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Bihar MGNREGA Yojana: बिहार में मनरेगा का बुरा हाल, 3 सालों में एक प्रतिशत को भी नहीं मिला 100 दिन काम

बिहार में मनरेगा योजना का हाल काफी बुरा है। सरकारी आंकड़े को देखकर पता चलता है कि पिछले 3 सालों में एक प्रतिशत को भी 100 दिन काम नहीं मिला है। वित्तीय वर्ष 2023- 24 में 0.69 प्रतिशत परिवारों ने ही सौ दिनों तक काम किया। इनमें कुल 47 लाख 46 हजार 59 में 32578 ने ही सौ दिनों तक काम किया।

By Raman Shukla Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 04 Jul 2024 11:39 AM (IST)
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बीते तीन वर्ष में एक प्रतिशत को भी नहीं मिला मनरेगा से सौ दिन काम (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में मनरेगा (महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना) को लेकर सरकार दावे तो तमाम कर रही है, लेकिन सच्चाई की कसौटी पर व्यवस्था फिसड्डी है। बीते तीन वर्षों में एक प्रतिशत परिवारों को भी सौ दिनों तक काम नहीं मिला। सरकार के आंकड़े इस बात की पुष्टि कर रहे हैं।

वित्तीय वर्ष 2023- 24 में 0.69 प्रतिशत परिवारों ने ही सौ दिनों तक काम किया। इनमें कुल 47 लाख 46 हजार 59 में 32578 ने ही सौ दिनों तक काम किया। वहीं, 2022-23 में 50 लाख 14 हजार 363 में 39 हजार 678 को ही सौ दिनों तक काम मिला। यह कुल संख्या का 0.79 प्रतिशत है।

वर्ष 2021-22 में 47 लाख 75 हजार 783 में 21975 को सौ दिनों का काम मिला। यह कुल संख्या का 0.46 प्रतिशत है। ऐसी तमाम कड़वी सच्चाई से अवगत होने के बाद अब सरकार ने मंत्रिमंडल के माध्यम से प्रविधान में संशोधन किया। अब मनरेगा में मांगने पर काम नहीं मिला तो बेरोजगारी भत्ता सरकार देगी। इसके लिए बिहार बेरोजगारी भत्ता नियमावली-2024 स्वीकृत की गई है।

इस नियमावली के प्रविधान के अनुसार मनरेगा के तहत काम मांगने पर 15 से 30 दिनों के अंदर काम देना होगा। काम नहीं मिलने पर संबंधित व्यक्ति को सरकार अगले सौ दिनों के लिए भत्ता देगी।

भत्ता के रूप में श्रमिक को पहले महीने में निर्धारित मजदूरी का एक चौथाई और इसके अगले महीने से मजदूरी का आधा हिस्सा दिया जाएगा। इसके अलावा भी कई अन्य प्रविधान किए गए हैं।

389 को ही मिली सौ दिनों तक की मजदूरी

बक्सर, गोपालगंज, जमुई, खगड़िया, शेखपुरा एवं सुपौल जिले में एक भी व्यक्ति को सौ दिन तक काम नहीं मिला। वहीं, अरवल, सारण, सहरसा, एवं कटिहार में मात्र एक-एक मजदूर को ही सौ दिनों का काम पूर्ण करने का मौका मिला। जबकि दरंभगा एवं नवादा में दो तथा बांका, गया, कैमूर एवं पश्चिमी चंपारण में तीन-तीन मजदूरों ने ही सौ दिनों तक काम पूर्ण किया।

वहीं, राज्य में अभी तक 389 को ही सौ दिनों तक काम मिला है। जबकि इस वर्ष 1 करोड़ 36 लाख 72 हजार 933 परिवार मनरेगा में पंजीकृत हैं। इन परिवारों की कुल सदस्य संख्या 1 करोड़ 62 लाख 14 हजार 595 है।

जहानाबाद शीर्ष पर

बिहार के 38 जिलों में सबसे अधिक 112 को जहानाबाद जिले में सौ दिनों तक काम मिला। इसके बाद नालंदा में 49 एवं औरंगाबाद में 29 श्रमिकों ने सौ दिनों तक कार्य पूर्ण किया। अररिया में 15, बेगूसराय में 17, मुजफ्फरपुर में 32, सीतामढ़ी में 15, समस्तीपुर में 12 एवं पूर्णिया में मात्र 11 ही सौ दिन काम पाने में सफल हुए।

दो अंकों में पहुंचने से 11 जिले रह गए फिसड्डी

राज्य के 11 ऐसे जिले हैं, जहां के श्रमिक दो अंकों में सौ दिनों तक रोजगार का सपना संजोए रह गए। पटना में आठ, सिवान में सात, मुंगेर में छह और इसमें भोजपुर एवं पूर्वी चंपारण में पांच-पांच, किशनगंज व लखीसराय में छह-छह को सौ दिनों का काम मिला। मधुबनी एवं मधेपुरा में सात-सात, शिवहर व वैशाली में चार-चार श्रमिक सौ दिनों तक काम पाने में सफल रहे।

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