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Bihar Politics: समाज के बहिष्कार के बाद भी कासमी ने नहीं छोड़ा भाजपा का साथ, मिला इनाम

Bihar Politics भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के नव मनोनीत राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुफ्ती अब्दुल वहाब कासमी को 1999 में पार्टी की सदस्‍यता ग्रहण करने के साथ ही समाज व रिश्‍तेदारों का जबरदस्‍त विरोध झेलना पड़ा। मगर उन्‍होंने पार्टी का साथ नहीं छोड़ा। पढि़ए बिहार के इस नेता का अदभूत राजनीतिक सफर।

By Sumita JaiswalEdited By: Updated: Wed, 02 Jun 2021 06:59 AM (IST)
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भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के नव मनोनीत राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुफ्ती अब्दुल वहाब कासमी की तस्‍वीर ।

पटना, रमण शुक्ला। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के नव मनोनीत राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुफ्ती अब्दुल वहाब कासमी का पार्टी और समाज के बीच सफर कांटों भरी राहों की तरह रहा है। वर्ष 1999 में पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के साथ ही कासमी को समाज और रिश्तेदारों का विरोध झेलना पड़ा। सीमांचल में राजद के कद्दावर मुस्लिम चेहरा रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री तस्लीमुद्दीन के वोट बैंक में सेंधमारी कर भाजपा को बुलंदी पर पहुंचाने का काम किया। हालांकि कासमी को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा था। उन्हें अरसे तक सामाजिक बहिष्कार के साथ कई परेशानियां झेलनी पड़ीं। तमाम दुश्वारियों से निकलकर उन्हें पार्टी में यह मुकाम मिला है।

अररिया जिले में जोकीहाट थाने के डूबा गांव के रहने वाले वहाब भाजपा के खांटी कार्यकर्ता से लेकर अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष तक रह चुके हैं। अररिया के भाजपा जिला उपाध्यक्ष प्रदीप झा ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई थी, जिनके प्रति वे आभार प्रकट करते रहे हैं। बकौल कासमी, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और बिहार के उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन से प्रभावित होकर वे भाजपा से जुड़े थे। अब मात्र एक ही लक्ष्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ-सबका विकास के जरिए पार्टी में सौंपी गई जिम्मेदारी का निर्वहन करना है। वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल, विधान परिषद में पार्टी के उप मुख्य सचेतक दिलीप जायसवाल के मुरीद हैं।

पार्टी की जीत के लिए मिला अल्पसंख्यकों के बीच काम का मौका :

कासमी कहते हैं कि भाजपा ही इकलौती ऐसी पार्टी है, जिसमें साधारण कार्यकर्ता को शीर्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। कार्यकर्ताओं के समर्पण को नवाजा जाता है। वे खुद को इसका एक उदाहरण मानते हैं। बताते हैं कि जब उन्होंने भाजपा के लिए काम करने का निर्णय लिया तो समाज में काफी प्रतिरोध हुआ। दावत और निकाह आदि आयोजनों तक से उन्हें वंचित किया गया, लेकिन वे अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग रहे। अब सब कुछ सामान्य हो चुका है। पार्टी में भी एक मुकाम हासिल हो चुका है। इस बीच बिहार से लेकर राजस्थान और उत्तर प्रदेश तक  विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए बड़ी भूमिका में काम करने का अवसर मिला। बिहार में लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, नित्यानंद राय, अश्विनी चौबे के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधा मोहन सिंह और अररिया के सांसद प्रदीप सिंह जैसे कई सांसदों की जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी ने उन्हें अल्पसंख्यक समाज के बीच काम करने का मौका दिया। इसके लिए वे पार्टी के आभारी हैं।

संक्षिप्त प्रोफाइल

कासमी बिहार भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के अलावा उत्तर प्रदेश भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के सह प्रभारी रह चुके हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी की सरकार में सेंट्रल वक्फ काउंसिल के सदस्य रहे हैं। उन्होंने मुफ्ती और फाजिल की डिग्री उत्तर प्रदेश के दारूल उलूम देवबंद से प्राप्त की है। वे एक दौर में बिहार हज कमेटी के सदस्य भी रह चुके हैं।

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