 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी, तब भी मुआवजे की मांग उठी थी, लेकिन तब मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि किस बात का मुआवजा, जो पिएगा वो मरेगा।  हालांकि, हाल ही में मोतिहारी में जहरीली शराब पीने से करीब 37 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद नीतीश कुमार ने मुआवजे का एलान किया है।    

कहां देना होगा मुआवजे के लिए लिखित आवेदन?

सीएम नीतीश कुमार के एलान के बाद मद्य निषेध और निबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने सभी जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षकों को एक पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि मुआवजा राशि पाने के लिए मृतक के परिजनों को एक लिखित आवेदन जिलाधिकारी को देना होगा, जिसमें यह लिखना होगा कि वे शराबबंदी के समर्थन में हैं। वे अन्य लोगों को भी शराबबंदी कानून मानने के लिए प्रेरित करेंगे। इसके साथ ही वे जहरीली शराब से मौत के मामले में हो रही जांच में भी अपना पूरा सहयोग करेंगे। पत्र में यह भी कहा गया है कि अनुग्रह अनुदान 1 अप्रैल, 2016 के बाद से जहरीली शराब से मरने वाले सभी मृतकों के आश्रितों को दिया जाएगा।

अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी देनी होगी

बिहार सरकार की ओर से कहा गया है कि मुआवजे के लिए 17 अप्रैल, 2023 के बाद से पोस्टमार्टम रिपोर्ट देना अनिवार्य है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि कच्ची शराब पीने वाले ज्यादातर लोग ग्रामीण क्षेत्र और गरीब परिवार से होते हैं। अगर ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसी घटना होती है, तो कितने लोग पोस्टमार्टम कराने अस्पताल पहुंचेंगे और कितने लोग पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेते हैं?

साहब... हम में से कोई शराब नहीं पिएगा

बता दें कि मोहितारी में जहरीली शराब कांड के बाद नीतीश कुमार ने कहा था कि हमको भी तकलीफ है। पीड़ित परिवार अगर लिखकर जिलाधिकारी को देते हैं कि उनके परिवार का फलां-फलां सदस्य शराब पीकर मरा है, कहां से शराब लिए, पिए और कौन गड़बड़ी किया, जिसके कारण मौत हुई। हम एक-एक चीज को देख लेंगे, लेकिन परिवार लिखकर दे कि साहब हम शराबबंदी के समर्थन में हैं, शराब नहीं पीनी चाहिए और अब हम में से कोई शराब नहीं पिएगा तो हम पीड़ित परिवारों को चार लाख रुपये का मुआवजे देंगे। 

क्‍यों है मुआवजा लेना मुश्किल?

इस कारण भाजपा समेत तमाम दल शराब पीकर मरने वालों के परिवार को मिलने वाले मुआवजा पर लगाई गई शर्तों का विरोध भी कर रहे हैं। इसके इतर अगर परिवार शराब माफियाओं के नाम उजागर करते हैं तो बाद में शराब माफिया पीड़ितों का जीना मुश्किल कर देंगे। ऐसे में अगर पीड़ित मुआवजा पाने के लिए नाम बताते हैं तो भी फंस जाएंगे और नहीं बताने पर मुआवजा नहीं मिलेगा।