सीमांचल के दंगल में जोर लगा रहे महागठबंधन और NDA, इन 4 सीटों के समीकरण में ओवैसी लगाएंगे सेंध?
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को किशनगंज कटिहार व पूर्णिया में मतदान होना है वहीं तीसरे चरण में अररिया में चुनाव है। सीमांचल में चुनावी दंगल की तस्वीर साफ हो चुकी है। यहां एक ही मुद्दा है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिनकी गारंटी को महागठबंधन चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। इस रस्साकशी में राजग और महागठबंधन एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।
दीनानाथ साहनी, पटना। बिहार का सीमांचल मुस्लिम बहुल इलाका है। सीमांचल में किशनगंज, कटिहार, अररिया व पूर्णिया ऐसी लोकसभा सीटें हैं, जहां मुस्लिम मतदाता निर्णायक साबित होते हैं, इसलिए सभी राजनीतिक दलों के लिए सीमांचल का खासा महत्व है।
लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 26 अप्रैल को किशनगंज, कटिहार व पूर्णिया में मतदान होना है, वहीं तीसरे चरण में अररिया में चुनाव है। सीमांचल में चुनावी दंगल की तस्वीर साफ हो चुकी है। यहां एक ही मुद्दा है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, जिनकी गारंटी को महागठबंधन चुनौती देने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
इस रस्साकशी में राजग और महागठबंधन के बीच सीमांचल में मतदाताओं को अपने-अपने पाले में करने की अंतिम लड़ाई जारी है।
किशनगंज में ओवैसी फैक्टर से महागठबंधन को नुकसान!
सबसे पहले किशनगंज की चुनावी परिदृश्य की बात करें। सीमांचल के चार मुस्लिम बहुल जिलों में किशनंगज में सर्वाधिक 68 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। यह सीट कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। किशनंगज सीमांचल के उन जिलों में चर्चित है जहां बंग्लादेशी घुसपैठ भी बड़ा मुद्दा रहा है।
किशनगंज के पिछले चुनाव के नतीजे पर गौर करें तो 2009 और 2014 में कांग्रेस प्रत्याशी असरार उल हक और 2019 में कांग्रेस के ही प्रत्याशी डॉ. मोहम्मद जावेद चुनाव जीते थे। रोचक यह कि जब एनडीए ने बिहार की 40 में से 39 लोकसभा सीट जीती थी। उस समय किशनगंज एक मात्र सीट थी जहां कांग्रेस प्रत्याशी ने जीते थे।
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) ने सीमांचल क्षेत्र में चुनाव लड़कर हलचल मचा दी थी। तब ओवैसी की पार्टी ने पांच सीटों पर जीत हासिल की थी।
इस चुनाव में कांग्रेस ने मौजूदा सांसद डॉ. जावेद को उम्मीदवार बनाया है। जदयू ने मुजाहिद आलम प्रत्याशी हैं। वहीं, ओवैसी ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व विधायक अख्तरुल इमान को प्रत्याशी बनाया है। इनके आने से किशनगंज की लड़ाई दिलचस्प मोड़ में आ चुकी है। विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने जिस तरीके से महागठबंधन का खेल बिगाड़ा था, वहीं डर इस बार चुनाव में कांग्रेस व राजद को सता रहा है।
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