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Nitish Kumar : ललन की विदाई से गवर्नर की टी-पार्टी तक... 11 प्वाइंट में समझें कैसे बदली बिहार की सियासी हवा

Bihar Politics News बिहार में सियासी अटकलबाजी का दौर जारी है। हर पल राजनीति बदल रही है। बिहार की सियासत में पिछले एक महीने से काफी कुछ घटा है। तीन किरदारों- लालू यादव नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के इर्द-गिर्द ही सबकुछ घूम रहा है। हमारे इस आर्टिकल में आप 11 पड़ावों से पूरे राजनीतिक घटनाक्रम को समझ सकते हैं।

By Rajat Mourya Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 26 Jan 2024 08:13 PM (IST)
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ललन की विदाई से गवर्नर की टी-पार्टी तक... 11 प्वाइंट में समझें कैसे बदली सियासी हवा

डिजिटल डेस्क, पटना। Nitish Kumar  बिहार में सियासी अटकलों का बाजार गर्म है। नीतीश कुमार किसी भी पल बड़ा फैसला कर सकते हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश एनडीए में शामिल हो सकते हैं। इस सबके बीच लालू यादव (Lalu Yadav) ने भी राजद विधायकों को अलर्ट कर दिया है। उधर, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी करीबी नेताओं के साथ अपने आवास पर बैठक कर रहे हैं।

बिहार में आज जो स्थिति (Bihar Political Crisis) बनी है यह अचानक नहीं बनी। पिछले एक महीने से इसकी सुगबुगाहट होने लगी थी। ललन सिंह के जदयू अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद से ही सियासी अटकलें तेज हैं। चलिए हम आपको 11 पड़ावों में सबकुछ समझाते हैं।

पड़ाव-1 ललन सिंह (Lalan Singh) ने जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष से 29 दिसंबर को इस्तीफा दिया था। इसके बाद नीतीश कुमार को जदयू की कमान मिली। उन्होंने तुरंत कार्यकारिणी में बदलाव किया। माना जाने लगा कि नीतीश और ललन सिंह के बीच सबकुछ ठीक नहीं है। हालांकि, ललन सिंह ने खुद मीडिया में आकर यह बात कही कि सबकुछ ठीक है।

पड़ाव-2 नीतीश के पास जदयू की कमान आई तो उसके बाद इंडी गठबंधन में भी हलचल तेज हो गई। बिहार में इंडी गठबंधन के सभी दलों में सीटों को लेकर माथापच्ची होने लगी। राजद-जदयू जहां 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी, तभी कांग्रेस और वाम दलों ने भी सीटों पर दावा ठोकना शुरू कर दिया। ऐसे में सीटों को लेकर भी कुछ फैसला नहीं हो सका।

पड़ाव-3 सीटों पर माथापच्ची जारी थी कि जदयू को नीतीश कुमार की इमेज की चिंता भी सतानी लगी। जदयू के नेता चाहते थे कि नीतीश को इंडी गठबंधन (I.N.D.I. Alliance) में संयोजक पद दिया जाए और उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए भी चेहरा बनाया जाए। हालांकि, ऐसा नहीं हो सका। इंडी गठबंधन के घटक दल ही इसपर राजी नहीं हुए। ममता बनर्जी भी इसके लिए राजी नहीं थीं। वहीं, नीतीश को संयोजक बनाने के लिए प्रस्ताव आया, जिसे उन्होंने खुद ही ठुकरा दिया।

पड़ाव-4 फिर आई मकर संक्रांति... अब लालू यादव ने नीतीश कुमार को घर पर दही-चूड़े के लिए आमंत्रित किया। नीतीश पहुंचे भी, लेकिन इस बार लालू यादव ने दही का तिलक नहीं किया। दोनों नेताओं के बीच यहां पहली बार तल्खी देखने को मिली। एक साथ बैठने के बावजूद दोनों नेताओं में कुछ बातचीत नहीं हुई।

पड़ाव-5 इस मीटिंग के बाद लालू-नीतीश के बीच तकरार की खबरें आने लगी। इस घटनाक्रम के बाद लालू यादव और तेजस्वी यादव नीतीश से मिलने उनके घर गए। तेजस्वी ने मीडिया में कहा कि सबकुछ ठीक है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में फूट को लेकर चर्चाएं होने लगीं। नीतीश भी एक्शन मोड में आ गए और उन्होंने राजद कोटे के तीन मंत्रियों को कैबिनेट से चलता कर दिया।

