Bihar Nikay Chunav Analysis: निकाय चुनाव में महागठबंधन में बिखराव से भाजपा समर्थित उम्मीदवारों की राह हुई आसान
बिहार में हुए निकाय चुनाव साल 2024 की राह में एक पड़ाव की तरह हैं। हालांकि इन चुनावों में भाजपा की ओर रखने वाले अधिकांश उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है। साफ है कि महागठबंधन को अपनी एकता को बनाए रखने के लिए अभी और काम करना होगा।
अरुण अशेष, पटना। विधानसभा के तीन में से दो उप चुनावों में हार के बाद भी महागठबंधन के सात दल एकजुटता के लिए गंभीर प्रयास नहीं कर रहे हैं। उधर, भाजपा स्वयं को अधिक संगठित कर सात दलों को चुनौती दे रही है। हाल में संपन्न निकाय चुनावों में महागठबंधन को बिखराव के कारण नुकसान उठाना पड़ा है, भाजपा का कई महत्वपूर्ण निकायों पर कब्जा हो गया है।
जानकारों का कहना है कि राजधानी पटना के मेयर और डिप्टी मेयर के पद पर भाजपा समर्थित उम्मीदवारों की जीत बहुत कुछ कह रही है। वैसे तो निकायों के चुनाव दलीय आधार पर नहीं लड़े जाते हैं, फिर भी राजनीतिक दल परोक्ष समर्थन के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करा ही देते हैं।
राजधानी होने के कारण पटना के मेयर का पद महत्वपूर्ण हो जाता है। एक लाख 54 हजार 791 वोट लेकर भाजपा समर्थित सीता साहू की जीत इसलिए आसान हो गई, क्योंकि महागठबंधन के दो दलों जदयू और राजद के तीन उम्मीदवार मैदान में डटे हुए थे।
इन तीनों- महजबीं, विनीता सिंह ऊर्फ विनीता सिंह बिट्टू और रजनी देवी को मिलाकर एक लाख, 92 हजार 171 वोट मिले। कुछ बिखराव भाजपा के वोटों में भी हुआ। लेकिन, उससे परिणाम प्रभावित नहीं हुआ। पटना नगर निगम क्षेत्र में भाजपा के चार विधायक हैं।
जानकार कहते हैं कि भाजपा की स्थानीय इकाइयां मेयर-डिप्टी मेयर चुनाव में विधानसभा चुनाव की तरह की सक्रिय हो गईं। भाजपा को इसका लाभ डिप्टी मेयर के पद पर भी मिला। भाजपा की रेशमी ने राजद समर्थित अंजना गांधी को 10 हजार वोटों के अंतर से पराजित किया। अंजना राजद के पूर्व विधान परिषद सदस्य आजाद गांधी की पुत्री हैं।
दोनों सीटों के लिए महागठबंधन के दलों ने कोई रणनीति नहीं बनाई। वोटरों को पता था कि कौन उम्मीदवार महागठबंधन के किस दल से संबद्ध है, लेकिन, स्पष्ट दिशा निर्देश न रहने के कारण वोटर किसी एक के पक्ष में गोलबंद नहीं हुए। मुजफ्फरपुर नगर निगम के मेयर का पद भाजपा की निर्मला साहू को महागठबंधन में मतभेद के कारण ही मिला।
भाजपा में भी मतभेद
ऐसी बात नहीं है कि मतभेद महागठबंधन के दलों में ही था। जानकार बताते हैं कि भाजपा भी इससे अछूती नहीं रही। मोतिहारी नगर निगम में डिप्टी मेयर के पद पर राजद की प्रीति कुमारी जीत गईं। यहां के भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राधामोहन सिंह और भाजपा विधायक पवन जायसवाल के बीच का मतभेद राजद की जीत का कारण बना। ये दोनों स्थानीय क्षेत्र प्राधिकार के चुनाव में भी दो छोर पर थे। उसमें भी एनडीए की हार हुई थी।