Bihar Politics: जाति आधारित गणना का असर, जिला स्तरीय 20 सूत्री समितियों में पिछड़े और अति पिछड़े का उलझा गणित
Effect Of Caste Survey In District Level 20 Point Committees जाति आधारित गणना के बाद यह मांग हो रही है कि जिसकी जितनी संख्या है उसी अनुपात में उस जाति की भागीदारी होनी चाहिए। जिला स्तरीय 20 सूत्री समितियों के गठन में इस मांग को ध्यान में रखा गया है लेकिन पिछड़े और अति पिछड़े का गणित उलझ गया है।
By BHUWANESHWAR VATSYAYANEdited By: Prateek JainUpdated: Thu, 19 Oct 2023 08:06 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, पटना। जाति आधारित गणना के बाद यह मांग हो रही है कि जिसकी जितनी संख्या है, उसी अनुपात में उस जाति की भागीदारी होनी चाहिए। जिला स्तरीय 20 सूत्री समितियों के गठन में इस मांग को ध्यान में रखा गया है, लेकिन पिछड़े और अति पिछड़े का गणित उलझ गया है।
जिला स्तरीय समितियों की अध्यक्षता संबंधित जिले के प्रभारी मंत्रियों को दी गई है। राजनीतिक दलों को उपाध्यक्ष का पद दिया गया है। पहली सूची में 37 जिलों के लिए समितियों का गठन किया गया है। कुल 74 उपाध्यक्ष बनाए गए हैं।
पिछड़ा वर्ग से 27 उपाध्यक्ष
पिछड़ा वर्ग से आने वाले उपाध्यक्षों की संख्या 27 है। अति पिछड़ा वर्ग के जिला उपाध्यक्षों की संख्या 20 है। एक-दो जिले ऐसे हैं, जहां दोनों उपाध्यक्ष पिछड़े वर्ग से तो हैं ही साथ में वे एक ही जाति के भी हैं। पिछड़े वर्ग में यादव एवं कुशवाहा की संख्या अधिक है। कुर्मी तीसरे नम्बर पर हैं।अति पिछड़ा वर्ग के जिन लोगों को उपाध्यक्ष पद मिला है, उनकी संख्या 20 है। इसमें धानुक जाति के लोग भी काफी संख्या में हैं। अल्पसंख्यक समाज से सात लोगों को जिला कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति में जगह दी गयी है।
वहीं, सवर्ण समाज से पांच लोगों को उपाध्यक्ष बनाया गया है। इसमें राजपूत जाति के लोग अधिक हैं। भाकपा माले को उपाध्यक्ष का तीन पद मिला है। सिवान, अरवल और कैमूर में माले नेताओं को उपाध्यक्ष का पद दिया गया है।
माले के कुल 57 सदस्यों को विभिन्न जिला समितियों में रखा गया है। भाकपा के नेता को बेगूसराय जिला 20 सूत्री समिति का उपाध्यक्ष बनाया गया है। भाकपा के 15 नेताओं को विभिन्न समितियों में जगह दी गई है। कांग्रेस को छह और माकपा को उपाध्यक्ष का एक पद दिया गया है।
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