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Bihar Politics: अब EBC कार्ड होगा BJP का अहम एजेंडा, नीतीश सरकार ने बढ़ाई टेंशन; अगले महीने गया आएंगे जेपी नड्डा

Bihar Politics बिहार में सत्ता से बाहर होने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं व समर्थकों में जोश भरने के लिए कई जतन कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पिछले 11 महीने में राज्य के सभी नौ प्रमंडलों में जनसभा कर चुके हैं। अब संसदीय क्षेत्रों के आधार पर शाह की रैली कराने की तैयारी चल रही है। इसमें अहम एजेंडा ईबीसी कार्ड होगा।

By Raman ShuklaEdited By: Prateek JainUpdated: Fri, 17 Nov 2023 08:59 PM (IST)
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अगले महीने गया आएंगे भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा। (फाइल फोटो)

रमण शुक्ला, पटना। बिहार में सत्ता से बाहर होने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं व समर्थकों में जोश भरने के लिए कई जतन कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पिछले 11 महीने में राज्य के सभी नौ प्रमंडलों में जनसभा कर चुके हैं। अब संसदीय क्षेत्रों के आधार पर शाह की रैली कराने की तैयारी चल रही है। इसमें अहम एजेंडा ईबीसी कार्ड होगा।

दरअसल, लोकसभा के पिछले चुनाव में राज्य की 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल करने वाले एनडीए के लिए महागठबंधन के सामाजिक समीकरण से बेचैनी स्वाभाविक है।

लोकसभा व विधानसभाओं में महिला आरक्षण का दांव चल भाजपा ने बढ़त लेने का प्रयास किया था, लेकिन बिहार में आरक्षण की सीमा में वृद्धि कर महागठबंधन ने चुनावी गणित को रोचक व प्रतिस्पर्द्धात्मक बना दिया है।

विशेष राज्‍य के दर्ज की मांग ने बढ़ाई भाजपा की टेंशन

ऐसे में महागठबंधन की रणनीति को शाह ने मुजफ्फरपुर की सभा में यादव-मुसलमानों की संख्या बढ़ा कर दिखाने का आरोप लगाने के साथ ही किसी अति पिछड़े को मुख्यमंत्री बनाने की चुनौती देकर राजनीति भंवर में डालने का प्रयास किया था।

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने संबंधित एक दशक पुरानी मांग को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिर से सुलगाकर भाजपा को चक्रव्यूह में डाल दिया है। बिहार भाजपा ने नीतीश कुमार को घेरने की रणनीति बनाने के लिए 25 नवंबर को शीर्ष चिंतकों की बैठक बुलाई है।

संभव है कि 25 को होने वाली बैठक में अगले महीने यानी दिसंबर में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की गया में सभा कराने की तिथि पर मुहर लग जाए। साथ ही अमित शाह की अगली सभा किस संसदीय क्षेत्र में कराई जाए। इस पर भी प्रदेश भाजपा का शीर्ष नेतृत्व विर्मश करेगा।

त्रिस्तरीय घेराबंदी की तैयारी

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा जाति आधारित गणना रिपोर्ट सार्वजनिक करने के बाद भाजपा ने तत्काल अति पिछड़े वर्गों को लेकर त्रिस्तरीय लामबंदी की रणनीति बनाई है। इसमें पहला जातिगत आंकड़ों की विश्वसनीयता पर संदेह को गांव-गांव तक पहुंचाया जाए।

दूसरा अति पिछड़े वर्ग की संख्या कम की गई है और यादवों एवं मुसलमानों की संख्या बढ़ाई गई है। तीसरा यह कि कुशवाहा की संख्या 5 प्रतिशत से घटकर 4.2 प्रतिशत, कुर्मियों की संख्या 3.3 से घटकर 2.2, धानुक की संख्या 2.2 से 2.1 प्रतिशत और कहार 1.8 प्रतिशत से 1.6 प्रतिशत हो गई।

ऐसे में सरकार पंचायत-वार जाति आधारित गणना रिपोर्ट का आंकड़ा जारी करे। अति पिछड़ा समाज से आने वाले भाजपा के विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता हरि साहनी का आरोप है कि नीतीश सरकार ने ईबीसी की संख्या कम करके जाति सर्वेक्षण में घोटाला किया है।

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