Bihar News: KK Pathak का जिला अधिकारियों को सख्त निर्देश, स्कूलों में हाउसकीपिंग व ICT लैब की कराएं व्यवस्था
राज्य के सरकारी विद्यालयों में हाउसकीपिंग और साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी सभी जिलाधिकारी को दी गई है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सोमवार को इस संबंध में सभी जिलाधिकारी को पत्र भेजकर निर्देश दिया। उन्होंने अपने निर्देश में कहा है कि संबंधित जिलाधिकारी विद्यालयों में हाउसकीपिंग प्रीफैब स्ट्रक्चर और आइसीटी लैब की स्थापना सुचिश्ति कराएं।
राज्य ब्यूरो, पटना: राज्य के सरकारी विद्यालयों में हाउसकीपिंग और साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी सभी जिलाधिकारी को दी गई है।
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने सोमवार को इस संबंध में सभी जिलाधिकारी को पत्र भेजकर निर्देश दिया।
उन्होंने अपने निर्देश में कहा है कि संबंधित जिलाधिकारी विद्यालयों में हाउसकीपिंग, प्रीफैब स्ट्रक्चर और आईसीटी लैब की स्थापना सुचिश्ति कराएं।
जिला अधिकारियों से क्या बोले के के पाठक
अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने जिलाधिकारियों से कहा है कि विद्यालयों में हाउसकीपिंग और साफ-सफाई के लिए शिक्षा विभाग ने 123 एजेंसियों का चयन किया था और उन्हें जिले एवं प्रखंड भी टैग किया गया था।
प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय में हाउसकीपिंग की दर कर सहित 50 रुपये प्रति टायलेट और माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय में हाउसकीपिंग की दर 100 रुपये प्रति टायलेट है।
यह देखा गया है कि जिलों में जिन एजेंसियों को टैग किया गया था वह इन कार्यों में उतनी रूचि नहीं ले रही है। इसलिए चयनित एजेंसियों में से भी किसी से संपर्क कर उन्हें विद्यालयों में हाउसकीपिंग हेतु विद्यालय आवंटित कर उनसे काम लें।
सभी विश्वविद्यालयों के महिला कर्मियों को मिलेगा चाइल्ड केयर लीव
राज्य ब्यूरो, पटना: राज्य के सभी विश्वविद्यालय में कार्यरत महिला कर्मचारियों को बाल देखभाल अवकाश (चाइल्ड केयर लीव) मिलेगा। इसे संबंध में राजभवन सचिवालय की ओर से सभी कुलपति को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया गया है।
इसमें कहा गया है कि बाल देखभाल अवकाश लागू करने संबंधी परिनियम जल्द लागू किया जाएगा क्योंकि इससे संबंधित ड्राफ्ट तैयार है और उस पर कुलपतियों से दस दिन के अंदर मंतव्य देने को कहा गया है।
राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर के प्रधान सचिव राबर्ट एल. चोंग्थू की ओर से कुलपतियों को भेजे गए ड्राफ्ट में साफ कहा गया है कि यदि विश्वविद्यालयों की तरफ से तय अवधि में मंतव्य नहीं मिलता है, तो यह माना जाएगा कि संबंधित विश्वविद्यालय मसौदा कानून से सहमत हैं।
ड्राफ्ट के मुताबिक, नाबालिग बच्चों वाली महिला कर्मचारी को केवल दो बच्चों तक की देखभाल के लिए उनकी पूरी सेवा अवधि के दौरान अधिकतम दो साल के लिए बाल देखभाल अवकाश दिया जाएगा।
यह अवकाश बच्चों की परीक्षा, बीमारी आदि की स्थिति में उनका पालन-पोषण के लिए दिया जाना है। बाल देखभाल अवकाश को अर्जित अवकाश की तरह माना जाएगा।
इस अवकाश पर अधिकार के रूप में दावा नहीं किया जा सकता है। किसी भी परिस्थिति में, कोई भी कर्मचारी प्राधिकृत प्राधिकारी से बिना अनुमति के यह छुट्टी नहीं ले सकेगा। एक कैलेंडर वर्ष में तीन बार से अधिक बाल देखभाल अवकाश स्वीकृत नहीं किया जाएगा।