पड़ाव-6 नीतीश के फैसले पर हर किसी को हैरानी हुई। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह (Giriraj Singh) ने यहां तक कह दिया कि यह नीतीश की 'प्रेशर पॉलिटिक्स' है। लालू यादव ने भी नीतीश के आगे घुटने टेक दिए हैं। इस बयान के बाद मानो बिहार में सियासी भूचाल आ गया। फिर आई कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) की जयंती। मोदी सरकार ने 'मास्टर स्ट्रोक' लगाते हुए कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का एलान किया, जिसका मुख्यमंत्री ने स्वागत किया। नीतीश कुमार ने पटना में रैली कर मंच से प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) की तारीफ की और केंद्र सरकार को धन्यवाद किया।

पड़ाव-7 नीतीश कुमार ने मंच से सिर्फ प्रधानमंत्री की तारीफ ही नहीं की बल्कि 'परिवारवाद की राजनीति' पर भी खुलकर अपनी बात रखी। उन्होंने परिवारवाद पर निशाना साधा और फिर कयास लगाए जाने कि नीतीश ने लालू फैमिली को टारगेट किया है। हालांकि, जदयू प्रवक्त केसी त्यागी ने कहा कि नीतीश का बयान सिर्फ कर्पूरी ठाकुर के संदर्भ में था। वहीं, अगले ही दिन लालू की बेटी रोहिणी आचार्य ने परिवारवाद पर पोस्ट कर नया सिसायी बखेड़ा खड़ा कर दिया। हालांकि, बाद में उन्होंने अपने पोस्ट डिलीट कर दिए।

पड़ाव-8 परिवारवाद पर बहस छिड़ने के बाद बीजेपी के दिग्गज नेता सुशील मोदी ने नीतीश कुमार का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि नीतीश ने जो कुछ कहा वो बिल्कुल सही थी। वहीं, गणतंत्र दिवस के दिन राजनीति का पारा बिहार में हाई हो गया। सुशील मोदी ने यहां तक कह दिया कि नीतीश कुमार के लिए एनडीए में दरवाजे खुले हैं। बीजेपी के विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने भी नीतीश को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि नीतीश एनडीए में आने के लिए तैयार हैं और 48 घंटे में फैसला हो जाएगा।

पड़ाव-9 बीजेपी नेताओं के बयानों ने सियासी हलचल और तेज कर दी। इसके बाद राजद के वरिष्ठ सांसद मनोज झा सामने आए। उन्होंने कहा कि हमारी तरफ से तो सबकुछ स्‍पष्‍ट है। अब जो यह संशय मीडिया में चल रहा है, यह अब हमारे लिए भी यह संशय है और इसे दूर करने का काम नीतीश कुमार का है। मनोज झा के बयान से साफ है कि अब राजद भी नीतीश के सामने बैकफुट पर दिख रही है।

पड़ाव-10 नीतीश कुमार को लेकर अटकलबाजी ऐसे ही चलती रही और वो दोपहर के वक्त राजभवन में 'एट होम रिसेप्शन' के लिए पहुंचे। वहीं, तेजस्वी यादव ने कार्यक्रम से दूरी बना ली। तेजस्वी यादव के नहीं आने से नई बहस छिड़ गई और सियासी कयासबाजी फिर की जाने लगी। नीतीश कुमार ने भी बोल दिया- "जो नहीं आए आप उनसे सवाल पूछिए"। खास बात यह भी रही कि नीतीश ने राजभवन में भाजपा नेता विजय सिन्हा और 'हम' मुखिया जीतन राम मांझी से खूब हंसी-मजाक किया।

पड़ाव-11 नीतीश के रवैये को देखते हुए लालू यादव की पार्टी भी अलर्ट मोड पर आ गई है। तेजस्वी यादव ने तुरंत अपने आधिकारिक आवास पर करीबी नेताओं को बैठक के लिए बुलाया। दूसरी ओर, बीजेपी भी पूरे राजनीतिक घटनाक्रम पर नजर रख रही है। बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि 27 जनवरी को हमारी बैठक है। यह बैठक लोकसभा चुनाव को लेकर है।

खैर अब तक के पूरे सियासी घटनाक्रम को आप विस्तार से समझ चुके हैं। माना जा रहा है कि अगले दो से तीन दिन बिहार की राजनीति में काफी अहम साबित होंगे। वहीं, नीतीश कुमार क्या फैसले लेंगे ये तो आने वाला वक्त ही तय करेगा।

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