''सुशील मोदी ही तो मांग कर रहे थे छोड़ दीजिए...छोड़ दीजिए'', तेजस्वी यादव ने आनंद मोहन की रिहाई पर दिया बयान
Tejashwi Counters Sushil Modi On Release Of Anand Mohan बिहार में सोमवार को आनंद मोहन की रिहाई के आदेश के बाद से प्रदेश की राजनीति का पारा गरमाया हुआ है। इसके बाद से ही भाजपा नेता राज्य सरकार पर हमलावर हैं। वहीं अब तेजस्वी ने इसपर प्रतिक्रिया दी है।
By Jagran NewsEdited By: Prateek JainUpdated: Tue, 25 Apr 2023 09:59 PM (IST)
पटना, एएनआई: बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने आनंद मोहन की रिहाई पर विरोध जता रही भाजपा पर प्रतिक्रिया दी।
तेजस्वी ने कहा कि इसमें कंट्रोवर्सी क्या है? जेल के नियमों में संशोधन करते हुए पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह सहित 27 दोषियों की रिहाई की अनुमति देने पर कहा कि उन्होंने अपनी सजा पूरी की है और उन्हें कानूनी रूप से रिहा किया जा रहा है। इसमें कहां कुछ गलत है।
#WATCH | "What's the controversy in this? He has served his sentence and is being released legally," says Bihar Deputy CM Tejashwi Yadav on Bihar govt amending the prison rules allowing the release of 27 convicts including former MP Anand Mohan Singh pic.twitter.com/E2rPXg1hEK
— ANI (@ANI) April 25, 2023
आनंद मोहन पर ही नहीं, बिलकिस बानों के मामले पर भी बोले भाजपा: गगन
राजद ने भाजपा से आग्रह किया कि वह बिलकिस बानों केस में रिहा किए गए 11 अभियुक्तों के बारे में कुछ भी बोले।पार्टी के प्रवक्ता चितरंजन गगन ने मंगलवार को कहा कि आनंद मोहन की रिहाई पर सवाल उठाने वाली भाजपा गर्भवती महिला के साथ दुष्कर्म करने और मासूम बच्ची के साथ परिवार के 11 सदस्यों को मौत के घाट उतारने वाले अपराधियों का महिमा मंडन कर रही है।इन 11 अभियुक्तों को गुजरात सरकार ने माफी दी तो भाजपा के नेताओं ने जेल गेट पर माला पहनाकर इनका स्वागत किया। इनकी रिहाई के लिए गुजरात सरकार ने 2014 में जेल मैनुअल में किए गए संशोधन को रद्द कर दिया।
गगन ने कहा कि आनंद मोहन की रिहाई पूर्ण रूप से नैसर्गिक और न्यायिक प्रक्रिया के तहत हो रही है। संयोग है कि पूर्व सांसद आनंद मोहन को भी सरकार के निर्णय का लाभ मिल रहा है। 26 अन्य वैसे कैदियों को रिहाई मिलने जा रही है, जो 14 वर्षों से अधिक समय से जेल में बंद हैं।अपवाद को छोड़ दिया जाए तो सामान्य तौर पर आजीवन कारावास की सजा पाए अधिकांश कैदियों को चौदह वर्ष पूरा करने के बाद मुक्त कर दिया जाता है।
विशेष मामले में न्यायालय खुद अपने फैसले में ही मृत्यु पर्यन्त कैद का आदेश देता है। आनंद मोहन की सजा के आदेश में ऐसा कुछ भी नहीं कहा गया है।
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