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Bihar News: बेमौसम बारिश ने किसानों को किया बर्बाद, चौपट हुई मसूर की बनी हुई फसल, रिकॉर्ड उपज की थी उम्मीद

Bihar Weather Today बेमौसम बरसात ने मोकामा टाल के किसानों को एक बार फिर तबाह कर दिया है। एक सप्ताह पूर्व तक लहलहा रही मसूर की फसल आधी खराब हो चुकी है। एक दशक बाद इस वर्ष समय पर हुई बुआई की वजह से फसल को तैयार होने के लिए पर्याप्त समय मिला और तैयार होने के करीब है। किसान इस वर्ष रिकॉर्ड उपज की उम्मीद कर रहे थे।

By anubhav singh Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Sun, 18 Feb 2024 05:32 PM (IST)
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बिहार में बेमौसम बारिश ने किसानों को किया बर्बाद (जागरण)

अनुभव सिंह, मोकामा। Bihar News:  बेमौसम बरसात ने मोकामा टाल के किसानों को एक बार फिर तबाह कर दिया है। एक सप्ताह पूर्व तक टाल क्षेत्र में लहलहा रही मसूर की फसल आधी खराब हो चुकी है।एक दशक बाद इस वर्ष समय पर हुई बुआई की वजह से फसल को तैयार होने के लिए पर्याप्त समय मिला और फसल तैयार होने के करीब है।किसान इस वर्ष रिकॉर्ड उपज की उम्मीद कर रहे थे।

लेकिन बारिश के बाद जो भी किसान टाल जा रहे हैं,अपने खेत को देख सर पकड़ कर बैठे हैं। मोकामा के मोलदियार टोला निवासी अनुभवी किसान रवीश कुमार बताते हैं कि इस वर्ष स्थानीय किसान प्रति बीघे में पन्द्रह मन से अधिक उपज के लिए पूरी तरह आश्वस्त थे।

लेकिन अचानक हुई बारिश की वजह से सब बर्बाद हो गया है।बारिश ने किसानों के सारे किए कराए पर पानी फेर दिया है।इस वर्ष रवीश कुमार ने तीस बीघे में मसूर की बुआई की है,बताते हैं कि बारिश की वजह से खेतों में आधे से अधिक पौधों में झुलसा रोग लग गया है।

साथ ही मटर में भी फंगस देखा जा रहा है,जिससे मटर को भी नुकसान होना तय है।किसान विश्वनाथ कुमार मुन्ना ने पचास बीघे में मसूर की बुआई की थी,बताते हैं कि लगभग आधी मसूर की फसल झुलसा रोग की चपेट में आ गई है तो वहीं किसान कन्हैया कुमार,जो करीब सौ बीघा खेती करते हैं,उनके खेत की हालत भी ऐसी ही है।किसान लगातार टाल का दौरा कर रहे हैं और अपने फसल को बचाने के प्रयास में लगे हैं। 

झुलसा रोग से सूख रहे पौधे 

टाल क्षेत्र में ज्यादातर खेतों में मसूर के पौधों में फ्रूटिंग की प्रक्रिया चल रही है।झुलसा रोग से जड़ के निकट से ही पौधे सूख जा रहे हैं।इस रोग में यदि पौधों में फल बच भी गए तो दाने छोटे होने की वजह से बाजार में उसकी कीमत नहीं मिलती है।हालांकि चंद किसान जिन्होंने सबसे शुरुआत में बुआई की थी,उनकी फसल काफी हद तक सुरक्षित नजर आ रही है।

साथ ही चने के पौधों में बारिश से किसी प्रकार के दुष्प्रभाव की जानकारी अभी नहीं मिली है।वहीं गेहूं और आलू के खेतों में भी बारिश का दुष्प्रभाव देखा जा रहा है और अब उपज का काफी कम होना तय माना जा रहा है।स्थानीय किसान लगातार कृषि वैज्ञानिकों से सम्पर्क कर रहे हैं लेकिन झुलसा रोग का कोई सही इलाज नहीं मिल रहा है।प्रकृति के आगे बेबस और लाचार किसान खून के आंसू रो रहे हैं।

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